Nirmal Bhatnagar
समाज में बढ़ानी हो अपनी स्वीकारोक्ति तो प्रयोग में लाएँ यह 5 सूत्र…
May 18, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, निश्चित तौर पर आपने देखा होगा कि कुछ लोग जहाँ भी जाते हैं, वहाँ के माहौल को नकारात्मक बना देते हैं। उनके पहुँचने भर से ही माहौल में मायूसी छा जाती है। ऐसे लोगों को मैं ‘एनर्जी ड्रेनर’ कहता हूँ। इसके विपरीत आपको कुछ ऐसे लोग भी मिलेंगे जो जहाँ भी जाते हैं, अपने साथ ऊर्जा लेकर जाते हैं। अर्थात् उनके पहुँचते ही माहौल में जान आ जाती है; रौनक़ छा जाती है। ऐसे लोगों को मैं ऊर्जा का स्त्रोत याने ‘एनर्जी सोर्स’ कहता हूँ।
दोस्तों, मैं यहाँ रुककर आपसे एक प्रश्न पूछना चाहूँगा, आप दोनों में से, अर्थात् एनर्जी ड्रेनर और एनर्जी सोर्स में से, किसका साथ पसंद करेंगे? निश्चित तौर पर आपका जवाब होगा, ‘एनर्जी सोर्स का!’ सही है ना? अगर हाँ दोस्तों, तो हमें इसका विपरीत भी सोच कर देखना होगा। याने जिन लोगों के आस-पास हम रहते हैं, वे लोग भी एनर्जी सोर्स का साथ चाहते होंगे। इसका अर्थ हुआ, अगर हम अपनी स्वीकारोक्ति समाज में बढ़ाना चाहते हैं तो हमें ऊर्जा का स्त्रोत याने एनर्जी सोर्स बनना होगा। आईए, आज हम एनर्जी सोर्स बनने के लिए आवश्यक 5 बातों को समझने का प्रयास करते हैं-
पहला - वर्तमान में जिएँ
ऊर्जा का स्त्रोत बनने की पहली और सबसे ज़रूरी आवश्यकता है, ऊर्जावान रहना याने सेल्फ़ मोटिवेटेड होना। यह तभी सम्भव हो सकता है, जब आप अपना जीवन वर्तमान में जीते हों क्योंकि अतीत के नकारात्मक अनुभवों के साथ रहते हुए और भविष्य की अनिश्चितताओं के बीच ऊर्जावान रहना सम्भव नहीं है। जी हाँ, भविष्य की अनिश्चितता के तनाव या अतीत के नकारात्मक अनुभव को याद करते हुए ऊर्जावान बने रहना सम्भव नहीं है। लेकिन जब आप अतीत को भूलकर और भविष्य की चिंता छोड़कर, वर्तमान में जीते हैं, तब आप अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए, अधिकतम परिणाम प्राप्त करते हैं। इसलिए शांति के साथ अपने अतीत को स्वीकार कर वर्तमान में जिएँ और सुनहरे भविष्य को गढ़ें।
दूसरा - सामने वाले व्यक्ति के अंदर तीव्र इच्छा पैदा करें
निश्चित तौर पर आपने महसूस किया होगा कि आजकल ज़्यादातर लोग अपने हित, अपने फ़ायदे को प्राथमिकता देते हुए जीना पसंद करते हैं। मुझे तो कई बार लगता है कि आत्म केंद्रित जीवन जीना एक फ़ैशन बनता जा रहा है। ऐसे में दूसरों की प्राथमिकताओं को सम्मान देते हुए जीना; उन्हें उनके लक्ष्यों को पाने के लिए प्रेरित करना; उनमें सफलता की भूख जगाना, अपने आप में एक बड़ा कार्य है। जो अनायास ही सामने वाले के मन और दिल में जगह बना लेता है और आप उस इंसान के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन जाते हैं। वैसे सामने वाले व्यक्ति के अंदर तीव्र इच्छा पैदा करना, उसके मन में आपके प्रति समर्पण का भाव भी पैदा करता है। जिसकी वजह से सामने वाला इंसान हमेशा के लिए आपका हो जाता है।
तीसरा - दूसरों को सुखी बनाने के लिए प्रयासरत रहें
आपके पास बहुत कुछ हो या थोड़ा सा, हर परिस्थिति, हर हाल में अपनी ओर से दूसरों की मदद करें, उनके जीवन को आसान और खूबसूरत बनाने के लिए प्रयासरत रहें ताकि वे सुख पूर्वक अपने जीवन को जी सकें और यह तभी सम्भव हो सकता है, जब आप अपना जीवन समानुभूति के भाव के साथ जिएँ। अपने सामर्थ्य अनुसार दूसरों की मदद करने, देने का भाव रखने का एक लाभ और होता है, आप सामने वाले के जीवन को बेहतर बनाने के साथ-साथ अपना जीवन शांत, संतुष्ट और खुश रहते हुए जी पाते हैं। इसलिए लोगों के जीवन को आसान और खूबसूरत बनाने के लिए प्रयासरत रहें।
चौथा - स्वीकारोक्ति का भाव रखें
ईश्वर ने हर इंसान को किसी ना किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए बनाया है, इसलिए हमारे जीवन में जो भी घटित होता है वह सभी के अच्छे के लिए होता है। ईश्वर ने शायद इसीलिए हर इंसान को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से अलग बनाया है। जब हम सब अलग-अलग हैं तो निश्चित तौर पर एक ही परिस्थिति में हमारी प्रतिक्रिया अलग-अलग हो सकती है। इसलिए आपके अच्छा करने के बाद भी कई बार लोगों से आपको विपरीत प्रतिक्रिया मिल सकती है, उसे स्वीकारें। याद रखिएगा, हम लोगों को प्लीज़ करने या उनसे तारिफ़ सुनने के लिए अच्छा कार्य नहीं कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य उससे कई गुना बड़ा है, हम ईश्वरीय योजना को पूर्ण करने के लिए उसके दिखाए रास्ते पर चल रहे हैं।
पाँचवाँ - समर्पण और आस्था के भाव के साथ जीवन जिएँ
अगर आप सफल हैं, लोगों की मदद कर पा रहे हैं और उपरोक्त चारों सूत्रों का पालन करते हुए अपना जीवन ख़ुशी-ख़ुशी जी पा रहे हैं, तो इसका एक ही अर्थ है, आपके ऊपर ईश्वर की विशेष कृपा है। वे अपनी किसी महत्वपूर्ण योजना को आपके माध्यम से पूरी करना चाहते हैं। वे आपको साधन के रूप में इस्तेमाल करके लोगों तक अपनी ऊर्जा का अंश पहुँचा रहे हैं; उनके जीवन को आसान और बेहतर बना रहे हैं। ईश्वर ने इतने महत्वपूर्ण कार्य के लिए आपको चुना, इसके लिए आभारी रहें और पूर्ण समर्पण और आस्था के साथ अच्छे कार्य करते रहें, प्रभु की कृपा को लोगों तक पहुँचाते रहें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर