Feb 15, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन के उतार-चढ़ाव और जाने-अनजाने में मिले नकारात्मक अनुभव अक्सर जीवन में तमाम तरह की चुनौतियों, समस्याओं और परेशानियों का एहसास करवाते हैं। यह चुनौतियाँ, समस्याएँ और परेशानी अक्सर उतनी बड़ी होती नहीं हैं, जितना हम समझते हैं। इसकी मुख्य वजह तार्किक आधार पर इन सभी नकारात्मक भावों को परख कर इनका हल निकालने का प्रयास ना करना है। आइए इस स्थिति को एक कहानी से समझने का प्रयास करते हैं।
कई सालों पूर्व गाँव के बाहरी इलाक़े में अपने खेत में ही छोटा सा घर बना कर एक संपन्न किसान रहता था। खेती का ज्ञान, जी तोड़ मेहनत करने की आदत और उपजाऊ जमीन उसे अन्य किसानों से अलग बनाती थी। वैसे तो कुल मिलाकर इसका जीवन अच्छा चल रहा था, लेकिन फिर भी वह खेत के बीच में निकले एक पत्थर से परेशान था, जिससे ठोकर खाकर वह कई बार ना सिर्फ़ गिरा था और उसे चोट भी लगी थी, बल्कि 2-4 बार तो इस पत्थर से टकरा कर उसके खेती के महंगे औजार भी टूट गए थे। पत्थर से टकराने और औजार टूटने पर उसे हर बार गुस्सा तो बहुत आता था, लेकिन वह कभी पूरी क्षमता से पत्थर हटाने का प्रयास नहीं करता था।
एक दिन फसल काटते समय उसके साथ वैसी ही अनहोनी घटी जिसका डर था। उसकी फसल काटने की मशीन ‘रीपर’ इस पत्थर से टकरा कर टूट गई। इस बार नुक़सान की वजह से इस किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उसने ठान लिया था कि अब वह इस पत्थर को खेत में से हटाकर ही दम लेगा। वह उसी क्षण गाँव गया और कुछ मजदूर और एक जेसीबी मशीन किराए पर लेकर आया और सबको लक्ष्य देते हुए बोला, ‘आज सब इस चट्टान को खेत से निकालकर बाहर फेंक देंगे!’
इतना कहकर किसान ने ख़ुद से फावड़ा उठाया और पत्थर के किनारे पर वार करने लगा। उसके देखा-देखी जेसीबी मशीन वाला भी आगे बढ़ा और बाक़ी मज़दूर भी अपने औजार लेकर आगे बढ़े । अभी यह सब पत्थर निकालने के लिए कुछ कर भी पाते उसके पहले ही किसान द्वारा 8-10 वार करने पर ही पूरा का पूरा पत्थर जमीन से बाहर निकल आया। वहाँ मौजूद सभी लोग अचंभित थे। उन्हीं में से एक व्यक्ति हँसते हुए बोला, ‘अरे इतने मामूली से पत्थर के लिए, इतना तामझाम!’
उसकी बात सुनते ही सभी लोग हंस पड़े। किसान ख़ुद भी हैरान था। सालों से वह जिसे एक भारी-भरकम चट्टान समझ रहा था, वह तो महज एक छोटा सा पत्थर निकला। अब उस किसान को पछतावा हो रहा था और वह सोच रहा था कि काश अगर मैंने इसे पहले निकालने का प्रयास किया होता तो इतना नुक़सान ना उठाना पड़ता और ना ही उसका मजाक बनता।
अब तो दोस्तों आप भी समझ ही गए होंगे कि पूर्व में मैंने क्यों कहा था कि तार्किक आधार पर परखे बिना चुनौतियों, समस्याओं और परेशानियों को बड़ा मानना ही जीवन की बड़ी भूल होती है। जी हाँ साथियों, कई बार हमारी ज़िंदगी में कुछ रुकावटें आती हैं, जो दूर से देखने पर बहुत बड़ी प्रतीत होती हैं और हम उनका सामना करने के स्थान पर उससे डरते हुए अपना जीवन जीते हैं। जबकि डरकर बचते हुए जीने से बेहतर है कि एक बार हिम्मत करके उनका सामना कर लिया जाये और समाधान मिलने के बाद खुलकर अपना जीवन जिया जाए। तो दोस्तों, अब अगली बार जब आपको कोई समस्या बहुत बड़ी लगे, तो पहले उसे हल करने की कोशिश करें। क्या पता, वह भी सिर्फ़ एक छोटा सा पत्थर निकले!
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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