सच्चा सम्मान चाहते हैं तो यह गुण विकसित करें…
- Nirmal Bhatnagar
- May 11
- 3 min read
May 11, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, किसी भी इंसान में सम्मान की चाह होना स्वाभाविक है। हर कोई चाहता है कि उसके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की जाये; वह समाज में उच्च स्थान पाये; लोग उसे आदर के साथ याद करें। लेकिन सिर्फ़ चाहने से समाज में किसी को सम्मान नहीं मिलता है। अर्थात् इच्छा मात्र रखने से कोई समाज में सम्माननीय और प्रेरणादायक नहीं बनता है। अगर आप वाकई अपने जीवन को प्रेरणादायी बनाकर, समाज में अपनी पहचान स्थापित करना चाहते हैं या आप चाहते हैं कि लोग आपका सम्मान करें या आपका जीवन समाज के लिए मूल्यवान और अनुकरणीय बने तो आपको सबसे पहले अपने अंदर सहनशीलता के गुण को विकसित करना होगा।
जी हाँ साथियों, सहनशीलता वह गुण है जो हमें दूसरों की बातों, व्यवहार और आलोचनाओं को धैर्यपूर्वक सुनने और समझने की शक्ति देता है। जिस व्यक्ति में सहनशीलता होती है, वह न केवल अपने परिवार का, बल्कि समाज का भी प्रिय बन जाता है। ऐसे लोग विवादों से दूर रहते हैं, शांतिप्रिय होते हैं और अपने शांत स्वभाव से दूसरों का दिल जीत लेते हैं। इसलिए मैं सहनशीलता को एक ऐसा आभूषण मानता हूँ, जो केवल साधु-संतों को ही नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति को शोभा देता है जो जीवन में संतुलन, विनम्रता और संयम को अपनाता है। यह गुण न केवल हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है, बल्कि समाज में हमारी छवि को भी सम्माननीय बनाता है।
लेकिन अक्सर देखा गया है कि सम्मान की चाह में लोग जरा-जरा सी बातों पर हताश और निराश हो जाते हैं और कई बार तो छोटी-मोटी बातों पर नाराज हो, मुँह फुला कर बैठ जाते हैं। जबकि जरा सा धैर्य और सहनशील स्वभाव उन्हें इससे बचा सकता था। कई बार जीवन में आलोचना, अपमान या असहमति का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय में सहनशीलता ही वह शक्ति है, जो हमें टूटने से बचाती है और हमें सही निर्णय लेने की सामर्थ्य देती है। अहंकार में डूबा व्यक्ति आलोचना को अपमान समझ बैठता है और प्रतिक्रिया में या तो संबंध बिगाड़ लेता है या खुद मानसिक तनाव में आ जाता है। वहीं, सहनशील व्यक्ति हर प्रतिक्रिया को सोच-समझकर, शांत चित्त से लेता है और अपने आचरण में सुधार करता है।
इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ कि सहनशीलता का संबंध केवल दूसरों के प्रति सहन करने से नहीं है, बल्कि आत्म-नियंत्रण और संयम से भी जुड़ा होता है। जो व्यक्ति अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रख सकता है, अपने क्रोध को शांत रख सकता है और परिस्थिति के अनुसार स्वयं को ढाल सकता है, वही वास्तव में शक्तिशाली कहलाता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन केवल अपने लिए नहीं, अपितु दूसरों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन जाता है।
इसलिए विचार, बोलचाल और व्यवहार में भी शालीनता अपनाइए और अपने शब्दों में धार नहीं, आधार लाइए। याद रखियेगा, कई बार कठोर और तीखे शब्द तात्कालिक तौर पर प्रभावी नजर आते हैं, लेकिन अक्सर वे दिलों को तोड़ देते हैं। वहीं, आधारयुक्त और मधुर शब्द दिलों को जीत लेते हैं और स्थायी संबंध बनाते हैं। इसलिए जीवन में “हाँ” और “ना” जैसे छोटे शब्दों का प्रयोग भी सोच-समझकर कर कीजिए। कई बार हम जल्दबाज़ी में इन शब्दों का उपयोग करके संबंधों, अवसरों और संभावनाओं को खो बैठते हैं।
इसलिए दोस्तों, यदि आप चाहते हैं कि समाज में आपको सच्चा सम्मान मिले, तो सबसे पहले अपने भीतर सहनशीलता, संयम और विनम्रता जैसे गुणों को विकसित कीजिए क्योंकि यही वो गुण हैं जो आपके जीवन को न केवल सम्माननीय बनाएंगे, बल्कि उसे समाज के लिए अनुकरणीय भी बना देंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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