Feb 10, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, राजपुर में रामदीन नाम का एक बड़ा काश्तकार रहा करता था। उसकी गिनती गाँव के प्रभावशाली लोगों में होती थी। रामदीन के खेत के बीचों-बीच पत्थर का एक नुकीला हिस्सा ऊपर निकला हुआ था। जिसे देख कर प्रतीत होता था, मानो यह चट्टान का ऊपरी भाग है। अक्सर खेत में काम करते समय रामदीन इससे टकरा ज़ाया करता था, जिसके कारण उसे कई बार छोटी-मोटी चोट लग चुकी थी। दो-चार बार तो रामदीन के खेती के औज़ार उससे टकराकर टूट गये थे।
एक दिन रामदीन जब रोज़ की तरह सुबह लगभग ५ बजे खेत पर पहुँचा और काम करने लगा तभी उसका पैर चट्टान से टकरा गया और वह औंधे मुँह ज़मीन पर गिर पड़ा। गिरने के कारण रामदीन की नाक, सिर, मुँह और पैर पर काफ़ी चोट लग गई। इसकी वजह से रामदीन को बहुत तेज ग़ुस्सा आया और उसने उस चट्टान को उसी पल ज़मीन से निकालकर फेंकने का निर्णय लिया। वह तुरंत भागा-भागा गाँव पहुँचा और वहाँ से ४-५ लोगों के साथ एक जेसीबी वाले को बुला लाया।
चट्टान को निकालकर फेंकने का उद्देश्य लिए सभी लोग रामदीन के साथ उसके खेत पर पहुँचे और चट्टान के आस-पास से थोड़ी मिट्टी हटाने लगे, जिससे जेसीबी की सहायता से आसानी से चट्टान निकाली जा सके। अभी उन सभी लोगों ने १०-२० फावड़े ही चलाए थे कि चट्टान के रूप में दिखने वाला पत्थर पूरा का पूरा बाहर निकल आया। चट्टान के स्थान पर छोटा सा पत्थर देख रामदीन के सभी साथी ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे। हंसने वाले उन्हीं साथियों में से एक हंसते हुए, कटाक्ष करते हुए बोला, ‘रामदीन, तो यह थी तुम्हारी चट्टान?’ पहले मित्र की बात सुन दूसरा मित्र बोला, ‘रामदीन, तुम तो कहते थे कि तुम्हारे खेत के बीच में एक बड़ी सी चट्टान दबी हुई है, पर ये तो एक मामूली सा पत्थर निकला?’
मित्र का प्रश्न सुन रामदीन खिसियाते हुए बोला, ‘म…म…म… मुझे तो लगा कि यह एक बहुत बड़ी चट्टान है।’ सभी मित्र रामदीन का मजाक उड़ाते हुए वहाँ से चले गये। लेकिन रामदीन गंभीर सोच में था। उसके मन में विचार चल रहा था कि जिसे मैं एक भारी-भरकम चट्टान समझ रहा था, दरअसल वह बस एक छोटा सा पत्थर था। उसे पछतावा हुआ कि काश उसने पहले ही इसे निकालने का प्रयास किया होता तो उसे इतना नुकसान नहीं उठाना पड़ता और ना ही दोस्तों के सामने उसका मजाक बनता।
दोस्तों, उपरोक्त कहानी को सुन आपको ऐसा नहीं लगता कि रामदीन कोई और नहीं हम स्वयं ही हैं। जी हाँ दोस्तों, आपने सही सुना रामदीन असल में हमारा, चट्टान जीवन में आने वाली परेशानी और खेत हमारे अंतर्मन का स्वरूप है। रामदीन की ही तरह हम भी कई बार ज़िन्दगी में आने वाली छोटी-छोटी बाधाओं को बहुत बड़ा समझ लेते हैं और उनसे निपटने की बजाये जीवन में समझौता करते हुए तकलीफ उठाते रहते हैं।
दोस्तों, अगर आपका लक्ष्य जीवन में सफल होना है या फिर आप सुखी और शांत जीवन बिताना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले जीवन में आने वाली समस्याओं को चुनौती के रूप में देखना सीखें क्योंकि समस्या के रूप में देखना हमारे अंदर नकारात्मक भाव पैदा करता है और चुनौती के रूप में देखना उस स्थिति का सामना करने की ताक़त देता है। ऐसा करके हम क़ीमती जीवन के रूप में इस धरती पर मिले थोड़े से समय का उपयोग सकारात्मक रूप में कर पाते हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो समस्या से भागने के स्थान पर ज़रूरत इस बात की है कि हम बिना समय गँवाये मुसीबतों से लड़ें और जब हम ऐसा करने लगेंगे तो कुछ ही समय में चट्टान सी दिखने वाली समस्या एक छोटे से पत्थर के समान दिखने लगेगी, जिसे हम आसानी से ठोकर मार कर अपने जीवन में सकारात्मक रूप से आगे बढ़ सकते हैं!
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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