समझें प्रयास, आत्मसम्मान और जीवन के चमत्कार को…
- Nirmal Bhatnagar
- Mar 25
- 3 min read
Mar 25, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, आपकी हिम्मत, मेहनत और सोच यह तय करती है कि आप सफल हैं या असफल। जी हाँ दोस्तों, जीवन में मिलने वाली कोई भी असफलता तब तक अंतिम नहीं होती है, जब तक हमारी सोच और हिम्मत जवाब ना दे दे और हम मेहनत करना बन्द ना कर दें। इसलिए दोस्तों, मेरा सुझाव है कि असफलता से हार मानकर बैठने के मुक़ाबले एक बार फिर उठ कर प्रयास करना लाख गुना बेहतर होता है, क्योंकि प्रयास करने पर हम केवल असफल होने का जोखिम उठाते हैं, लेकिन प्रयास ना करना असफलता निश्चित करता है। इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ कि ‘जीवन में सफलता और असफलता का खेल हमारी हिम्मत, मेहनत और सोच पर निर्भर करता है।' इसलिए ख़ुद को असफल मानकर बैठने के मुक़ाबले हमेशा अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना ही सही मार्ग है। आइए, आज हम सफलता की राह में प्रयास, आत्मसम्मान और जीवन के चमत्कार के महत्व को समझने का प्रयास करते हैं-
1. प्रयास का महत्व
अक्सर लोग असफलता के डर से कोशिश ही नहीं करते, लेकिन यही सोच असली असफलता की जड़ होती है। अगर हम कोशिश करेंगे, तो दो ही परिणाम संभव हैं या तो हम सफल होंगे या फिर असफलता से सीख लेकर दोबारा बेहतर प्रयास करेंगे। इसी बात को समझाते हुए वाइकिंग कहावत में कहा गया है,‘बेहतर है, लड़कर गिर जाना, बजाय इसके कि बिना उम्मीद के जीवन जिया जाए!’ अर्थात् हारने से डरने के स्थान पर संघर्ष करना बेहतर है क्योंकि संघर्ष ही हमें सफलता और असली संतुष्टि देता है।
2. अहंकार बन सकता है बाधा
अक्सर हमारा अहंकार हमें आगे बढ़ने से रोकता है क्योंकि यह हमें अपनी गलती या हमारे अंदर सुधार की आवश्यकता है, स्वीकारने से रोकता है। यह तो हमेशा हमें एक ही बात सोचने पर मजबूर करता है, ‘मैं हमेशा सही हूँ’, और इसी वजह से हम नई चीजें सीखने या दूसरों से सलाह लेने से बचते हैं। यह रवैया अक्सर हमें असफलता की ओर धकेल देता है।
3. आत्मसम्मान बनाम अहंकार
अहंकार और आत्मसम्मान में बहुत अंतर होता है, लेकिन अक्सर लोग इस अंतर को पहचान नहीं पाते हैं। आत्मसम्मान हमें मजबूत और आत्मनिर्भर बनाता है, जबकि अहंकार हमें हठी और जिद्दी बना देता है। अगर हमारे जीवन में अहंकार हावी हो जाता है, तो हमें कई निराशाएँ झेलनी पड़ती हैं। याद रखिएगा अहंकार कहता है, ‘मैं हमेशा सही हूँ, मुझे किसी की ज़रूरत नहीं!’ जबकि आत्मसम्मान कहता है, ‘मुझे खुद पर भरोसा है, लेकिन मैं नई चीजें सीखने के लिए तैयार हूँ।’
4. जीवन के छोटे-छोटे चमत्कारों को पहचानें
जीवन सिर्फ बड़ी उपलब्धियों का नाम नहीं है, बल्कि यह छोटे-छोटे चमत्कारों की एक श्रृंखला है। हमें बस उन्हें पहचानने और उनके लिए आभार व्यक्त करने की जरूरत है। इसी बात को समझाते हुए रोनाल्ड डाहल ने कहा है, ‘जीवन हजारों छोटे-छोटे चमत्कारों की एक श्रृंखला है, उन्हें देखिए और महसूस कीजिए।’ याद रखिएगा, अगर हम हर दिन मिलने वाली छोटी खुशियों और उपलब्धियों को महसूस करना सीख जाएँ, तो जीवन और भी सुंदर बन सकता है।
अंत में निष्कर्ष के तौर पर सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा कि जीवन में सफलता पाने के लिए प्रयास करना सबसे ज़रूरी है। असफलता का डर हमें रोक सकता है, लेकिन अगर हम कोशिश ही नहीं करेंगे, तो निश्चित रूप से हार जाएंगे। हमें अपने अहंकार को नियंत्रण में रखना चाहिए और आत्मसम्मान को प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही, हमें जीवन के छोटे-छोटे चमत्कारों को महसूस करना और उनका आनंद लेना भी आना चाहिए। तो दोस्तों, प्रयास करें, आत्मसम्मान बनाए रखें और जीवन के हर छोटे पल को जी भर कर जिएँ!
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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