Nov 16, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, समस्या या विपरीत स्थितियों का सामना करने से बचना और टालना मेरी नजर में कभी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। लेकिन इसके बाद भी मैंने अक्सर लोगों को इससे बचते हुए देखा है। मेरी नजर में इसकी मुख्य वजह ऊपरी या फ़ौरी तौर पर समस्याओं को देखना है। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।
बात कई साल पुरानी है, प्राचीन भारत के एक गाँव में अब्दुल नाम का एक जिज्ञासु बालक रहा करता था, जो हमेशा नई-नई बातों को जानने का प्रयास करता था। उस बालक के घर के पास ही एक मौलवी रहा करते थे। एक दिन वह बालक उन मौलवी जी के पास गया और उनसे बोला, ‘मौलवी जी, मैं कामयाब इंसान बनना चाहता हूँ। पर हमेशा छोटी मोटी समस्याओं में उलझकर ही रह जाता हूँ। कृपया मुझे समस्याओं से निजात पाकर कामयाब होने का रास्ता बताएँ।’
मौलवी हँसते हुए बोले, ‘बेटा इसमें कौन सी बड़ी बात है? मैं कामयाब होने का सूत्र तुम्हें अवश्य बताऊँगा, लेकिन उससे पहले क्या तुम मेरी मदद करोगे?’ अब्दुल ने तुरंत ‘हाँ’ में सर हिलाया, जिसे देख मौलवी जी बोले, ‘यह रस्सी लो और मेरी बकरी को सामने वाले खूँट से बाँध दो।’ इतना कहकर बुजुर्ग मौलवी ने बकरी को बांधने वाली रस्सी अब्दुल को दे दी। अब्दुल तुरंत बकरी को पकड़ने के लिए उस के पास गया, लेकिन वह उसके हाथ आई नहीं। असल में वह बकरी बड़ी चंचल थी, इसीलिए किसी के काबू में नहीं आती थी। जब-जब अब्दुल रस्सी लेकर उसके पास जाता, वह छलाँग लगाकर दूर चली जाती। एक-आध बार तो अब्दुल उसे पकड़ने में कामयाब भी हो गया, पर वह उसे खूंटे से बाँध पाता उससे पहले ही वह छिटक कर भाग जाती थी।
इसी तरह बकरी पकड़ने के प्रयास में कब घंटों निकल गए, पता ही नहीं पड़ा। काफ़ी देर तक मशक्कत करने के बाद अब्दुल ने चतुराई से काम लेते हुए बकरी के पाँव को देखना शुरू किया और मौक़ा मिलते ही छलांग लगाकर उसे पकड़ लिया। पैर पकड़े जाने के बाद बकरी के लिए इधर-उधर भागना, उछलना नामुमकिन हो गया, इसलिए कुछ देर प्रयास करने के बाद वह शांत हो गई। अब्दुल ने तुरंत रस्सी के एक सिरे से बकरी को बँधा और दूसरे सिरे को खूँट से बाँध दिया और इसके बाद मौलवी जी के पास गया और उनसे बोला, ‘मौलवी जी, आपका बताया कार्य पूरा हो गया है। कृपया अब मेरी समस्या का समाधान बताइये कि समस्याओं से निपटकर कैसे कामयाब हुआ जा सकता है?’
अब्दुल की बात पूरी होते ही मौलवी जी एकदम से बोले, ‘शाबाश अब्दुल! मैंने खिड़की में से पूरा नज़ारा देखा कि किस तरह तुमने बकरी को काबू में करके खूँट से बाँधा। मेरी नजर में समस्याओं से निजात पाकर कामयाब होने का रास्ता भी यही है। जिस तरह जड़ पकड़ने से पेड़ काबू में आ जाता है, ठीक वैसे ही अगर हम किसी समस्या की जड़ पकड़ ले, तो हम उसका हल आसानी से निकाल सकते हैं।’
मौलवी के द्वारा उदाहरण के साथ समझाये जाने के कारण अब्दुल को कामयाबी का सूत्र समझ आ चुका था और इसी स्पष्टता की वजह से वह बालक बड़ा होकर अब्दुल ग़फ़्फ़ार खाँ याने ‘सीमांत गांधी’ के नाम से पहचाना गया। दोस्तों, यकीन मानियेगा हमें किसी भी समस्या का हल तब तक नहीं मिलता, जब तक हम उसकी जड़ को नहीं पकड़ लेते। इसलिए जब भी जीवन में कहीं अटको सबसे पहले उस समस्या की जड़ को पहचान कर उसे काबू में करने का प्रयास करो। याद रखना बिना समस्या की जड़ पर क़ाबू किए, समस्या का पूर्ण समाधान निकालना असंभव है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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