Nov 11, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, हम सभी ने अपने जीवन में कभी ना कभी यह ज़रूर सुना होगा कि ‘चिंता चिता समान है!’ लेकिन इसके बाद भी हम में से ज़्यादातर लोग इसी चिंता से ग्रस्त रहते हैं। कई बार यह चिंता किसी वास्तविक कारण की वजह से होती है, तो कई बार बेवजह। वैसे स्थिति दोनों में से कोई भी क्यों ना हो, यह होती हर हाल में नुक़सानदायक ही है। जी हाँ दोस्तों, चिंता की वजह कुछ भी क्यों ना हो, हमारी ज़िंदगी में इसका योगदान किसी भी महत्व का नहीं रहता है। इसे मैं अक्सर एक ऐसे मेहमान के रूप में देखता हूँ जिसे हमने कभी बुलाया ही नहीं था। इतना ही नहीं, यह मेहमान ऐसा है जो आने के बाद, जाने का नाम ही नहीं ले रहा है और जिसकी ज़रूरतों का मूल्य हम अपने स्वास्थ्य, अपनी ज़िंदगी, अपनी ख़ुशी को गिरवी रख कर चुका रहे हैं। याने यह ऋण पर लगने वाले ब्याज के समान है जिसका मीटर बिना रुके चलता रहता है और हाँ, यहाँ यह विशेष रूप से याद रखियेगा कि चिंता उस ऋण का ब्याज है, जो हमने कभी लिया ही नहीं था।
अपनी बात को मैं आपको हाल ही में घटी एक घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ। कुछ दिन पूर्व सुबह की सैर याने वॉक पूर्ण करने के पश्चात सुहाने मौसम का मज़ा लेने के लिए मैं बगीचे में बैठ गया और आस-पास की हरियाली को निहारने लगा। इस सुहाने मौसम और नज़ारे को चिड़ियों की चहचहाहट और ख़ुशनुमा बना रही थी। जिसमें बीतते समय के साथ मैं और ज़्यादा डूबता जा रहा था। कुल मिलाकर कहूँ तो पूरा माहौल मुझे आनंद और असीम शांति का अनुभव दे रहा था।
इस ईश्वरीय आनंददायक अनुभूति को बड़ी मीठी, लेकिन परेशानी भरी आवाज़ ने तोड़ा। मैंने पलटकर देखा तो सामने एक महिला खड़ी हुई थी। वे बातचीत शुरू करते हुए बोली, ‘सर, सुबह-सुबह डिस्टर्ब करने के लिए माफ़ी चाहती हूँ, लेकिन इसके सिवा मेरे पास कोई और विकल्प भी नहीं था। मैं आजकल अपने इकलौते पुत्र के कारण बहुत परेशान चल रही हूँ। उसी के विषय में आपसे सलाह-मशविरा करना चाहती हूँ।’ मेरे हाँ कहते ही उन्होंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘सर, मेरा बेटा आजकल बड़ी अजीब सी स्थिति में रहता है। जब भी उसको देखो हमेशा थका हुआ नज़र आता है। ऐसा लगता है जैसे अंदर ही अंदर कोई बात या बीमारी इसे खाई जा रही है। इसके चिड़चिड़े स्वभाव और ग़ुस्सैल रवैये के कारण आजकल पूरे घर का माहौल बिगड़ा हुआ है। पच्चीस-छब्बीस साल की उम्र में ही उसके बाल सफ़ेद पड़ने लगे हैं और यह आजकल किसी भी बात पर फ़ोकस भी नहीं कर पा रहा है। हम सब तो कुछ समझ नहीं पा रहे हैं अब आप ही इसका कुछ समाधान बताइये।’
उस महिला की बातों से साफ़ नज़र आ रहा था कि उनका बेटा तनाव या चिंता से ग्रसित है । जब मैंने उनसे और उनके बेटे से इस विषय में विस्तार से चर्चा करी तो मुझे पता चला कि उनके बेटे का लक्ष्य हमेशा से ही एक बड़ा व्यवसायी बनना था। लेकिन फुल प्रूफ प्लानिंग बनाने की चाह में वह प्रैक्टिकली उस दिशा में आगे नहीं बढ़ पा रहा था। अक्सर कल्पनाओं में रहने के कारण उसकी उपलब्धियाँ और परेशानियाँ याने समस्यायें दोनों ही काल्पनिक थी।
याद रखियेगा दोस्तों, काल्पनिक जीवन जीना याने कल्पनाओं में खोए रहना आपके मन और शरीर में दूरी पैदा करता है जो सामान्यतः तनाव का मुख्य कारण होता है। यही उस लड़के की समस्या का मुख्य कारण था। अगर आप इससे पीड़ित व्यक्ति को किसी तरह यह समझा दें कि हमारे जीवन की ज़्यादातर पीड़ा, चिंता या तनाव जीवन की वास्तविक नहीं अपितु काल्पनिक समस्याओं और चुनौतियों के कारण होती है। जिन्हें हमारा मस्तिष्क काल्पनिक दुनियाओं में खोए रहने के कारण उत्पन्न करता है, तो आप उस व्यक्ति को चिंता और तनाव से बचाने के लिए तैयार कर सकते हैं। इसके बाद दूसरे कदम के रूप में दोस्तों, इससे पीड़ित व्यक्ति को धीमे-धीमे वास्तविक दुनिया से जोड़ना है। जी हाँ दोस्तों, वास्तविक दुनिया से जुड़ना और वास्तविक चुनौतियों का सामना करना आपको बेहतर बनाता है। इसीलिए तो कहा जाता है कि जिंदगी की सच्चाई यही है कि व्यक्ति को समझदार बनाने में संपत्ति से ज्यादा विपत्ति का योगदान होता है!!!
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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