Mar 16, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, जीवन जीना, सफल होना असल में उतना मुश्किल नहीं है जितना ज़्यादातर लोगों को लगता है। एक छोटी सी चीज़ जो इसे सरल या मुश्किल बनाती है वह है हमारी सोच। जी हाँ दोस्तों, मेरी इस बात पर अगर आप गम्भीरता से विचार करेंगे तो पाएँगे कि इस दुनिया में ज़्यादातर लोग इसलिए दुखी नहीं है कि उन्हें जीवन में किसी चीज़ की कमी, परेशानी या किसी अनूठी या अनोखी स्थिति का सामना करना पड़ा है। अपितु वे तो बस इसलिए दुखी हैं क्योंकि उनके सोचने का ढंग नकारात्मक है।
हो सकता है आप में से कुछ लोग मेरी उपरोक्त बात से सहमत ना हों और आपको लग रहा हो कि कहना और किसी भी स्थिति का सामना करना दो बिलकुल अलग-अलग बातें हैं। जीवन में जब इस तरह की स्थितियों का सामना करोगे तब हक़ीक़त समझ आएगी। तो मैं आपको पहले ही बता दूँ कि राजा हो या रंक, अधिकारी हो या कर्मचारी, अमीर हो या गरीब सभी ने अपने जीवन में कभी ना कभी, नकारात्मक दौर या विपरीत परिस्थितियों का सामना किया है। जी हाँ साथियों, कभी भी, किसी भी इंसान का एक समान परिस्थितियों में होना या एक समान अनुभवों को पाना सम्भव नहीं है। यह जीवन कभी भी आपकी सोच या इच्छा अनुसार नहीं चलता है। यहाँ तो जो भी होता है ईश्वर द्वारा आपकी बेहतरी के लिए बनाई गई योजनानुसार होता है। बस कई बार आपकी सोच या योजना, ईश्वर की योजना के समान होती है तो आप खुश हो जाते हैं और जब आपकी योजना और ईश्वर की योजना अलग होती है याने आपको आपकी इच्छा के अनुरूप परिणाम नहीं मिलते हैं तो आप दुखी हो जाते हैं। याने आपका सुख या आपका दुःख, जीवन में मिले परिणाम पर आपकी प्रतिक्रिया का अंतिम परिणाम होता है और आपकी प्रतिक्रिया आपकी सोच पर निर्भर करती है।
जी हाँ दोस्तों, अगर आप गीता में दी गई सबसे महत्वपूर्ण सीख कि ‘हमें कर्म पर ध्यान देना है फल पर नहीं’, के अनुसार सकारात्मकता देखते हुए, सकारात्मक सोचते हुए जीवन जीना सीख जाएँ तो हमें तमाम अभावों के बाद भी आनन्द के साथ जीना आ जाएगा। यह मेरे गुरु द्वारा दी गई सबसे महत्वपूर्ण सीखों में से एक थी। वे हमेशा समझाते थे कि सफलता, सुख, ख़ुशी और शांति जीवन में मिले परिणामों की अपेक्षा हमारे दृष्टिकोण पर अधिक निर्भर करती है। जी हाँ साथियों, अगर हम ऐसी सोच विकसित कर लें जो हमें दुःख में सुख खोजना, हानि में लाभ खोजना और प्रतिकूलताओं में भी अवसर खोजना सीखा दे तो हम तमाम अभावों में भी जीने का आनन्द ले सकते हैं। मेरी नज़र में तो इसे ही सकारात्मक दृष्टिकोण होना या सकारात्मक रहना कहा जा सकता है।
दोस्तों, अगर आज में अपने जीवन में पीछे पलट कर देखता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है कि हर दुःख, हर परेशानी, हर असफलता ने मुझे आज मिली सफलता के लिए तैयार किया है। आप स्वयं दोस्तों, पूरी गम्भीरता और निष्पक्षता के साथ अपने जीवन में पलट कर देखिएगा, आप खुद पाएँगे कि जीवन जीने की सबसे महत्वपूर्ण और ज़रूरी सीख आपको आपकी असफलता, दुःख या विपरीत परिणामों के दौर में ही मिली है। जी हाँ, जीवन का ऐसा कोई बड़े से बड़ा दुःख नहीं है, जिससे सुख की परछाइयों को देखा ना जा सके। ठीक इसी तरह जिन्दगी की ऐसी कोई बाधा नहीं है, जिससे कुछ प्रेरणा ना ली जा सके।
दोस्तों, अगर आपका लक्ष्य हर हाल में इस जीवन को ख़ुशनुमा बनाना है तो आज से ही अपनी सोच को बदलें, उसे सकारात्मक बनाए। जिस तरह रास्ते में बाधा के रूप में पड़े पत्थर का प्रयोग ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ी के रूप में किया जा सकता है ठीक उसी तरह जीवन की राह में मिलने वाले हर नकारात्मक अनुभव, परिणाम या स्थिति को अपनी सफलता के माइलस्टोन के रूप में देखें। उस नकारात्मकता से मिली सीख और अनुभव को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रयोग में लाएँ। याद रखिएगा दोस्तों, जीवन का आनन्द वही लोग उठा पाते हैं, जिनका सोचने का ढंग सकारात्मक होता है। आपकी खुशी इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आपके पास कितनी सम्पत्ति है, अपितु इस बात पर निर्भर करती है कि आपके पास कितनी समझ है। विचार कर देखिएगा…
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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