top of page
Writer's pictureNirmal Bhatnagar

समय नहीं, दिमाग़ का करे प्रबंधन…

Oct 17, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, आज एक ऐसे विषय पर बात करने जा रहा हूँ, जिसने बहुत लम्बे समय तक मुझे काफ़ी परेशान रखा। जी हाँ, पूर्व में लम्बे समय तक मेरी पहचान एक ऐसे व्यक्ति के रूप में थी जो कभी भी, किसी भी समय अपना कोई कार्य तय किए गए समय पर पूर्ण नहीं कर पाता था। हालाँकि अगर आप इसी बात को मेरे उस वक्त के नज़रिए से देखेंगे, तो उस वक्त मुझे लगता था, अपनी ओर से मैंने पूरा प्रयास किया तो है। अब अगर अनपेक्षित परिस्थितियों या चुनौतियों के कारण कोई दिक़्क़त आ रही है तो थोड़ा एडजस्ट करने में क्या समस्या है? कई बार हो ही जाता है, कई बार हम कई कार्य समय पर पूर्ण नहीं कर पाते है, इससे फ़र्क़ क्या पड़ता है।


लेकिन दोस्तों, जिस तरह जल्दी सोना या उठना, देर तक जागना, देर से उठना, समय पर खाना या ना खाना, योगा करना अथवा ना करना सभी कुछ एक आदत है। ठीक उसी तरह अपने कार्य को समय पर करना या ना करना भी एक आदत है। गुजरते समय के साथ मुझे इस बात का एहसास हुआ कि हम सिर्फ़ घड़ी को अपने हाथ में बांध कर रख सकते हैं वक्त को नहीं। घड़ी भले ही पीछे भी हो सकती है, मगर वक्त पीछे नहीं हो सकता और अगर घड़ी तो बंद भी हो जाती है मगर उससे समय चक्र नहीं बंद हो जाता। इसी बात को अगर मैं दूसरे शब्दों में कहूँ तो समय को अपनी इच्छा के आधार पर कंट्रोल करना सम्भव नहीं है। जी हाँ साथियों, समय पर कार्य पूर्ण ना कर पाने की मुख्य वजह समय का सही प्रबंधन नहीं, बल्कि अपने दिमाग़ का सही प्रबंधन नहीं कर पाना है। व्यक्ति अमीर हो या गरीब, छोटा हो या बड़ा, पुरुष हो या महिला, इस दुनिया में ईश्वर ने सभी को एक दिन में समान रूप से 24 घंटे का समय दिया गया है। अगर आप अपने दिमाग़ का सही प्रबंधन अर्थात् अपने माइंड को सही तरीके से प्राथमिकताओं के आधार पर, समय निर्धारित कर अर्थात् मैनेज कर कार्य करते हैं, तो आप अपने आप ही बताए गए समय पर कार्य पूर्ण कर पाते हैं।


दोस्तों, मेरी नज़र में यह एक ज्ञात सत्य है कि वक़्त का सम्मान ना करने वाले का एक दिन वक़्त भी सम्मान नहीं करता है। इसीलिए इस बात को हमेशा याद रखना अतिआवश्यक है कि कार्यों को शुरू करने या उनकी डेडलाइन बनाने के पूर्व सही प्राथमिकताएँ बनाना ज़रूरी है और फिर तय प्राथमिकताओं के आधार पर हर कार्य को समय पर पूरा करना भी उतना ही ज़रूरी है। हालाँकि मैं पूर्व में आपको बता चुका हूँ लेकिन फिर भी एक बार और दौहरा देता हूँ कि घड़ी भले ही हमारी हो सकती है, लेकिन वक्त नहीं। वह तो अपनी चाल से ही चलता है। जिसने इस बात को समझ कर अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना लिया है वही जीवन में ऊँचे मुकाम पर पहुँच पाता है। तो आइए दोस्तों, आज से निर्णय लेते हैं कि मेहनत और समयबद्धता के साथ प्राथमिकताओं के आधार पर हर कार्य को तय समय सीमा के साथ पूर्ण करेंगे और कार्य करेंगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

15 views0 comments

留言


bottom of page