Oct 28, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, कहने के लिए विद्यालय बच्चों को शिक्षा देने का स्थान है, लेकिन यकीन मानियेगा विद्यालय में बच्चे आज भी हम जैसे बड़ों को कुछ ना कुछ सीखा देते हैं। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ। एक छोटे से पहाड़ी गाँव में रवि नाम का बुद्धिमान, जिज्ञासु और उत्साह से भरा हुआ लड़का रहता था। रवि में एक बुरी आदत थी, जो भी इंसान उससे भिन्न होता था, वो उसका सम्मान कभी नहीं करता था।
एक दिन रवि की कक्षा में अर्जुन नाम का एक नया दिव्यांग छात्र आया, जो व्यवहार के मामले में बाक़ी बच्चों के मुक़ाबले थोड़ा अलग था। वह अक्सर अपने ख्यालों में खोए रहने के कारण एकदम शांत रहता था। पैरों में लचक के कारण अर्जुन पैदल चलते वक्त बैसाखी की सहायता लेता था और इसी वजह से रवि अक्सर उससे कटा-कटा रहता था। एक दिन कक्षा के सभी बच्चों को लंच के दौरान फुटबॉल खेलता देख, अर्जुन का मन भी सबके साथ खेलने के लिए मचलने लगा। लेकिन वह जानता था कि वह रवि और अन्य बच्चों के समान तेज नहीं दौड़ सकता है इसलिए वह बेंच पर बैठ कर बाक़ी लोगों को खेलता देखने लगा। रवि अर्जुन को बैठा देखकर उसकी इच्छा समझ गया था लेकिन इसके बाद भी उसने उसे यह सोच कर खेलने के लिए नहीं बुलाया कि ‘जब वह दौड़ नहीं सकता है तो खेलने का क्या फ़ायदा।’
खेल के दौरान एक ग़लत पास की वजह से फुटबॉल मैदान के बाहर बैठे अर्जुन के पास चली गई, जिसे लेने के लिए बड़े अनमने मन से चिढ़ते हुए रवि गया। जैसे ही वह गेंद उठाने के लिए अर्जुन के पास पहुँचा, अर्जुन मुस्कुराते हुए उससे बोला, ‘तुम बहुत अच्छा खेलते हो, रवि।’ अर्जुन के मुँह से तारीफ़ सुन रवि हैरान था। उसने कभी नहीं सोचा था कि अर्जुन उससे बात करेगा, वह भी तारीफ करने के लिए। ‘धन्यवाद!’, रवि ने धीरे से कहा और वापस खेलने चला गया। बचे हुए खेल के दौरान उसके मन में कई विचार उठ रहे थे। उस रात, सोते समय, बिस्तर पर लेटे हुए रवि ने अर्जुन के उस वाक्य के विषय में कई बार सोचा। उसे महसूस हुआ कि भले ही अर्जुन उनके साथ खेल नहीं सकता था, फिर भी वह खेल का आनंद लेता था और उन्हें देखता था। आज पहली बार, रवि को अर्जुन की स्थिति का एहसास हुआ कि हर रोज अर्जुन को बेंच पर बैठकर दूसरों को मज़े करते देखना; उस मजे में कभी शामिल न हो पाना, कैसा लगता होगा।
अगले दिन स्कूल में, टीचर ने सभी बच्चों को एक समूह प्रोजेक्ट करने को कहा, और सभी को अपने पार्टनर चुनने के लिए कहा। रवि, हमेशा की तरह, अपने सबसे अच्छे दोस्त साहिल के साथ मिल गया। लेकिन तभी उसका ध्यान अर्जुन की ओर गया जो अभी भी अपनी डेस्क पर अकेला बैठा हुआ था। उसे इस तरह अकेला बैठा देख आज रवि के मन में पहली बार बेचैनी हो रही थी। उसके मन में अर्जुन की कल की मुस्कुराती तस्वीर घूम रही थी; उसे वह पल याद आ रहा था जब अर्जुन ने उसकी तारीफ़ की थी। रवि ने साहिल की तरफ देखा और बोला, ‘मुझे लगता है कि हमें अर्जुन को अपने समूह में शामिल करना चाहिए।’
रवि की बात सुन साहिल हैरान था, वह चौंकता हुआ बोला, ‘लेकिन क्यों? वह ज्यादा बात नहीं करता, और शायद वह हमारे प्रोजेक्ट पूरा करने की गति को धीमा कर देगा।’ रवि कुछ पल के लिए रुका, लेकिन फिर दृढ़ता से बोला, ‘क्योंकि यह सही है। उसे भी बाकी सभी की तरह शामिल होने का हक है।’ इतना कहकर रवि सीधे अर्जुन के पास गया और बोला, ‘अर्जुन, क्या तुम हमारे समूह में शामिल होना चाहोगे?’ अर्जुन हैरानी से ऊपर देखता है, उसके चेहरे पर एक अनपेक्षित खुशी थी। ‘सच में? क्या तुम सच में मुझे शामिल करना चाहते हो?’ रवि चेहरे पर सच्ची मुस्कान लिए बोला, ‘हाँ अर्जुन, हम तुम्हें अपने समूह में शामिल करना चाहते हैं।’
इस घटना के बाद, क्लासरूम का माहौल बदलने लगा और गुजरते वक्त के साथ रवि और अर्जुन के बीच दोस्ती पनपने लगी और धीरे-धीरे अन्य छात्र भी अर्जुन से बात करने लगे; उसे अपने साथ अन्य गतिविधियों में शामिल करने लगे। अर्जुन, जो पहले शांत और अलग-थलग रहता था, अब खुलने लगा, और उसकी हंसी और बुद्धिमत्ता सबके सामने आने लगी थी। इस घटना से रवि ने भी एक बड़ा ही महत्वपूर्ण सबक सीखा था, ‘दूसरों का सम्मान करना सिर्फ शिष्टाचार की बात नहीं है, बल्कि यह समझने की बात है कि हर व्यक्ति, चाहे वह कितना भी अलग क्यों न हो, कुछ न कुछ विशेष गुण रखता है। अर्जुन भले ही फुटबॉल न खेल सकता था, लेकिन उसकी सोच और समझदारी काबिले तारीफ थी, जो पहले कोई नहीं देख पाया था, क्योंकि किसी ने उसे जानने की कोशिश नहीं की थी। इस घटना ने अर्जुन को भी आत्मविश्वास से भर दिया था; उसकी पूरी शख्सियत को बदल दिया था।
दोस्तों, साधारण सी लगने वाली यह कहानी वास्तव में हमारे जीवन को इसी पल बेहतर बना सकती है। उदाहरण के लिए इससे आप सीख सकते हैं कि अगर आप दूसरों का सम्मान करते हैं, तो आपको भी उसी सम्मान और प्रेम से नवाज़ा जाता है। ठीक इसी तरह अर्जुन का किरदार हमें सिखाता है कि असली ताकत केवल शारीरिक क्षमता में नहीं, बल्कि इस बात में है कि आप दूसरों के साथ कैसा बर्ताव करते हैं। सम्मान और करुणा के छोटे-छोटे कदम हमारे समाज में बड़ी लहर पैदा कर सकते हैं।
जी हाँ दोस्तों, सम्मान का अर्थ सिर्फ यह नहीं है कि हम दूसरों से अच्छे से पेश आएं। यह तो इस बात की समझ है कि हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी रूप में अलग हो, सम्मान और अपनापन पाने का हक रखता है। जब हम दूसरों का सम्मान करते हैं, तो हम एक ऐसी दुनिया बनाते हैं जहाँ हर कोई महत्वपूर्ण महसूस करता है, जहाँ हर किसी को अपनापन मिलता है, और जहाँ हम सभी एक-दूसरे की मदद करके बेहतर इंसान बनते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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