Nov 28, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, आपने निश्चित तौर पर यह कहावत तो सुनी होगी, ‘रस्सी तो जल गई, लेकिन बल नहीं गए।’ यही स्थिति कुछ उन लोगों की होती है, जो पद, पैसे या ताक़त के बूते पर सम्मान पाने की चाह रखते हैं। ऐसे लोग अक्सर यह भूल जाते हैं कि जो सम्मान इन्हें पद, पैसे या ताक़त के बल पर मिल रहा है अक्सर वो सम्मान इनका नहीं, अपितु पद, पैसे या ताक़त का होता है। लेकिन किसी भी इंसान में सम्मान की चाह होना बड़ा स्वाभाविक है, इसलिए मैं हमेशा बच्चों से कहता हूँ कि अगर सम्मान चाहते हो तो अपने अंदर अच्छाई पैदा करो क्योंकि जब किसी व्यक्ति के जीवन में अच्छाई का तत्व आ जाता है, तो वह जीवन स्वयं ही सम्मानित और दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन जाता है। जी हाँ साथियों, समाज में अच्छाई का संदेश फैलाना और उसे अपनाना न सिर्फ़ ख़ुद के लिए बल्कि समाज के लिए भी लाभकारी होता है। इसीलिए कहा जाता है कि अच्छे कार्यों और निस्वार्थ सेवा के माध्यम से ही व्यक्ति महान बनता है क्योंकि समाज की भलाई के लिए किया गया हर छोटा या बड़ा प्रयास उस व्यक्ति को सम्माननीय बनाता है और समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। आइये, आज हम सम्मान और अच्छाई के महत्व को चार बिंदुओं में समझने का प्रयास करते हैं।
पहला - अच्छाई का प्रभाव और उसका महत्व
जैसा पूर्व में मैंने बताया, अच्छे कार्य करना एक ऐसा प्रयास है जो न केवल स्वयं को बल्कि समाज को भी स्वस्थ, सदाचारी और खुशहाल बनाता है। अच्छाई का मतलब केवल व्यक्तिगत लाभ से नहीं होता बल्कि इसमें दूसरों की भलाई का भाव होता है। जब व्यक्ति दूसरों के लिए अच्छा सोचता और करता है, तो उसे सम्मान और प्यार दोनों ही मिलते हैं। महापुरुष सदैव यही संदेश देते हैं कि समाज की उन्नति तभी संभव है जब उसमें अच्छाई, करुणा और सहानुभूति का भाव हो।
दूसरा - धन और भोग के पीछे नहीं भागें
‘सम्मान और सच्चे सुख को केवल धन और भोग से पाया जा सकता है’, यह मेरी नजर में पूर्णतः ग़लत धारणा है। धन जीवन में आवश्यक है, परंतु यह सभी समस्याओं का समाधान नहीं है और न ही यह आपको सच्ची प्रसन्नता दे सकता है। सहमत ना हों तो अपने आसपास नजर घुमाइयेगा आपको ऐसे कई धनवान मिल जाएँगे जो असंतोष, तनाव और निराशा का शिकार होंगे। सच्चे सुख, सम्मान और संतोष को तो केवल अपनी आत्मा और समाज के हित के लिए किए गए अच्छे कार्यों से ही पाया जा सकता है।
तीसरा - समाज की उन्नति में योगदान दें
जब व्यक्ति अपने व्यक्तिगत लाभ से ऊपर उठकर समाज के हित में योगदान देने का प्रयास करता है, तो वह समाज के लिए एक मिसाल बनता है। समाज की उन्नति के लिए मिलजुल कर काम करना एक स्वस्थ, सदाचारी समाज का निर्माण करता है। इसलिए जब हर व्यक्ति समाज के कल्याण के लिए अच्छा सोचेगा और अच्छे कार्य करेगा, तो समाज का भी विकास होगा और उसका जीवन भी सम्मानित होगा।
चौथा - महापुरुषों का संदेश और आदर्श
आप स्वामी विवेकानंद से लेकर महात्मा गांधी या डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम तक किसी के भी जीवन को देख लें आप पायेंगे कि इन्होंने कभी भी अपनी उन्नति और भौतिक सुखों का पीछा नहीं किया है। इन सभी के अनुसार, सच्ची उन्नति तभी संभव है जब व्यक्ति सद्गुणों और अच्छाई को अपने जीवन का हिस्सा बनाए। इन सभी महापुरुषों ने भी जीवनभर समाज सेवा और अच्छाई का रास्ता अपनाया और इसी के कारण वे आज भी समाज में सम्माननीय माने जाते हैं।
अंत में दोस्तों, मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा कि सम्मान और अच्छाई का आपस में गहरा संबंध है। अच्छे कार्य और निस्वार्थ सेवा से व्यक्ति समाज में सम्मान पाता है। इसलिए केवल धन और भोग के पीछे न भागकर, हमें अच्छाई, सहानुभूति और समाज के प्रति सेवा का भाव रखते हुए जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। यही हमें सच्चा सम्मान दिलाकर, हमारे जीवन को संपूर्ण और सार्थक बनाता है। तो आइए दोस्तों, हम सब आज से सम्मान पाने के लिए सबसे पहले खुद को अच्छा बनाते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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