Oct 11, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, कम उम्र में काम करना शुरू करने के बाद भी मेरा कैरियर काफ़ी उतार-चढ़ाव वाला रहा था। कभी चीजें अपनी सोच के मुताबिक़ जाती हुई सकारात्मक लगती थी, तो कभी अचानक ही सब कुछ आशा के विपरीत होता नज़र आता था। इस दौरान एक दौर ऐसा भी आया था जब अचानक ही कंप्यूटर व्यवसाय बंद करने के निर्णय के कारण मुझ पर काफ़ी कर्जा हो गया था। उस वक़्त सही साथ होने के कारण मैंने कभी आशा तो नहीं खोई थी लेकिन एक प्रश्न हमेशा दिमाग़ में रहता था, ‘सबके लिए अच्छा करने की चाह और मूल्य आधारित जीवनशैली होने के बाद भी मेरे साथ यह सब क्यों घटित हो रहा है?’ मुझे बहुत अच्छे से याद है एक बार मैंने अपने गुरु से प्रश्न किया था, ‘सर, मैंने जानबूझकर कभी किसी का बुरा नहीं किया, किसी को धोखा नहीं दिया उसके बाद भी मेरे साथ सब ग़लत क्यों हो रहा है?’ उस वक़्त मेरे गुरु ने मुझे एक कहानी सुनाई जो इस प्रकार थी-
एक बार आकाशवाणी हुई कि भगवान इस धरती पर अपने हाथ से प्रसाद देने आ रहे हैं। आकाशवाणी सुनते ही सभी लोग एक क़तार में खड़े हो गये। इन्हीं लोगों में एक बहुत प्यारी सी दस साल की लड़की भी थी जो भगवान के हाथों से प्रसाद पाने और उन्हें देखने के लिए बड़ी उत्सुक थी। काफ़ी देर तक प्रतीक्षा करने के बाद उस लड़की का नंबर आया तो वह भगवान को देख और उनके हाथ से एक बहुत ही बड़ा, एकदम लाल सा सेव फल पा एकदम मंत्रमुग्ध हो गई और उछलते-कूदते वहाँ से अपने घर जाने लगी।
इसी उछल-कूद में उसके हाथ से सेव फल छूटकर नाली में गिर गया। कुछ पलों के लिए तो वह बहुत दुखी और उदास हुई लेकिन कुछ पलों बाद ख़ुद को सम्भालते हुए वापस से भगवान से फल पाने के इच्छुक लोगों की लाइन में लग गई। लेकिन इस बार वह लाइन पिछली बार के मुक़ाबले बहुत अधिक लंबी थी। वह चुपचाप हाथ जोड़े हुए अपनी बारी आने की प्रतीक्षा करने लगी। तभी उसका ध्यान भगवान के साथ चल रहे उस व्यक्ति पर गया जिसके हाथ में फलों की टोकरी थी। उस टोकरी में बहुत कम फल देख वह उदास हो गई। उसे लगने लगा कि कहीं मेरा नंबर आने के पहले भगवान के पास सभी फल ख़त्म ना हो जायें। लेकिन उसी पल उसे ध्यान आया कि भगवान तो सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण करने वाले होते हैं और उनका भंडारा कभी ख़त्म नहीं होता।
यह विचार आते ही वह एकदम शांत हो गई। कुछ ही देर में उसने देखा भगवान के साथ चल रहे व्यक्ति की टोकरी में सभी फल ख़त्म हो गए हैं लेकिन उसी वक़्त दूसरे व्यक्ति ने नये सेव फल की टोकरी लाकर भगवान के साथ चल रहे व्यक्ति को दे दी। कुछ ही पलों बाद उस बच्ची का नंबर आ गया। भगवान ने उस बच्ची के सर पर बहुत प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, ‘बेटी पिछली बार मैंने गलती से तुम्हें एक तरफ़ से सड़ा हुआ सेव फल दे दिया था। जैसे ही मुझे इस बात का एहसास हुआ मैंने तुम्हारे हाथ से सेव फल गिरवा दिया। फिर मैंने तुम्हें लंबी लाइन में इसलिए लगवाया ताकि तुम्हारा नंबर आने तक सेव फल की नई फसल आ जाये और मैं तुम्हें एकदम ताज़ा और अच्छा फल दे दूँ। इसीलिए तुम्हें इतनी देर इंतज़ार करना पड़ा। इस बार वाला सेब पिछले सेब के मुक़ाबले बहुत अच्छा है और इसलिए तुम्हारे लिए ज़्यादा उपर्युक्त है। भगवान की बात सुन बच्ची एकदम संतुष्ट हो गई।’
इतना कहकर मेरे गुरु कुछ पलों के लिए शांत हो गये और फिर बोले, ‘जिस तरह निर्मल भगवान ने अच्छा फल देने के लिए उस बच्ची को इंतज़ार करवाया ठीक उसी तरह संभव है ईश्वर तुम्हें कुछ बड़ा देने के लिए इंतज़ार करवा रहा हो। कुछ ही वर्षों में दोस्तों मेरे गुरु की कही बात सत्य साबित हुई और मुझे एहसास हुआ कि जीवन के हर तरह के अर्थात् अच्छे-बुरे अनुभव देकर ईश्वर मुझे एक अच्छे ट्रेनर और काउंसलर के रूप में तैयार कर रहा था। इसलिए दोस्तों, अगर आपके किसी कार्य में देरी हो रही हो तो उसे ईश्वर की इच्छा मान यह सोचकर स्वीकार कर लीजिएगा कि वह आपको किसी बड़ी सफलता के लिए तैयार कर रहा है। जैसे ही आप उसके अनुरूप तैयार हो जाएँगे वह आपको उपर्युक्त फल देंगे, तब तक बस आपको ईमानदारी से अपना नंबर आने की प्रतीक्षा करना होगी।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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