July 14, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, सफलता के बारे में सोचना और सफल होना दो बिलकुल अलग-अलग बातें हैं। इस दुनिया में हर इंसान सफलता के विषय में कभी ना कभी सोचता ज़रूर है, लेकिन सफल नहीं हो पाता है। ट्रेनिंग, कोचिंग और कंसलटेंसी के अपने 15 वर्ष के अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि इसकी मुख्य वजह सफल होने के लिए आवश्यक आधारभूत बातों पर कार्य ना करना है। जी हाँ साथियों, एक रियलाइज्ड सपने का होना और उसे पूर्ण करने के लिए काम करना, तब तक आपको मनमाफ़िक परिणाम नहीं दे सकता है जब तक आप इन आधारभूत बातों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा ना बना लें। आईए, आज हम सफलता के लिए आवश्यक इन्हीं आधारभूत बातों को छः सूत्रों के रूप में समझने का प्रयास करते हैं-
पहला सूत्र - कड़ी मेहनत
अक्सर जब लोग मुझसे कहते हैं कि ‘देखना मैं एक दिन बड़ा आदमी बनूँगा!’, तब मेरे पास मुस्कुराने के सिवा और कोई ऑप्शन नहीं रहता है क्योंकि मुझे पता है कि वह वह दिन कभी नहीं आएगा। ऐसा मैं अहंकार या किसी और कारण से नहीं अपितु सामने वाले के भाग्य के भरोसे बैठे रहने के नज़रिए के कारण बोल रहा हूँ। आप स्वयं ही सोच कर देखिए, ‘बिना किए, क्या कोई कार्य पूर्ण हो सकता है?’ बिलकुल भी नहीं, इसीलिए तो लक (LUCK) को ‘लेबर अंडर करेक्ट नॉलेज’ कहा जाता है। दूसरे नज़रिए से भी इसे देखा जाए तो भाग्य आपके हाथ में नहीं है लेकिन मेहनत करना सिर्फ़ और सिर्फ़ आप ही के हाथ में है। इसलिए भाग्य पर विश्वास कर ख़ाली बैठने के स्थान पर कड़ी मेहनत करना आपको आपके लक्ष्यों के क़रीब ले जाता है।
दूसरा सूत्र - धैर्य
धैर्य सही मायने में देखा जाए तो ईश्वर का हमको दिया सबसे बड़ा वरदान है क्योंकि बुरी से बुरी परिस्थिति में धैर्य से काम लेना आपके जीवन को बेहतर बनाता है। लेकिन इसका अर्थ यह क़तई नहीं है कि आप विपरीत स्थितियों में हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाएँ और ईश्वरीय चमत्कार का इंतज़ार करें। धैर्य का अर्थ है, परिणामों की चिंता किए बग़ैर बिना हड़बड़ाहट और जल्दबाज़ी के पूर्ण शांति के साथ योजनाबद्ध तरीके से एक बार एक कार्य को सर्वोत्तम तरीके से पूर्ण करना और अगर ऐसा करने के बाद भी आशानुरूप परिणाम ना मिले तो उसे खुले दिल से स्वीकारना और एक बार फिर कमियों को दूर करते हुए प्रयास करना। यह आपको अनावश्यक निराशा से भी बचाता है। उदाहरण के लिए अगर आप परिवार के साथ धैर्य रखते हैं तो परिवार में प्रेम उत्पन्न होता है। अगर आप समाज के साथ धैर्य पूर्वक व्यवहार करते है तो आप अपने अंदर दूसरों के लिए सम्मान का भाव पैदा करते हैं और अगर आप स्वयं के प्रति कठोर होने के स्थान पर धैर्य पूर्वक रहते हैं तो आप अपना आत्मविश्वास बढ़ाते है। इसी तरह प्रभु या ईश्वर के साथ धैर्य रखना आपके विश्वास को मज़बूत करता है। इसीलिए मेरा मानना है कि यदि आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में धैर्य खो रहे हैं तो आप लड़ाई हार रहे हैं।
तीसरा सूत्र - त्याग
अक्सर लोग दोनों हाथों में लड्डू रखना याने हर स्थिति-परिस्थिति में अपना पलड़ा मज़बूत और मनमाफ़िक रखना चाहते हैं। जैसे विद्यार्थी सोचेगा कि वह कक्षा में प्रथम भी आजाए, दोस्तों के साथ मस्ती-मज़ाक़ भी कर ले, मोबाइल भी चला ले, देर तक सो भी ले और खेलने में ख़लल भी ना पड़े। इसी तरह सफलता के लिए कार्य करते वक्त हर कार्य को बैलेंस करने की चाह भी होती है। याद रखिएगा, आप जो चाहते हैं, उसके लिए त्याग नहीं करते हैं तो जो आप चाहते हैं वह बलिदान बन जाएगा। याने प्राथमिकताओं पर किए जाने वाले कार्यों पर समझौता करना अंततः आपके सपनों की बली ले लेता है।
चौथा सूत्र - निरंतरता
निरंतरता याने कंसिसटेंसी के बिना सफलता की कामना करना भी बेमानी है। निरंतरता ही औसत को उत्कृष्ट में बदलती है उदाहरण के लिया आप हमारे इसी शो ‘ज़िंदगी ज़िंदाबाद’ को ले लें। आज निरंतरता बरकरार रख पाने के कारण ही यह शो अपने 1145 एपिसोड पूरे कर ना सिर्फ़ भारत का अपितु एशिया का सेल्फ़ डेवलपमेंट पर चलने वाला सबसे लम्बा रेडियो शो बन, अपना नाम ‘इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्डस’ और ‘एशिया बुक ऑफ़ रिकार्डस’ में दर्ज करवा पाया है। अगर आप बड़ी-बड़ी संख्याओं या लक्ष्यों को पाना चाहते हैं या फिर कोई नया रेकॉर्ड बनाना चाहते हैं तो उसे बनाने वाले अंकों को भूलकर, पूरी निरंतरता याने कंसिसटेंसी के साथ सिर्फ़ और सिर्फ़ उस लक्ष्य को पाने के लिए रोज़ किए जाने वाले कार्यों पर फ़ोकस के साथ काम करें और सफल हो जाएँ।
आज के लिए इतना ही दोस्तों, कल हम सफलता के 6 आधारभूत सूत्रों के बचे हुए अंतिम 2 सूत्र सीखेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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