top of page
Search

विचार, आदत और कर्म से बनाएँ अपनी क़िस्मत…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Sep 16, 2023
  • 3 min read

Sep 16, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, अक्सर आपने देखा होगा लोग अपनी असफलता के लिए दूसरों को ज़िम्मेदार ठहराते हैं। ऐसे लोगों के जीवन में जो कुछ भी अच्छा घटता है, वह तो इन्होंने ख़ुद ने करा होता है और जो कुछ भी ग़लत होता है, वह हमेशा दूसरों की वजह से होता है। अगर आप इनसे चर्चा करेंगे तो पायेंगे की ख़ुद की नज़र में यह लोग अपना हर काम सर्वश्रेष्ठ तरीक़े से करते हैं। लेकिन उसके बाद भी अगर अनपेक्षित परिणाम मिले तो ये लोग उसके लिए अक्सर दूसरों को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनकी कमियों, ग़लतियों या फिर अज्ञानता को गिनाने लगते हैं। कुल मिलाकर कहूँ तो यह लोग अनपेक्षित परिणामों के लिए लोगों को दोष देते हुए अपना जीवन जीते हैं।


यह स्थिति कुछ ऐसी है, जैसे, रात के अंधेरे के लिए सूरज को ज़िम्मेदार ठहराना। आप स्वयं सोच कर देखिए दोस्तों, अंधेरे के लिए क्या वाक़ई सूरज ज़िम्मेदार है? चलिए मान लीजिए कि अगर सूरज ज़िम्मेदार भी है, तो भी क्या सूरज को सही करना आपके हाथ में है? नहीं ना, तो फिर सूरज को गलती के लिये ज़िम्मेदार ठहराने का क्या फ़ायदा? चलिए, एक और स्थिति पर विचार करके देख लेते हैं। मान लीजिए, आपके बार-बार टोकने पर सूरज अपनी गलती स्वीकार भी लेता है, तो क्या आप अंधेरे से बच पायेंगे? नहीं ना! तो फिर क्या आप सूरज को टोक कर, डाँटकर ख़ुद में बदलाव लाने के लिए राज़ी कर सकते हैं? नहीं ना! तो फिर आप ही बताइये, जिस बात का अंतिम परिणाम हर स्थिति में सकारात्मक और मनमाफिक आना ही नहीं है, उस पर इतना समय और ऊर्जा क्यों बर्बाद की जाये? इससे बेहतर होगा की हम किसी और स्थिति पर विचार करें।


चलिए इस आधार पर अब हम अपना ध्यान एक नई स्थिति पर केंद्रित करते हैं। मान लीजिए, अंधेर की स्थिति में हम सूरज को दोष देने के स्थान पर एक दिया जला देते तो क्या होता? क्या तब भी हमें अंधेरे में रहना पड़ता? नहीं ना! इसका अर्थ हुआ सोच बदलते ही परिणाम बदल गये। अर्थात् गलती किसकी थी, क्यों हुई आदि पर चर्चा करने के स्थान पर हमने समाधान पर ध्यान लगाया तो अंतिम परिणाम अपने आप बदल गया। दूसरे शब्दों में कहूँ तो समस्या को हल करने में इस बात को जानने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी की समस्या पैदा किसने करी थी। हमने तो अतीत में जो भी परिणाम मिला था उसे स्वीकार करा और उसके बाद मनचाहे परिणाम को पाने के लिए क्या किया जाना चाहिये, इस पर विचार करा; उसे पहचाना और फिर उस पर योजनाबद्ध तरीक़े से कार्य करा। इतना करते ही हमें मनचाहा परिणाम अपने आप मिल गया।


इस आधार पर कहा जाये तो जीवन में मिलने वाले हर तरह के परिणाम के लिए हम ख़ुद ज़िम्मेदार हैं। अर्थात् सफलता और असफलता दोनों के लिए हम ख़ुद ज़िम्मेदार हैं। जी हाँ दोस्तों, ‘ब्लेम गेम’ खेलना, हमें जीवन में कहीं भी नहीं ले जाता है। यक़ीन मानियेगा, हमारी सफलता की राह में सबसे रोड़े हम ख़ुद ही हैं। अगर हम ख़ुद में बदलाव ले आयेंगे तो हम अपना जीवन बेहतर बना पायेंगे। याद रखियेगा, अपने जीवन में सफलता की क्रांति लाने का काम हमारा ही है। हम ही वो इंसान है, जो अपनी ख़ुशी, अपनी समझ और अपनी सफलता को प्रभावित कर सकते है। हम ही वह इंसान हैं, जो अपनी खुद की मदद कर सकते है। जी हाँ साथियों, इस दुनिया में हमारा सबसे अच्छा और सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता ख़ुद के साथ ही है। इसलिए आइये अपने विचारों, अपने कर्मों, अपनी आदतों के साथ इस रिश्ते को और बेहतर बनाते हैं और अपनी नियति अपनी क़िस्मत का निर्माण करते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

 
 
 

Comments


bottom of page