Nov 13, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, कई बार लोगों की प्रतिक्रिया बड़ी हैरान कर देने वाली रहती है। आप उन्हें कोई सा भी कार्य क्यूँ ना बोलो वे हमेशा अपनी ओर से टालने वाली बातचीत ही करते हैं। ऐसा लगता है, मानो उनके जीवन को मूल मंत्र, ‘आज करे सो काल कर, काल करे सो परसों। ऐसी भी क्या जल्दी है, अभी जीना है बरसों…’ है। वैसे काम को टालने की यह आदत आपको आजकल हर क्षेत्र में दिख जाएगी। फिर चाहे वे शासकीय उपक्रम हों या निजी या फिर सामाजिक। ठीक इसी तरह इस आदत का लेना देना उम्र, लिंग, जात या शारीरिक बनावट आदि किसी से भी नहीं है। आप भी सोच रहे होंगे मैं किस तरह की फ़ालतू बातें कर रहा हूँ। लेकिन दोस्तों, कुल मिलाकर मैं यह कहना चाह रहा हूँ कि आप अपने आस-पास किसी भी क्षेत्र में, कोई सा भी कार्य करने वाले लोगों को देख लें, काम टालने वाले लोग आपको अपने आस-पास मिल ही जाएँगे। लेकिन हाँ, इन सभी लोगों में आपको एक बात, एक जैसी या एक समान मिलेगी, यह सभी लोग अपने कार्यों में असफल ही रहे हैं।
जी हाँ दोस्तों, सामने आए किसी भी कार्य को कल के लिए टालना मेरी नज़र में असफल जीवन की आधारशिला है। आप इतिहास उठा कर देख लीजिए इस दुनिया में जिसने भी महान कार्य किया है या कोई बड़ी सफलता पाई है, वे सभी लोग सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही वजह से ऐसा कर पाए हैं, उन्होंने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण अपने उद्देश्य, अपने संकल्प, अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगाया है। वे कभी समय के अनुकूल होने का इंतज़ार नहीं करते वे सिर्फ़ अपने लक्ष्यों के प्रति सजग रहते हुए कर्म करते हैं। जी हाँ, समय अनुकूल हो या प्रतिकूल, लक्ष्य की दिशा में लगातार कर्म करते रहना ही इनकी सफलता का राज है।
इसके विपरीत अगर आप कार्य टालने वाले लोगों से कार्य टालने की वजह पूछेंगे तो वे आपको योजना पर कार्य करना, संसाधन या समय की कमी, अभी मैं व्यस्त हूँ, थक गया हूँ, सोच रहा हूँ, अभी तो बहुत समय है आदि जैसे कई बहाने बनाते दिख जाएँगे। जिस तरह कार्य करने वाले के पास कार्य करने का कारण होता है, ठीक उसी तरह इन लोगों के पास कार्य को टालने का बहाना होता है। मैं इन लोगों को एक विशेष बीमारी ‘बहानासाईटिस’ से ग्रसित मानता हूँ।
याद रखिएगा, जब आप हर हाल में, किसी भी कार्य को बिना टाले करते हैं। अर्थात्, आप हमेशा कर्म करते हैं तो आपको हार या जीत कुछ भी मिल सकती है, लेकिन अगर आप कर्म ही नहीं करेंगे तो हार एकदम पक्की है। इतिहास उठाकर देख लीजिए, पुरुषार्थी के पुरुषार्थ के आगे तो भाग्य भी विवश होकर, फल देने के लिए बाध्य हो जाता है। इसीलिए तो गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है, ‘कर्म करो, फल की चिंता मत करो!’ उदाहरण के लिए आप बड़े से बड़े सफल व्यवसाय, व्यवसायी, संत, महात्मा किसी को भी देख लीजिए, प्रत्येक बड़ा आदमी कभी एक रोता हुआ बच्चा था। ठीक इसी तरह बड़े से बड़ा व्यवसाय कभी ना कभी एक कोरा विचार था। बड़ी से बड़ी इमारत कभी ना कभी सिर्फ़ काग़ज़ पर खींची गई कुछ रेखाओं से बनी थी। वह तो इस छोटी सी शुरुआत के बाद किए गए कर्म ही थे, जिन्होंने इसे हक़ीक़त का रूप दिया।
हर पल याद रखें कि हक़ीक़त में यह मायने नहीं रखता कि आज आप कहाँ हैं? सबसे महत्वपूर्ण यह है कि कल आप कहाँ होना चाहते हैं या क्या पाना चाहते हैं? जैसे भागीरथ ऋषि देवलोक से माँ गंगा को अपने भागीरथी प्रयास द्वारा धरती पर ले आए थे, ठीक उसी तरह अगर आप ठान लो तो कुछ भी पा सकते हो। बस आपको भी उसके लिए भागीरथी प्रयास अर्थात् अथक कर्म करना होगा। इसलिए साथियों, समय गँवाने के स्थान पर कर्म करो! सफलता-असफलता के आगे जाकर सतत प्रयत्न करो। देखना एक दिन सफलता आपके स्वागत के लिए बाहें फैलाकर तैयार खड़ी मिलेगी। इसीलिए तो कहा गया है, ‘वर्तमान का सदुपयोग ही एक स्वर्णिम भविष्य को जन्म देता है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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