Mar 8, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

Feb 24, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
विनम्र और शांत रहने के लिए 5पी अपनाएँ…
दोस्तों, अक्सर आप देखेंगे जीवन में मिलने वाली छोटी-बड़ी सफलताएँ ही हमारे मन में अहंकार को जन्म देती हैं क्योंकि सफलता हमें इस बात का एहसास करवाती है कि हमने अपने जीवन में कितना कुछ प्राप्त कर लिया है।’ यह एहसास या यह सोच हमारे अंदर एक नए भाव को जन्म देती है कि ‘हम सबसे बेहतर हैं!’ यह नई सोच हमारे भीतर पैदा हुए अहंकार को बीतते समय के साथ और ज़्यादा बढ़ा देती है, जो भविष्य में हमारे लिए नुकसानदायक साबित होता है।
चलिए! मेरे एक साधारण से प्रश्न का उत्तर दीजिए, ‘एक पत्थर को जब पानी में डाला जाता है, तो वो हमेशा नीचे क्यों डूब जाता है?’ आप कहेंगे, निश्चित तौर पर उसके वज़न के कारण। ठीक वैसे ही अहंकार का बोझ भी हमें जीवन में नीचे गिरा देता है। जबकि इसके ठीक विपरीत विनम्रता, यानी नम्रता, वह गुण है जो हमें जीवन में ऊपर उठाती है। इसलिए दोस्तों, सफलता की ऊंचाइयों को छूने के बाद भी ज़मीन से जुड़े रहें। तभी आप अपने मनुष्य जीवन को सार्थक कर पायेंगे। आइए, आज हम उन 5पी को जानने का प्रयास करते हैं जो हमें विनम्र और शांत बनाते हुए, हमारी ज़िन्दगी को बदल देते हैं।
1. प्रेयर याने प्रार्थना
अपने दिन की शुरुआत एक सच्ची प्रार्थना के साथ करें। प्रार्थना मन को शांति देने के साथ-साथ आपके अहंकार को कम करती है।
2. पीस याने शांति विपरीत और चुनौती भरी परिस्थितियों या दैनिक जिम्मेदारियों के बीच आने वाली विषम या नकारात्मक परिस्थितियों के बीच हर हाल में ख़ुद को शांत रखें। याद रखिएगा, क्रोध में अच्छा निर्णय लेना संभव नहीं है।
3. प्रायोरिटी याने प्राथमिकता
जीवन में सही संतुलन बनाए रखने के लिए सही चीजों को प्राथमिकता देना आवश्यक है। अगर आपको पता नहीं होगा कि आपके लिए क्या ज़रूरी है और क्या नहीं, तो अक्सर आप स्वयं को विषम परिस्थितियों में पायेंगे, जो अंततः आपकी शांति को भंग कर देगा।
4. पॉजिटिविटी याने सकारात्मकता
यकीन मानियेगा जीवन में घटने वाली हर घटना हमारे जीवन को पूर्णता की ओर ले जाती है। इसलिए हर स्थिति में अच्छाई को देखना सीखें। याद रखियेगा, सकारात्मक सोच आपको कभी हारने नहीं देगी।
5. पेशेंस याने धैर्य
धैर्य, हमारे जीवन की सबसे बड़ी कुंजी है। यह आपको विषम से विषम परिस्थिति में भी मनचाहा परिणाम प्राप्त करने में मदद करती है।
चलिए दोस्तों, अब हम महात्मा गांधी द्वारा बताई गई एक बेहद प्रसिद्ध तीन बंदरों की प्रतीकात्मक कहानी पर चर्चा कर लेते हैं। इस कहानी में हमें तीन प्रतीकात्मक बंदरों के माध्यम से बताया था कि बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो और बुरा मत सुनो। लेकिन दोस्तों, आप अगर इस विषय में गंभीरता के साथ सोचेंगे तो पायेंगे कि एक चौथा बंदर भी है, जो कहता है, ‘बुरा मत करो!’ यह बंदर हमें याद दिलाता है कि देखना, बोलना, सुनना — आदि सब तो ठीक है, लेकिन सबसे जरूरी चीज कर्म है।
सोच कर देखियेगा दोस्तों, बुरा काम करने से बचना ही असली मानवता है। आज के दौर में जब लोग दूसरों को गिराने में लगे हैं, तब ये चौथा बंदर हमें याद दिलाता है कि किसी के साथ बुरा करना कभी सही नहीं होता। इसलिए आज मैं आप सभी को एक बेहद सरल संदेश देना चाहता हूँ, जितनी ऊँचाई पर पहुँचो, उतना ही विनम्र बनो और इसलिए अपने जीवन में उपरोक्त 5पी को अपनाओ और आगे बढ़ो। और हाँ, आज से तीन नहीं, चार बंदरों की सीख याद रखो!
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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