Nov 5, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
राजस्थान के अलवर शहर में ग्रोथ कंसलटेंसी के अपने कार्य के दौरान आज फिर एक सज्जन ने मुझसे हर पल ऊर्जावान और सकारात्मक रहने का राज पूछते हुए कहा, ’सर!, मैं तो हैरान हूँ आपको देखकर पता नहीं कैसे आप इतना सकारात्मक रह, अपने मोटिवेशन को बरकरार रख लेते हैं? मैं तो तमाम प्रयास करके देख चुका हूँ। ज़िंदगी की आपा-धापी और रोज़मर्रा में मिले नकारात्मक अनुभवों में मोटिवेशन और सकारात्मकता कहाँ गुम हो जाती है, पता ही नहीं चलता है।’ प्रश्न सुन मेरे पास मुस्कुराने के सिवा कोई दूसरा ऑप्शन ही नहीं था क्यूँकि मेरा मानना है हम सब के पास ‘हर हाल में खुश और ऊर्जावान रहने’ के अलावा विकल्प ही क्या है?
ख़ैर, प्रश्न पूछा था तो जवाब देना भी ज़रूरी था। मैंने बात बढ़ाते हुए कहा, ‘सर!, आपके हाव-भाव और पहनावे को देख कर लग रहा है कि आप बढ़िया नहा-धो कर तैयार हो कर आए हैं।’ मेरी बात सुन वे मुस्कुरा दिए। मैंने बात आगे बढ़ाते हुए उनसे अगला प्रश्न किया, ‘क्या आप रोज़ ऐसे ही नहा कर, तैयार होकर कार्यालय आते हैं?’ वे उसी मुस्कुराहट के साथ बोले, ‘बिलकुल!’ मैंने तुरंत उनपर अगला प्रश्न दागा, ‘क्यों?’ वे बोले, ‘दिन भर की गंदगी, आलस से मुक्त होने के लिए।’ मैंने अगला प्रश्न करते हुए कहा, ‘सर!, बस मेरे अंतिम प्रश्न का उत्तर और दे दीजिए, आपसे किसने कहा था कि आप गंदे हो गए हैं या आपके अंदर आलस भर गया है।’ वे बोले, ‘किसी ने कहा नहीं, मुझे स्वयं ऐसा लगता है और दूसरी बात रोज़ नहाना और अच्छे से रहना मेरी आदत का भी हिस्सा है।’ इस बार मैंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘बस, यही आपको रोज़ ऊर्जावान अर्थात् मोटिवेटेड और सकारात्मक रहने के लिए भी करना होगा।’
असल में दोस्तों, जिस तरह प्रतिदिन हमारा तन बाहरी वातावरण के सम्पर्क में आने से ख़राब या गंदा होता है, ठीक उसी तरह रोज़मर्रा के अनुभव हमारे मन पर भी प्रभाव डालते हैं। अगर अनुभव अच्छे और सकारात्मक होंगे, तो मन ऊर्जावान और सकारात्मक रहेगा और अगर अनुभव नकारात्मक होंगे तो उसका प्रभाव भी वैसा ही होगा। याद रखिएगा, मन में आप जिस तरह के बीज बोते हैं, वे ही कई गुना बढ़कर आपके पास वापस आते हैं। इसीलिए मैं सभी को सुझाव देता हूँ कि अच्छे और सकारात्मक लोगों के साथ के लिए ऐसे समूह या ट्रेनिंग से जुड़ो जहाँ सम्भावनाओं, असीमित क्षमताओं, लक्ष्यों पर सकारात्मक रूप से चर्चा होती है, फिर चाहे इसके लिए आपको पैसा, समय या ऊर्जा अथवा तीनों ही क्यूँ ना खर्च करना पड़े।
जी हाँ साथियों, अगर आपका लक्ष्य अपने जीवन को पूर्णता के साथ जीना या उसे उच्च बनाना है तो प्रतिदिन स्वाध्याय के साथ श्रेष्ठ पुरुषों की उत्तम रचनाएँ को पढ़ना, सत्संग करना शुरू करना होगा। जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने का इससे अच्छा कोई और उपाय हो ही नहीं सकता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे ख़रबूज़े को देख ख़रबूज़ा रंग बदलता है या पारस पत्थर के छू जाने से लोहा भी सोना बन जाता है। विचारवान, श्रेष्ठ पुरुषों के साथ की गई चर्चा या सवाल जवाब अथवा सिर्फ़ उनका साथ आपको उनका आचरण, आदर्श और स्वभाव समझने का मौक़ा देता है और उसका अनुकरण करने की प्रेरणा देता है, जिसकी सहायता से आप अपने जीवन को एक नई दिशा और ऊर्जा दे पाते हैं। इसके विपरीत अगर आपके आस-पास बुरा प्रभाव डालने वाला वातावरण है तो सावधान हो जाएँ। यह आप पर नकारात्मक प्रभाव डाल, ऊर्जा को खत्म करेगा।
दोस्तों, अगर आपका लक्ष्य हर पर ऊर्जावान अर्थात् मोटिवेटेड और सकारात्मक रहना है, तो सिर्फ़ एक बात को याद रखें आपको अपने मन को भी तन की तरह स्वच्छ रखना होगा और यह शक्ति सत्संग में है। इसलिए हमेशा अच्छे साथ के लिए प्रयत्नशील रहें। इसीलिए तो शायद प्रसिद्ध विचारक वेकन ने कहा है, ‘मनुष्य कोरे कागज के समान है। उसके पतन और उन्नति बहुत कर निकटस्थ प्रभाव के ऊपर निर्भर है। इसलिए अपने को बुरे भावों से बचाने और अच्छे प्रभावों की छाया में लाने का सदैव प्रयत्न करते रहिए।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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