Dec 01, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक क़िस्से से करते हैं, जिसे मैंने सोशल मीडिया पर पढ़ा था। हालाँकि यह सही है या नहीं, मुझे नहीं पता लेकिन इस क़िस्से में छिपी सीख विपरीत दौर में हमारे जीवन को एक नई दिशा दे सकती है। तो चलिए शुरू करते हैं-
बात कुछ साल पुरानी है, एक सज्जन अपने व्यवसायिक कार्य से कहीं जाने के लिए एक विमान को बोर्ड करते हैं और अपनी निर्धारित सीट पर पहुँच जाते हैं। वहाँ वे यह देख हैरान रह जाते हैं कि उनके सहयात्री के रूप में वहाँ ७-८ साल की एक लड़की बैठी है। वे उत्सुकतावश उस बच्ची से बात करना शुरू कर देते हैं और फ्लाइट के दौरान यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि उसे किसी प्रकार की परेशानी ना हो। दूसरी ओर बच्ची ख़ुद को चित्रकारी में व्यस्त रखें हुई थी।
उड़ान के दौरान अचानक ही पायलट ने एनाउन्स किया कि सभी यात्री अपनी सीट बेल्ट बांध लें क्योंकि आगे मौसम ख़राब होने की संभावना है। सूचना के कुछ देर बाद ही एयर टर्बुलेन्स याने ख़राब मौसम के कारण विमान ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगा। ऐसा लग रहा था मानो वह अब दुर्घटनाग्रस्त हुआ, कि तब। विमान में बैठे सभी यात्री घबरा गए। कोई भगवान को याद कर रहा था, तो कुछ तो रोने लगे। लगभग सभी यात्री, इस फ्लाइट से यात्रा करने के अपने निर्णय के कारण ख़ुद को कोस रहे थे। उस छोटी सी लड़की के पास बैठा व्यवसायी भी पसीना-पसीना हो गया था और डर व घबराहट के कारण अपनी सीट को ज़ोर से याने कस कर पकड़े हुए बैठा था। साथ ही विमान में टरबुलेंस के कारण लगने वाले हर झटके के साथ ‘हे प्रभु!’ चिल्ला रहा था। इस सब के बीच उस ७-८ वर्षीय लड़की ने अपने हाथ में पकड़े क्रेयोंस और ड्राइंग कॉपी को सीट के सामने वाली जेब में बड़े क़रीने से रखा और पूरी तरह शांत बैठी रही। अविश्वसनीय रूप से, वह बिल्कुल भी चिंतित या डरी हुई नहीं लग रही थी।
कुछ देर पश्चात जब मौसम साफ़ हुआ और विमान ने हिचकोले खाना बंद कर दिया, तब उस बच्ची के पास बैठे व्यवसायी सहित सभी यात्रियों की जान में जान आई। उस व्यवसायी ने ख़ुद को सम्भालते हुए उस छोटी सी बच्ची से कहा, ‘मैंने आज तक तुम्हारे जैसी बहादुर लड़की नहीं देखी। जब सब यात्री डरे हुए थे तब भी तुम एकदम शांत और निश्चिंत बैठी थी। क्या तुम्हें हिचकोले खाते विमान में डर नहीं लग रहा था?’ उस बच्ची ने उस व्यवसायी की आँखों में आँखें डाल कर मुस्कुराते हुए कहा, ‘बिलकुल भी नहीं क्योंकि इस विमान को मेरे पिताजी उड़ा रहे हैं और हम दोनों अपने घर जा रहे हैं।’
उस छोटी सी बच्ची का जवाब और उसका हाव भाव; उसके अपने पिता के प्रति विश्वास और ख़ुद के आत्मविश्वास को दर्शा रहा था, जिसे देख वह व्यवसायी पूरी तरह अचंभित था। उसने पूरे घटनाक्रम को एक बार फिर अपने मन में दोहराया और सोचने लगा, ‘क्या मैं ख़ुद पर और अपने ईश्वर पर इतना भरोसा रख सकता हूँ, जिसने मुझे इस सुंदर दुनिया को देखने का अवसर दिया है।?’
दोस्तों, उस व्यापारी के अंतर्मन ने क्या जवाब दिया होगा आप उसका अंदाज़ा बहुत अच्छे से लगा सकते हैं। हम सब कहने को तो ईश्वर पर पूरा भरोसा करते हैं और उनसे अपने जीवन को बेहतर बनाने की प्रार्थना भी करते हैं। लेकिन विपरीत परिस्थितियों में डगमगा जाते हैं अर्थात् दबाव, तनाव और विपरीत स्थितियों के दौर में जब हमें सही मायने में ईश्वर पर भरोसा करते हुए शांत रहना चाहिये, तब हम हड़बड़ाहट या बेचैनी दिखाते हुए दुखी और परेशान रहने लगते हैं। याद रखियेगा साथियों, सच्चा विश्वास वास्तव में एक अकथनीय गुण है, जो हमें निडर और साहसी बना कर सफलता की ओर ले जाता है। इसे आप अपनी ज़िंदगी को सुगम बनाने वाली सर्वव्यापी शक्ति भी मान सकते हैं। इसलिए दोस्तों हमेशा, हर हाल में ख़ुद पर और हमें जन्म देने वाले इस ईश्वर पर विश्वास रखें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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