वास्तविक अपेक्षा रखें और खुश रहें…
- Nirmal Bhatnagar
- Mar 19
- 3 min read
Mar 19, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, ख़ुशहाल जीवन जीने के लिए मेरी नजर में जो चीजें आवश्यक हैं, उनमें से सबसे जरूरी चीज अपनी अपेक्षाओं को वास्तविक रखना है। कई बार हम दूसरों से ऐसी अपेक्षा या उम्मीद रख लेते हैं, जो पूरी नहीं हो पाती हैं और इसी का अंतिम परिणाम निराशा के रूप में हमें भुगतना पड़ता है। अगर आप वास्तव में खुश रहना चाहते हैं तो आप अवास्तविक अपेक्षाओं से बचना शुरू कर दो। आइए, आज हम उन चार प्रमुख अपेक्षाओं को समझने का प्रयास करते हैं जो अंततः निराशा का कारण बनती हैं।
पहली अपेक्षा - दूसरों से यह उम्मीद करना कि वे आपको खुश करेंगे या रखेंगे
अक्सर हम यह मान लेते हैं कि हमारी ख़ुशी किसी और के हाथ में है और सोचने लगते हैं कि कोई और हमारी ज़िंदगी में आएगा और हमें खुश कर देगा। लेकिन सच्चाई इसके ठीक विपरीत है, असली ख़ुशी हमारे अंदर से आती है। अगर हम अपनी खुशियों के लिए दूसरों पर निर्भर रहेंगे, तो हमें बार-बार निराशा का सामना करना पड़ेगा। अगर आप वाकई खुश रहना चाहते हैं तो सबसे पहले खुद को समझने का प्रयास करें और अपनी ज़िंदगी को अपने तरीके से जीना शुरू करें। याद रखियेगा, आपकी खुशी आपकी अपनी ज़िम्मेदारी है। दूसरों से इसकी उम्मीद लगाना व्यर्थ है।
दूसरी अपेक्षा - यह मान लेना कि लोग बिना कहे आपकी भावनाएँ समझ लेंगे
अक्सर हम यह सोचते हैं कि हमारे करीबी लोग हमारे मन की बात बिना कहे समझ जाएंगे। लेकिन यह संभव नहीं है। हर इंसान के सोचने और समझने का तरीका अलग होता है। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि लोग आपकी भावनाओं को समझें, तो आपको उन्हें खुलकर बताना होगा। अन्यथा चुप रहने से या इशारों में बातें करने से चीज़ें उलझ सकती हैं और रिश्तों में गलतफहमियाँ पैदा हो सकती हैं। याद रखियेगा, अपनी भावनाएँ साफ़ और सीधे तरीके से व्यक्त करना ही खुश रहने का आसान और बेहतर तरीका है।
तीसरी अपेक्षा - यह उम्मीद करना कि हर कोई आपसे सहमत होगा
हम सभी की अपनी राय और विचार होते हैं। लेकिन कई बार हम यह उम्मीद कर बैठते हैं कि हर कोई हमारी सोच से सहमत होगा और जब ऐसा नहीं होता, तो हमें गुस्सा या निराशा होती है। हकीकत में तो हर व्यक्ति का अपना नजरिया होता है, और यह ज़रूरी नहीं कि वह हमारे विचारों से मेल खाए। खुश रहते हुए ज़िंदगी जीने का बुद्धिमत्ता भरा तरीका तो यह है कि हम मतभेदों को स्वीकार करें और दूसरों की राय का सम्मान करें। याद रखियेगा, दुनिया में विविधता है, और यही इसे खूबसूरत बनाती है। मतभेदों को सहजता से स्वीकारें और ख़ुश रहें।
चौथी अपेक्षा - यह सोचना कि आप किसी और को बदल सकते हैं
अक्सर हम चाहते हैं कि लोग हमारे हिसाब से बदल जाएँ। इसलिए ही हम यह सोचते हैं कि अगर सामने वाला बदल जाएगा, तो चीज़ें बेहतर हो जाएँगी। लेकिन सच्चाई यह है कि हम किसी को तब तक नहीं बदल सकते हैं, जब तक कि वह खुद नहीं बदलना चाहे। दूसरों को बदलने की कोशिश करना मेरी नज़र में तो सिर्फ़ तनाव और निराशा बढ़ाता है। इससे बेहतर तो यह होगा कि हम लोगों को उसी रूप में स्वीकार करें जैसे वे हैं, या फिर अपने नज़रिये में बदलाव लाएँ। याद रखिएगा, बदलाव केवल आत्म-प्रेरणा से आता है, किसी के दबाव से नहीं।
अंत में इतना ही कहना चाहूँगा कि अगर आपका लक्ष्य ख़ुश रहना है, तो वास्तविकता को अपनाएँ। अर्थात् खुश रहने के लिए हमें अपनी अपेक्षाओं को वास्तविक रखना होगा। जब हम दूसरों पर अपनी खुशियों की ज़िम्मेदारी डालते हैं, बिना कहे समझे जाने की उम्मीद करते हैं, सबको अपनी बात से सहमत करवाना चाहते हैं, या किसी को बदलने की कोशिश करते हैं, तब हमें केवल निराशा ही हाथ लगती है। इसलिए दोस्तों, अपनी खुशी खुद तय करें; खुलकर अपनी भावनाएँ व्यक्त करें; मतभेदों को स्वीकारें; लोगों को उनके तरीके से जीने दें। अगर हम इन चीज़ों को समझ लेंगे, तो हमारा जीवन और अधिक सुखद और शांतिपूर्ण हो जायेगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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