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वक़्त नहीं सच्चाई के साथ चलें…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Feb 24, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…



दोस्तों, हम सब जानते हैं कि इस दुनिया में हम कुछ ही दिनों के मेहमान हैं और साथ ही हम सभी का साथ बहुत थोड़े से दिनों का है। लेकिन उसके बाद भी कई लोग ख़ुद को विशेष मान, ना जाने किस गुमान में ज़िंदगी जीते हैं। उनका लहजा कुछ ऐसा होता है जैसे वे इस पूरी दुनिया को अपने नाम करा कर लाए हैं। इन लोगों को जब तक सच्चाई का अहसास होता है तब तक अक्सर जीवन हाथ से निकल चुका होता है और इन्हें अपना अंतिम समय पछताते हुए बिताना पड़ता है।


ऐसे लोग अक्सर ईश्वर की कृपा को ख़ुद की विशेषता या सफलता मान, झूठे अभिमान में जीवन जीते हैं। यह स्थिति कुछ-कुछ इस कहावत समान होती है, ‘क़िस्मत मेहरबान, तो गधा पहलवान’ अर्थात् जब क़िस्मत या समय आपके साथ होता है, तो बिना किसी वजह के भी दुनिया या सफलता आपके कदम चूमती है। ऐसे समय में हवा में उड़ना और ख़ुद को ‘तीसमारखाँ’ समझना ख़ुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान ही होता है। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।


बात कई साल पुरानी है, एक बार तेज हवा के वेग के कारण एक कागज का टुकड़ा उड़ कर पर्वत के शिखर पर जा पहुँचा। पर्वत ने कागज के उस टुकड़े का खुले दिल से बड़ा ही आत्मीय स्वागत किया और कहा ‘भाई! आज अचानक ही यहाँ कैसे पधारे?’ प्रश्न सुनते ही कागज का टुकड़ा मुँह बनाते हुए बोला, ‘यह कैसा फ़ालतू का प्रश्न है? मैं अपने दम पर यहाँ तक पहुँचा हूँ।’ कागज का टुकड़ा अभी अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि तभी हवा का एक और तेज झोंका आया और उसे अपने साथ उड़ा कर ले गया और ले जाकर एक गंदी नाली में पटक दिया। अब उसे वहाँ से बाहर निकालने वाला तो कोई था नहीं, इसलिए वह सड़-गल कर उसी गंदी नाली में ख़त्म हो गया; उसका अस्तित्व हमेशा के लिए मिट गया।


यही दशा दोस्तों, अक्सर झूठे गुमान में रहने वाले लोगों की होती है। असल में ऐसे लोग भूल जाते हैं कि जब ईश्वर आपको आपके द्वारा किए गए पुण्यों का फल देता है तब समय आपके अनुकूल हो जाता है और आपको सफलता के शिखर तक पहुँच देता है और जब ईश्वर आपके द्वारा किए गए पापों का हिसाब-किताब करता है तब वह एक ही पल में आपको रसातल तक पहुँच देता है। इसलिए साथियों पूर्व में किए गए कर्मों के अधीन चलने वाले इसे जीवन में किसका मान और किसका गुमान? जीवन की असली सच्चाई सिर्फ़ और सिर्फ़ यही है कि समय किस समय करवट बदल ले, हमें पता नहीं। इसलिए दोस्तों आज की परिस्थिति का गुमान कर जीना मेरी नज़र में तो झूठी ज़िंदगी जीने के समान है।


इसलिए हमेशा याद रखें, संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह सब ईश्वरीय विधान है। हम और आप तो केवल निमित्त मात्र हैं, इसीलिये कभी भी ये भ्रम न पालें कि ‘मैं न होता तो क्या होता…’ यह दुनिया आपके पहले भी चल रही थी और आपके बग़ैर भी अच्छे से चलती रहेगी। याद रखियेगा दोस्तों, जहाँ हम नहीं होते है, वहाँ हमारे गुण व अवगुण हमारा प्रतिनिधित्व करते है। इसलिए हमें कर्म के महत्व को समझना होगा और ख़ुद को याद दिलाना होगा कि किस्मत की लकीरें हमें खुद बनानी है। हालाँकि बात ये पुरानी है पर फिर भी हमें पूरी करके दिखानी है, अन्यथा यह जीवन बेकार ही चला जाएगा। इसलिए दोस्तों, वक्त के साथ चलने के स्थान पर मूल्य आधारित जीवन जीना और सच के साथ चलना ज़्यादा ज़रूरी है क्योंकि जब आप सच्चाई और मूल्यों के साथ होते हैं, तब एक ना एक दिन वक्त भी आपके साथ चलने लगता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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