top of page

संस्कार के पहले सुविधाएँ मिलना, बच्चों को पतन की ओर ले जाता है…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Oct 3, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, बच्चों के विषय में मेरा मानना है कि उन्हें सुविधा और संसाधन देने से ज्यादा ज़रूरी जीवन मूल्य सिखाना है क्योंकि गिरते जीवन मूल्य ना सिर्फ़ आपको बल्कि पूरे समाज को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। याद रखियेगा, संस्कार के बिना संसाधन देना बच्चों के पतन का कारण बन सकता है। अपनी बात को मैं आपको भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी एक घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ।


त्रेता युग में एक बार भगवान श्री कृष्ण को रात्रि के अंतिम प्रहर में एक स्वप्न आया। स्वप्न में एक गाय नवजात बच्चे को जन्म देती है और जन्म के तुरंत बाद नवजात बछड़े को प्रेम से चाटना शुरू कर देती है। बच्चे के प्रति प्रेम में गाय यह भी भूल गई कि लगातार चाटते रहने के कारण बछड़े की कोमल खाल छिल गई और उससे खून निकलने लगा। प्रेम की अति के कारण मिले घाव के कारण बछड़ा अंततः बेहोश होकर, नीचे गिर पड़ा। भगवान श्री कृष्ण की नींद इस अजीब से सपने के कारण खुल गई और वे सोच में पड़ गये।


अगले दिन प्रातः भगवान श्री कृष्ण जब भगवान नेमिनाथ से मिले तो उन्होंने इस सपने के विषय में उनसे विस्तार से बात करी और उनसे इस सपने का अर्थ समझाने के लिए कहा। इस पर भगवान नेमिनाथ बोले, ‘आपका यह स्वप्न आने वाले युग याने पंचम काल अर्थात् कलियुग के रूप को दर्शा रहा है।’ इस पर भगवान श्री कृष्ण ने भगवान नेमिनाथे को इसे विस्तार से बताने के लिए कहा तो वे बोले, ‘कलियुग में माता-पिता अपने बच्चों को इतना अधिक प्रेम करेंगे कि उनका प्रेम ही बच्चों के लिए नुक़सानदायक सिद्ध होगा। वे बच्चों को इतनी अधिक सुविधाएँ देंगे कि उन बच्चों के लिए ये सुविधाएँ व्यसन बन जायेंगी और वे उसमें डूबकर ख़ुद को नुक़सान पहुँचाने लगेंगे।’


दोस्तों, अगर आप उपरोक्त घटना को गौर से देखेंगे तो पायेंगे कि आज के युग में बच्चे माता-पिता से मिले अति प्रेम और सुविधाओं के कारण भोगी और कुमार्गी बनते जा रहे हैं। अर्थात् वे अज्ञानतावश उपरोक्त बातों में उलझकर अपने जीवन को बर्बाद कर रहे हैं; अज्ञानता की बेहोशी में अपना जीवन जी रहे हैं। लेकिन अगर आप अभी भी इस विषय में मेरी बात से सहमत नहीं हैं या इसपर और गहराई से चर्चा करना चाहते हैं तो जरा आज की स्थितियों पर नज़र घुमा कर देख लीजियेगा।


कारण कुछ भी हो लेकिन आज के युग में माता-पिता अपने बच्चों को समय से पहले मोबाइल, बाइक, ब्रांडेड सामान, महँगे कपड़े, फ़ैशन सामग्री और पॉकेट मनी के रूप में अतिरिक्त पैसे उपलब्ध करवा रहे हैं। इन सब बातों के कारण बच्चों को एक तो चीजों और सुविधाओं की क़ीमत का एहसास नहीं हो रहा है और दूसरा उनकी सोचने की क्षमता पर भी इसका ग़लत प्रभाव पड़ रहा है। अर्थात् आज उनका चिंतन इतना विषाक्त हो चुका है कि उन्होंने अपने माता-पिता से झूठ बोलना, बातें छिपाना, बड़ों का अपमान करना, पारिवारिक, सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं को नकारना शुरू कर दिया है।


अंत में दोस्तों मैं पूर्व में कही बात को ही एक बार फिर दोहराऊँगा, अगर आपने बच्चों को संस्कार दिए बिना सुविधाएँ दी तो अंततः यह उनके पतन का ही करना बनेगा। अगर आप बच्चों को इससे बचाना चाहते हैं तो बच्चों को समय से पहले सुविधाएँ ना दें। हो सकता है इसके अभाव में वे थोड़ी देर के लिए रोएँगे, परेशान होंगे, लेकिन अगर आपने उन्हें इससे बचाया और समय से संस्कार नहीं दिये तो वे निश्चित तौर पर ज़िंदगी भर रोएँगे। एक बार विचार कर देखियेगा…


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

24 views0 comments

Comments


bottom of page