Nirmal Bhatnagar
सफलता के लिए रखें पूर्ण निष्ठा, आस्था और विश्वास…
Oct 15, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, अगर आप सफल लोगों के जीवन को क़रीब से जाकर देखेंगे तो आप पाएँगे कि उनकी सफलता के पीछे एक विचार होता हैं जिसका अनुसरण वे अपनी पूरी निष्ठा, आस्था और विश्वास के साथ करते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पूर्ण समर्पण के साथ एक ही विचार को ध्येय बनाना ही उनकी सफलता का राज़ होता है। जी हाँ साथियों, सुनने में साधारण सा लगने वाला यह विचार असल में बहुत ताकतवर है, यह आपको अपनी पूरी ऊर्जा को एक ही बिंदु पर केंद्रित करने की शक्ति प्रदान करता है, जिसके फलस्वरूप आप मनचाहा परिणाम पा पाते हैं। चलिए, इसे हम हास्य से भरी एक बहुत ही हल्की-फुल्की कहानी से समझने का प्रयास करते हैं-
शहर से दूर गाँव में एक बहुत ही कंजूस सेठ रहा करता था। हालाँकि ईश्वर के आशीर्वाद से उसके पास सब-कुछ था लेकिन उसके बाद भी वह किसी भी संसाधन का उपयोग बहुत ही ज़्यादा आवश्यकता होने पर ही किया करता था। एक दिन अचानक ही उसके मन में ईश्वर की पूजा करने का विचार आया। वह अपने विचार को मूर्त रूप देता या उसपर कार्य करना शुरू करता उसके पहले ही उसके मन में एक और नया विचार आया कि अगर मैं रोज़ पूजा-पाठ करूँगा तो पूजा के संसाधन अर्थात् धूप बत्ती, दिए के लिए तेल, फूल, पूजन सामग्री, भोग के लिए प्रसाद आदि जुटाने में ही बहुत सारा पैसा खर्च हो जाएगा। खर्च का विचार मन में आते ही वह सेठ एक बार तो पीछे हट गया लेकिन अगले ही पल इस उधेड़बुन में लग गया कि किस तरह बिना पैसे के रोज़ पूजा की जाए।
कहते हैं ना जब आप पूरी शिद्दत से किसी लक्ष्य के पीछे पड़ जाओ तो कोई ना कोई रास्ता उसे पाने का खुल ही जाता है। ऐसा ही उस सेठ के साथ हुआ। उसने इस समस्या के हल के रूप में मानसिक रूप में पूजा करने का निर्णय लिया। अब वह सेठ रोज़ सुबह नहा-धोकर तैयार होता और आँख बंद कर ध्यान लगाता और फिर बाल कृष्ण को स्नान करवाता और आसन पर बैठाकर नए वस्त्र अर्पण करता, उनकी आरती उतारता और फिर गर्म दूध में शक्कर मिलाकर उसका भोग लगाता और उसके बाद ही खुद कुछ ग्रहण करता।
धीरे-धीरे सुबह उठना, मानसिक पूजन करना उसका नित्य नियम बन गया, जिसे वह बिना लापरवाही के हर हाल में निभाता था। उसको अब इस नित्य कर्म में बड़ा आनंद आने लगा था। बल्कि यह कहना ज़्यादा उचित रहेगा कि उसे दोगुना मज़ा आ रहा था क्यूँकि उसके पैसे खर्च भी नहीं हो रहे थे और वह रोज़ पूजा भी कर पा रहा था। इसी तरह कई साल बीत गए।
कहते हैं ना किसी भी नियम का दृढ़ता पूर्वक पालन किया जाए तो वह सिद्ध हो जाता है। ऐसा ही कुछ अब इस सेठ के साथ होने लगा था। एक दिन कंजूस सेठ को व्यापार के कार्य से दूसरे गाँव जाना पड़ा। कंजूसी की अपनी आदत की वजह से पैदल लौटने में उसे काफ़ी रात हो गई और इसी वजह से वह सुबह समय से नहीं उठ पाया और दैनिक कार्यों की जल्दबाज़ी में अपनी पूजा नहीं कर पाया। दुकान जाने के पूर्व जब पत्नी उसके के लिए भोजन की थाली लेकर आयी तो उसे एहसास हुआ कि वह आज भगवान की पूजा करना और भोग लगाना भूल गया है।
उसने तुरंत ध्यान लगाया और जल्दबाज़ी में बाल कृष्ण की पूजा करने बैठ गया। पूजा के दौरान ही उसे एहसास हुआ कि आज वह भोग के लिए गर्म मीठा दूध तो लाना भूल ही गया। सेठ मन ही मन पूजा से उठा और चौके में जाकर दूध गर्म किया और उसे काल्पनिक ग्लास में डाला और फिर उसमें 2 चम्मच शक्कर डाली और पूजन स्थल पर लौट आया। लेकिन आज काल्पनिक रूप से एक के स्थान पर 2 चम्मच शक्कर डालने की वजह से कंजूस सेठ का मन पूजा में नहीं लग रहा था। वह मन ही मन गर्म दूध में से एक चम्मच शक्कर निकालने का प्रयास करने लगा।
अपने भक्त की इस हालत को देख बाल कृष्ण को हंसी भी आ रही थी और दूसरी ओर भक्त को परेशान देख वे भी परेशान हो रहे थे। अचानक भगवान कृष्ण का दिल पसीजा और वो उस कंजूस सेठ को दर्शन देते हुए बोले, ‘वत्स, तेरे जैसा भक्त मैंने पहले नहीं देखा जो मन ही मन स्नान कराता है, पूजा अर्चना करता है, भोग लगाता है और उसमें भी इतनी कंजूसी करता है? आज गर्म दूध में दो चम्मच शक्कर ही डाली रहने दे इसमें तेरा क्या जाता है? मैं तेरी भक्ति से प्रसन्न हूँ और तुझे हर इच्छा पूर्ति का वरदान देता हूँ।
दोस्तों, एक ओर जहाँ लोग तन, मन, धन से पूरे जीवन ईश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं लेकिन सफल नहीं हो पाते हैं वहीं इस कंजूस सेठ ने मन ही मन याने मानसिक पूजा कर ईश्वर को प्रसन्न कर लिया था मना लिया था। जानते हैं क्यूँ? क्यूँकि सेठ को अपने विचार कि अपने मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए मन ही मन पूजा की जा सकती है, बाल कृष्ण को गर्म दूध का भोग लगाया जा सकता है, पर पूर्ण निष्ठा थी। इसीलिए दोस्तों, मैंने पूर्व में कहा था कि पूर्ण निष्ठा, आस्था और विश्वास के साथ किसी भी विचार को सफल बनाया जा सकता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com