Dec 30, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, यक़ीन मानियेगा यह ज़िंदगी बिल्कुल वैसी ही है जैसी आप इसे मानते हैं यानी जैसा आप इसके विषय में सोचते हैं। अगर आपको लगता है कि यह बहुत हसीन है तो भी आप सही हैं और अगर आपको लगता है कि यह एक टेंशन या बोझ है तो भी आप सही हैं। इसी तरह अगर आप ख़ुद को क़िस्मत का धनी या क़िस्मत वाला मानते हैं तो भी आप सही है और अगर आप ख़ुद को फूटी क़िस्मत वाला मानते हैं तो भी आप सौ प्रतिशत सही हैं। चलिए, अपनी बात को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।
बात कई साल पुरानी है, राजू स्वयं को फूटी हुई क़िस्मत का माना करता था। उसका मानना था कि उसका कोई भी काम एक बार में सही हो ही नहीं सकता है। इसीलिए वह हमेशा मन में शंका रख कार्य किया करता था कि वह सफल होगा भी या नहीं। वह अक्सर दुखी और परेशान रहा करता था। अनावश्यक रूप से चिंतित रहने के कारण वह ख़ुद को बहुत दबाव और तनाव में महसूस किया करता था और इसी वजह से उसका स्वभाव चिड़चिड़ा और ग़ुस्सैल हो गया था।
हालाँकि लोग उसके बारे में कुछ और ही राय रखा करते थे। सभी उसे मेहनती और ज्ञानी माना करते थे। एक दिन राजू के गाँव में एक महात्मा का आगमन हुआ, राजू ने उन्हें अपनी समस्या के विषय में बताया और उनसे समाधान पूछा। राजू की बात सुन संत मुस्कुराए और अपने झोले में से कुछ निकालते हुए बोले, ‘वत्स! मैं तुम्हें एक चमत्कारी ताबीज़ देता हूँ। यह ताबीज़ पहनते ही तुम्हारी सारी समस्यायें और बाधाएँ दूर हो जाएँगी और तुम मनचाहा परिणाम पाने लगोगे। लेकिन इसके लिए तुम्हें चौबीस घंटे शमशान में रहना पड़ेगा।’ शमशान का नाम सुनते ही राजू घबरा गया और हकलाते हुए बोला, ‘म…म…म… मैं शमशान में अकेला कैसे रहूँगा?’ महात्मा ने राजू के कंधों पर हाथ रख और उसकी आँखों में आँखें डालते हुए बोले, ‘घबराओ मत! यह कोई साधारण ताबीज़ नहीं है, इसे अभिमंत्रित कर सिद्ध किया गया है। यह हर पल तुम्हारी रक्षा करेगा।’ डरते-डरते राजू ने वह रात शमशान में गुज़ारी और सुबह होते ही संत के पास पहुँच गया और सीधे उनके चरणों में गिरकर बोला, ‘आप तो महान हैं और आपका ताबीज़ वाक़ई दिव्य शक्तियों वाला है। वरना मेरे जैसा डरपोक व्यक्ति रात भर शमशान में रहने के बाद ज़िंदा कैसे बच सकता था। अब तो मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि आपकी कृपा और ताबीज़ की शक्ति के कारण मैं सफल भी हो जाऊँगा।
इस घटना ने राजू को पूरी तरह बदल दिया था। अब उसे किसी भी कार्य को हाथ में लेने में डर नहीं लगता था क्योंकि वह जानता था कि ताबीज़ की शक्ति उसे किसी भी हाल में असफल नहीं होने देगी और धीरे-धीरे हुआ भी यही… राजू अब असफल नहीं सफल लोगों की गिनती में आ गया था।
कई साल ऐसे ही गुजर गए, एक दिन उन्हीं संत का वापस राजू के गाँव में आना हुआ। जैसे ही यह बात राजू को पता चली वो दौड़ता हुआ उनके पास पहुँचा और बार-बार धन्यवाद कहते हुए अपनी सफलता की कहानी सुनाने लगा और साथ ही ताबीज़ की महत्ता बताने लगा। अचानक ही संत ने राजू को रोका और बोला, ‘राजू बेटा तुम्हारी सफलता के विषय में सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा। ज़रा अपना ताबीज़ तो मुझे दिखाओ।’ राजू ने तुरंत हाथ में बंधे ताबीज़ को खोल कर संत को दे दिया। संत ने उस ताबीज़ को खोला और राजू को दे दिया। खुला ताबीज़ देखते ही राजू के होश उड़ गए क्योंकि उस ताबीज़ में कुछ था ही नहीं। वह तो सिर्फ़ धातु का एक खोल था। कुछ पलों की शांति के बाद राजू बोला, ‘गुरुजी, यह तो एकदम मामूली ताबीज़ का खोल है। पर मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि इसने मुझे सफलता कैसे दिलाई? इसमें तो कुछ है ही नहीं।’ संत मुस्कुराते हुए बोले, ‘तुम सही कह रहे हो राजू इस ताबीज़ में कुछ है ही नहीं। तुम्हें सफलता इस ताबीज़ से नहीं बल्कि अपने विश्वास, हुनर और मेहनत की वजह से मिली है।’
बात तो दोस्तों, संत की एकदम सही थी ईश्वर ने हम सभी को एक विशेष शक्ति के साथ इस दुनिया में भेजा है। वह है ‘विश्वास की शक्ति।’ अगर आप इसका प्रयोग किए बिना किसी क्षेत्र में काम करेंगे तो बहुत ज़्यादा संभावना है कि आपको सफलता नहीं मिल पायें और विश्वास की शक्ति के साथ प्रयास करेंगे तो दुनिया की कोई ताक़त आपको सफल होने से रोक नहीं पाएगी। इसलिए दोस्तों किसी ताबीज़, किसी चीज या क़िस्मत पर विश्वास करने के स्थान पर ख़ुद पर विश्वास करना शुरू करो, फिर देखना सफलता कितनी जल्दी आपके कदम चूमेगी।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
Commentaires