Mar 12, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

आइए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी एक ऐसी प्रेरणादायी घटना से करते हैं, जिसने उनके जीवन को एक नई दिशा दी थी और वे स्वयं इस घटना की चर्चा जब-तब किया करते थे। उनका मकसद इस घटना से मिली सीख को सबसे साझा कर उन्हें यह सिखाने का प्रयास करना था कि जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे किया जाये।
एक बार वाराणसी की तंग गलियों से गुजरते वक्त स्वामी विवेकानंद का सामना बंदरों के एक झुंड से हो गया। बंदरों से बचने के लिए स्वामी जी तुरंत पीछे की ओर भागे। जिसे देख बंदर भी उनके पीछे हो लिए और बचने का प्रयास करने के बाद भी स्वामी जी बंदरों के हमले से ख़ुद को बचा नहीं पाये। इस हमले की वजह से स्वामी जी को कुछ खरोचें आ गई, दो-तीन जगह उन्हें बंदरों के दाँत भी लगे और उनके कपड़े भी फट गए।
अभी स्वामी जी उन बंदरों से बचने के प्रयास में जोर-जोर से चिल्लाते हुए इधर-उधर दौड़ ही रहे थे कि एक बुजुर्ग की तेज आवाज ने उनका ध्यान खींचा, जो कह रहे थे, ‘स्वामी जी भागिए मत! तत्काल जहाँ है, वहीं रुक जाइए और घूँसा तान कर, बंदरों की ओर पलट जाइए। इसके बाद उनकी ओर इस तरह से बढ़िए कि आप उन पर हमला करने जा रहे हैं।’ स्वामी जी के पास कोई और उपाय तो था नहीं, इसलिए उन्होंने उस अनजान बुज़ुर्ग की बात पर अमल करने का निर्णय लिया और घूँसा तानकर, ललकारते हुए उन बंदरों की ओर बढ़े। स्वामी जी के इस नए रूप को देख बंदर डरकर इधर-उधर भाग खड़े हुए और स्वामी जी ने उस गली को बड़े आराम से पार कर लिया।
आश्रम पहुँच कर स्वामी जी ने जब इस घटना पर विचार किया तो उन्हें इससे जीवन की एक ऐसी महत्वपूर्ण सीख मिली, जिसने उनकी सोच को हमेशा के लिए बदल दिया। उस दिन उन्होंने निर्णय लिया कि ज़िंदगी में हालात कितने भी बुरे क्यों ना हो जाएं; उसमें कितनी भी चुनौतियां, परेशानियाँ या दिक़्क़तें क्यों ना आ जाएँ। अगर आप इनका सामना डट कर करने के लिए तैयार हैं तो जल्द ही आप इन सब से पार पा जाएँगे। इस बदली हुई सोच के कारण ही स्वामी जी ने अपने मित्रों और शिष्यों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘मित्रों! जीवन में जब भी विपरीत परिस्थितियों से सामना हो, तब भागना मत, डटे रहना और सीधे घूँसा तान कर उनकी ओर आक्रामक तरीके से बढ़ना। जल्द ही तुम पाओगे कि तुम्हारी सारी परेशानियां दूर हो गई हैं और कामयाबी तुम्हारे कदम चूम रही है।’
स्वामी विवेकानंद की यह सीख आज भी प्रासंगिक है। यह घटना हमें जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाती है कि हमें जीवन में आने वाली समस्याओं, चुनौतियों, विपरीत परिस्थितियों का सामना करना चाहिए, ना कि उनसे बचने का प्रयास करना चाहिए। जब हम इन समस्याओं, चुनौतियों, विपरीत परिस्थितियों से भागते हैं, तो यह हमारा पीछा करते हैं। जैसे बंदरों ने स्वामी जी का पीछा किया। लेकिन जब हम डटकर उनका सामना करते हैं, तो समस्याएँ भी पीछे हट जाती हैं। इसलिए दोस्तों, जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना हमें साहस और धैर्य के साथ करना चाहिए। भागने से समस्याएँ हल नहीं होतीं, बल्कि उनका सामना करने से ही हम सफल हो सकते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
Comentários