July 4, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक बहुत ही प्यारी कहानी से करते हैं, जो हमारे जीवन में एक नई आशा का संचार कर सकती है। बात कुछ साल पहले की है, माता-पिता की आशा के विपरीत बेटा बंटी आज अपने होमवर्क को लेकर ज़्यादा ही उत्साहित था। आप ऐसा भी कह सकते हैं कि इस मामले में आज गंगा उल्टी बह रही थी। अर्थात् रोज़ माता-पिता होमवर्क पूरा करने के लिए बच्चे के पीछे पड़े रहते थे, आज बच्चा होमवर्क पूरा कराने के लिए माता-पिता के पीछे पड़ा हुआ था।
बंटी ने जब पिता से एक बार फिर होमवर्क पूरा करवाने के लिए कहा, तो पिता लगभग चिढ़ते हुए बोले, ‘यह स्कूल वाले भी ना ऐक्टिविटी कराने के नाम पर कुछ भी नया काम दे देते हैं। उन्हें ज़रा भी ख़्याल नहीं रहता है कि बच्चा उनके पास पढ़ने के लिए आता है, ऐक्टिविटी करने के लिए नहीं।’ पति की चिड़चिड़ाहट भरी आवाज़ सुन, बंटी की मम्मी अंदर से बोली, ‘आज होमवर्क में ऐसा क्या दे दिया जो इतना चिढ़ रहे हो।’ उसी खीज के साथ बंटी के पिता बोले, ‘अपने लाड़ले से ही पूछ लो।’
माँ बंटी से कुछ पूछती उसके पहले ही बंटी बोला, ‘देखो ना माँ, पापा मेरा होमवर्क ही नहीं करा रहे। आज मेरी टीचर ने कहा है कि मैं 10 अनजान लोगों को गले लगाऊँ और उनसे बोलूँ, ‘धैर्य और भरोसा रखें, जल्द ही सब ठीक हो जाएगा और मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।’ माँ को बंटी का होमवर्क उचित लगा उन्होंने पति को इसकी महत्ता समझाते हुए बंटी की मदद करने का कहा। पिता ने कोई और उपाय ना देख, अनमने मन से बंटी को मॉल ले जाने का निर्णय लिया। उनका मानना था कि वहाँ बच्चे को एक ही जगह 10 लोग मिल जाएँगे और उसका होमवर्क पूरा हो जाएगा।
योजनानुसार लगभग आधे घंटे बाद, पिता बच्चे को मॉल लेकर जाने के लिए निकले। लेकिन तब तक तेज़ बरसात शुरू हो गई थी। पिता ने बच्चे को टालने का प्रयास करते हुए कहा, ‘बेटा, अभी तेज़ बारिश हो रही है, सम्भव है कि हमें मॉल में इस वक्त कोई मिले ही ना। बारिश रुकने के बाद चलना ज़्यादा अच्छा रहेगा।’ पिता की बात बीच में काटते हुए बच्चे ने उसी वक्त मॉल चलने के लिए कहा।
मॉल पहुँचकर बंटी हैरान था, तेज़ बारिश के कारण वहाँ कोई भी नहीं था। पिता ने वहाँ 1 घंटे रुककर किसी तरह बंटी को 9 लोगों से मिलवाया। बंटी ने भी शिक्षक द्वारा बताए अनुसार सभी लोगों को दिल से गले लगाया और कहा, ‘धैर्य और भरोसा रखें, जल्द ही सब ठीक हो जाएगा और मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।’ बंटी जिससे भी अपनी बात कह रहा था उन्हें एक अलग ही शांति महसूस हो रही थी और उनमें से कुछ तो भावुक भी होते जा रहे थे। लेकिन इसके विपरीत बंटी थोड़ा उदास था क्यूंकि उसका होमवर्क अभी भी अधूरा था। पिता ने उसे समझाते हुए कहा, ‘बेटा, अब जाने दो, भारी बारिश हो रही है और हमें अब समय से घर पहुँच जाना चाहिए।’ पिता की बात मान बेटा उदास मन से घर की ओर चल दिया। रास्ते में बंटी की नज़र एक वीरान से घर पर पर पड़ी, उसने पिता से निवेदन करते हुए कहा, ‘पिताजी, कृपया मुझे उस घर में रहने वाले व्यक्ति से मिल लेने दीजिए मेरा होमवर्क पूरा हो जाएगा।’
बच्चे की बात सुन पिता का दिल पसीज गया और उन्होंने मुस्कुराते हुए गाड़ी रोक दी। बंटी गाड़ी से उतरकर दौड़ते हुए उस घर तक गया और दरवाज़ा जोर-जोर से खटखटाने लगा। काफ़ी देर तक दरवाज़ा बजाने पर एक बुजुर्ग उदास महिला बाहर आई और अपने सामने छोटे से बच्चे को देखकर बोली, ‘मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकती हूँ बेटा?’ बंटी ने आँखों में चमक, चेहरे पर सुकून और मुस्कुराहट लिए दिल से गले लगाते हुए कहा, ‘धैर्य और भरोसा रखें, जल्द ही सब ठीक हो जाएगा और मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।’ बच्चे की बात सुनते ही वह महिला जोर-जोर से रोने लगी। बुजुर्ग महिला को इस तरह रोते देख पिता दौड़कर वहाँ पहुंचे और उसे ढाढ़स बँधाते हुए स्थिति समझने का प्रयत्न करने लगे। कुछ देर बाद जब वह महिला सामान्य हुई तो धीमे स्वर में बोली, ‘मेरे पति का देहांत कुछ दिन पूर्व हो गया था और अब इस दुनिया में मेरा अपना कोई नहीं बचा है। इस परेशानी को देख आज मैंने अपने जीवन को विराम देने का निर्णय लिया था। जब मैं अपने विचार पर अमल करने के बारे में सोच ही रही थी कि इस बच्चे ने ईश्वर का पैग़ाम मुझ तक पहुँचा दिया।’
दोस्तों, यह कहानी मैंने आप सभी को एक विशेष उद्देश्य से सुनाई है। अब जब विद्यालय में नवीन सत्र शुरू हो चुका है और हमारे बच्चे भी नियमित तौर पर विद्यालय जाने लगे है। ऐसे में हमें शिक्षा के मूल उद्देश्य को एक बार फिर से खुद को याद दिला लेना चाहिए। याद रखिएगा, शिक्षा का उद्देश्य बहुत सारी जानकारी इकट्ठा कर, रटना क़तई नहीं है। अपितु ज्ञान लेकर इंसानियत का भला करना, उसका मोल समझना है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो, उनमें एम्पेथि पैदा कर इंसानियत का भाव जगाना है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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