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शांति से जीना हो तो सीखें प्रभु को अर्पण करना…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Nov 29, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक आध्यात्मिक कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, एक बार भगवान विष्णु ने खुश होकर अपने पास आने वाले लोगों को उपहार में कुछ ना कुछ देना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में यह बात तीनों लोक में फेल गई और लोग झुंड के झुंड में उनके पास पहुँचने लगे और भगवान विष्णु से आशीर्वाद के रूप में उपहार प्राप्त करने लगे।


जब सब भक्त चले गए तब माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से कहा, ‘हे नाथ! आज आपने अपने स्वभाव के विपरीत भक्तों को उपहार देते समय एक चीज को अपने पैर के नीचे छुपा लिया था। प्रभु, मैं आपकी इस माया को समझ नहीं पाई, कृपया इस रहस्य से पर्दा उठाइये।’ माता लक्ष्मी की बात सुन भगवान विष्णु पहले तो सिर्फ़ मुस्कुराते रहे, फिर कुछ देर पश्चात धीमे से बोले, ‘हे देवी, मेरे पैरों के नीचे शांति है, इसे मैं ऐसी चीज के रूप में देखता हूँ, जिसे इंसान ख़ुद अपने कर्मों से अर्जित करें। धन-दौलत, सुख-सुविधा तो सभी के पास हो सकती है लेकिन शांति कुछ दुर्लभ लोगों के पास ही होगी। वैसे तो इसे मैं सबको देना चाहता हूँ, पर मनुष्य को इसका मूल्य समझाने के लिए ऐसा करना आवश्यक है। आने वाले समय में जो भी मनुष्य इसे पाने के लिए तत्पर होगा; जिसके सारे प्रयास मुझ तक या शांति तक पहुँचने के लिये होंगे, वह ही इसे पा पाएगा।’ इतने में शांति भगवान विष्णु से आज्ञा लेकर बोली, ‘हे जगत माता!, भगवान विष्णु ने मुझे अपने पैरों के नीचे नहीं छिपाया बल्कि मैं स्वयं उनके पैरों के नीचे जाकर छिपी हूँ क्योंकि मैं याने शांति तो किसी भी जीव को केवल हरि चरणों के नीचे ही मिल सकती है। कहते हैं तब से ही सुख-समृद्धि की जननी माता लक्ष्मी भी शांति प्राप्ति हेतु श्री हरि के चरणों की सेवा नित्य करती है।


दोस्तों, थोड़ा सा समय निकाल कर सोच कर देखिए जब धन-दौलत, सुख-समृद्धि और वैभव की जननी माता लक्ष्मी शांति प्राप्त के लिए भगवान विष्णु के चरणों की सेवा करती है। ऐसे मैं हमारा धन-दौलत को सर्वोपरि मानना कहाँ तक उचित है? इसीलिए दोस्तों, हमारे समाज में सब कुछ ईश्वर को अर्पण करते हुए जीना सिखाया जाता है। इसी बात को दूसरे शब्दों में कहूँ तो हमारा धर्म, हमारा समाज हमें हर पल कृतज्ञता के भाव के साथ जीने के लिए प्रेरित करता है। ताकि हम ख़ुद को अहंकार से बचा सकें और प्रभु के प्रति भक्ति का भाव रखते हुए, शांति को पा सकें।


दोस्तों, आप भी सोच रहे होंगे कि चकाचौंध भरी इस दुनिया में याने आज के हालातों में इन बातों का क्या महत्व? लेकिन अगर आप इतिहास के पन्नों से लेकर आज के युग के अमीरों की ज़िंदगी को जरा क़रीब से जाकर देखेंगे, तो पाएँगे कि कई धनी लोग अपना सब कुछ त्याग कर शांति की खोज में लगे हुए हैं। अगर आप सहमत ना हों तो रेमंड के मालिक सिंघानिया जी के जीवन के बारे में जानकारी इकट्ठा करके देख लीजियेगा। आप निश्चित तौर पर समझ जाएँगे कि जीवन में सबसे ज़रूरी और आवश्यक चीज है, ‘मन की शांति।’ इसलिए दोस्तों, अपनी संपत्ति को सब कुछ मानने के स्थान पर उसे ईश्वर का आशीर्वाद मानें और उसका सदुपयोग करें।


दूसरी बात, प्रभु को सब कुछ अर्पण करने का अर्थ यहाँ सब कुछ दान देकर पूजा-पाठ या भक्ति में लग जाना नहीं है। यहाँ इसका तात्पर्य अपना पूर्ण देने याने कर्म करने के बाद मिले फल को प्रभु का आशीर्वाद या प्रसाद मान स्वीकारने से है। ऐसा करना आपको मोह-माया और लोभ याने लालच से दूर रखेगा और आप अपनी ज़िम्मेदारियों और जवाबदारियों को पूर्ण करने के साथ-साथ समाज का भी उत्थान कर पाएँगे। मेरी बात से सहमत ना भी हों दोस्तों, तो भी इस पर एक बार विचार कर देखियेगा ज़रूर…


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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