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सफलता और जीवन मूल्य…

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Jan 11, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, ‘सफलता’ विषय पर पूर्व में भी कई बार मैंने लेख लिखें हैं और उसे पाने की योजना बनाने के लिए आवश्यक सूत्रों पर भी चर्चा भी करी है। लेकिन यह विषय इतना गहरा और और बड़ा है कि कोई एक लेख इस विषय को पूर्णतः समाहित नहीं कर सकता है क्यूँकि सफलता की परिभाषा हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकती है। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए मैं आज आपसे ‘सफलता और जीवन मूल्य’ विषय पर अपने विचार साझा कर रहा हूँ।


मेरा मानना है कि आप मेरी इस बात से पूरी तरह सहमत होंगे कि इस जीवन में हर कोई प्रशंसा और सफलता पाना चाहता है और इसीलिए जी तोड़ मेहनत भी करता है। लेकिन साथ ही निश्चित तौर पर आपने अपने आस-पास मौजूद लोगों को आज की बिगड़ती नई पीढ़ी के बारे में चर्चा करते हुए भी देखा होगा। साथ ही किसी ना किसी से यह भी सुना होगा कि वे इंटरनेट, मोबाइल और टीवी देख-देख के बिगड़ते जा रहे है। वैसे इस बात की पुष्टि इस आँकड़े से भी हो जाती है कि हमारे देश में पिछले 30 वर्षों में 5.34 प्रतिशत की दर से नशा करने वाले युवाओं की संख्या बढ़ी है। ठीक इसी तरह हाल ही में की गई एक रिसर्च बताती है कि आजकल 16 से 25 साल के 3 युवाओं में से 1 युवा ड्रग लेने का आदि बनता जा रहा है। पूरी दुनिया में युवाओं के साथ होने वाले अपराध में 42% की वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं सामान्य भारतीय परिवारों में एकल परिवारों की संख्या तेजी से बढ़ी है। विद्यालय में कई बच्चे शिक्षकों या अपने साथियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं और यही शिकायत ज़्यादातर माता-पिता को अपने बच्चों से भी है। सीधे शब्दों में कहूँ तो पिछले कुछ सालों में हमारी जीवनशैली में कई नकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले हैं और आम भारतीय आजकल बिगड़ती युवा पीढ़ी को देख बहुत परेशान है।


लेकिन ऐसा भी नहीं है दोस्तों कि चारों ओर सिर्फ़ नकारात्मकता है। इस नकारात्मकता के साथ कई सकारात्मक बातें भी हमारे समाज में घटी है। जैसे साक्षरता का प्रतिशत हमारे देश में काफ़ी बढ़ा है। टेक्नॉलजी और कम्प्यूटर याने आईटी के क्षेत्र में युवा काफ़ी अच्छा कार्य कर रहे हैं। भारतीय युवा बेहतरीन स्टार्टअप ला रहे हैं। पिछले वर्षों में भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय में काफ़ी वृद्धि हुई है। हमारे देश में करोड़पतियों की संख्या में भी काफ़ी बढ़ोतरी हुई है। पूरी दुनिया भारतीय युवाओं के ज्ञान और कौशल की दिवानी है। कुल मिलाकर कहा जाए तो भौतिक क्षेत्रों में हमारे युवा बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। साथ ही, आम भारतीय युवा आजकल बहुत कम उम्र में सफलता का स्वाद चख रहा है।


कुल मिलाकर देखा जाए तो भौतिक क्षेत्रों में हम आगे बढ़ रहे हैं और जीवन मूल्य पीछे छूट रहे हैं। आप स्वयं सोच कर देखिए आजकल एक बात और पूरी तरह सत्य है कि हर इंसान अपने नियमों अर्थात् अपने जीवन मूल्यों के आधार पर अपना जीवन जी रहा है। इसका सीधा-सीधा अर्थ हुआ जिसके मूल्य सही है वह सफलता सही मूल्य पर पाने का प्रयास करेगा और जिसके जीवन मूल्य सही नहीं है वे सफलता किसी भी मूल्य पर पाने के लिए प्रयासरत रहेगा। अगर हम मूल्यों से ज़्यादा तवज्जो सफलता को देंगे तो वह हर हाल में सफल होने के लिए ही कार्य करेगा।


इसलिए साथियों हमें बच्चों को सफलता के लिए तैयार करने के स्थान पर पहले सही मूल्यों पर जीवन जीने के लिए तैयार करना चाहिए। इसके लिए हमें उसे किसी क्षेत्र में विशेषज्ञ बनाने से पहले जीवन मूल्य सिखाने होंगे। दूसरे शब्दों में कहूँ तो किताबी शिक्षा देकर कक्षा में नम्बर वन बनाने के साथ-साथ उसे नैतिक शिक्षा में भी नम्बर वन बनाना होगा। जिससे वह अपने लिए सफलता की सही परिभाषा गढ़ सके। इसीलिए भारतीय वैदिक काल में व्यक्ति की प्रतिष्ठा या सफलता का आकलन उसके जीवन मूल्यों से किया जाता था। इसीलिए तो गौतम बुद्ध से लेकर महात्मा गांधी, विनोबा भावे आदि इतिहास में अमर हुए।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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