Dec 09, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक बहुत ही पुरानी कहानी से करते हैं। एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ पर्वतीय क्षेत्र से गुजर रहे थे। पर्वत के शीर्ष पर एक बड़ी चट्टान के पास सुरक्षित स्थान देख उन्होंने शिष्यों सहित वहीं विश्राम करने का निर्णय लिया। रात्रि भोज के पश्चात एक शिष्य संत के पास पहुँचा और उनसे बोला, ‘गुरुजी, वैसे तो यह पूरा इलाक़ा ही बहुत सुंदर और मोहक है, पर मुझे यहाँ सबसे सुंदर यह बड़ी चट्टान लगी है।’ संत ने जब इसकी वजह पूछी तो शिष्य बोला,‘गुरुजी, यह चट्टान इस दुनिया में सबसे ज्यादा मज़बूत है। मुझे लगता है इन पर किसी का शासन नहीं चलता होगा।’ शिष्य का जवाब सुन संत मुस्कुराए और बोले, ‘तुम्हें ऐसा क्यों लगता है वत्स?’ शिष्य एकदम गंभीर होता हुआ बोला, ‘गुरुजी ऐसा मैं इन चट्टानों के अटल, अविचल और कठोर स्वभाव को देख कर कह रहा हूँ।’ शिष्य का जवाब सुन संत मुस्कुराए और बोले, ‘ऐसा नहीं है वत्स! इन मज़बूत चट्टानों को लोहे के वार से तोड़ा जा सकता है।’
संत की बात सुन शिष्य बोला, ‘गुरुजी! तब तो लोहा सर्वशक्तिशाली हुआ?’ संत एक बार फिर मुस्कुराए और बोले, ‘नहीं, क्योंकि अग्नि अपनी गर्माहट से उसे पिघला सकती है; उसका रूप परिवर्तित कर सकती है।’ संत का जवाब सुन शिष्य थोड़ा विचलित होता हुआ बोला, ‘अग्नि को तो पानी शांत कर देता है। इसलिए मुझे तो लगता है, पानी ही सर्वशक्तिमान है।’ जवाब सुनते ही संत ठहाका मारकर हंसे और बोले, ‘नहीं वत्स, वायु का वेग जल याने पानी की दिशा बदल सकता है।’
शिष्य अब पूरी तरह दुविधा में था। वह थोड़ा खीजता हुआ बोला, ‘अब अगर मैं आपको बोलूँगा की वायु सबसे शक्तिशाली है तो आप किसी और चीज को उससे ज्यादा बलशाली बता देंगे। इसलिए मेरा आपसे निवेदन है कि आप तो मुझे सिर्फ़ यह बता दें कि इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली क्या है।’ प्रश्न सुन संत एकदम गंभीर हो गये और बोले, ‘वत्स! इस दुनिया में सबसे ज़्यादा शक्तिशाली मनुष्य की संकल्प शक्ति है।’
बात तो दोस्तों, संत की एकदम सही थी क्योंकि हमारे पास इस दुनिया में अनेकों उदाहरण है, जिसमें इंसान ने अपनी संकल्पशक्ति से असम्भव से लगने वाले अनेकों कार्यों को संभव बनाया है। जैसे उसने अपनी संकल्प शक्ति से धरती पर निर्माण किया हैं, तो दूसरी ओर उसने जल को रोकने के लिए बांध बनाए है। इसी तरह वह अग्नि और वायु को भी नियंत्रित करता है। कुल मिलाकर कहा जाए साथियों तो इंसान अपनी संकल्पशक्ति से कुछ भी कर सकता है। अगर वह चाहे तो चाँद के पार भी जा सकता है और तारों को तोड़ कर भी ला सकता है।
लेकिन दोस्तों अगर आप थोड़ा गंभीरता के साथ इस विषय में सोचेंगे तो पायेंगे कि इस दुनिया में ज़्यादातर लोग अपनी इस क्षमता को कभी पहचान ही नहीं पाते हैं और परेशान व दुखी रहते हैं। दोस्तों थोड़ा गंभीरता के साथ सोच कर देखियेगा जब इस संकल्पशक्ति से पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि को नियंत्रित किया जा सकता है तो क्या ख़ुद को नहीं बदला जा सकता? निश्चित तौर पर बदला जा सकता है, साथियों। बस आपको संकल्पशक्ति की सहायता से अपने भीतर व्याप्त कठोरता, उष्णता और शीतलता को नियंत्रित करना होगा। साथ ही आपको अपने जीवन के प्रति सही नज़रिया बनाना होगा, यह बिना संकल्पशक्ति के संभव नहीं होगा। जी हाँ दोस्तों, सिर्फ़ यह ही नहीं इस जीवन बल्कि इस जीवन में कोई भी महत्वपूर्ण कार्य संकल्पशक्ति के बगैर असंभव है। इसलिए हम आज से ही अपने भीतर संकल्पशक्ति का विकास करना प्रारंभ करते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
Comments