top of page
Search

सहानुभूति और समानुभूति का भाव बनाता है हमें इंसान…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Apr 19, 2024
  • 3 min read

Apr 19, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…



दोस्तों, कुछ डिग्री, बड़ा पद या व्यवसाय, ढेर सारा पैसा, गाड़ी, बंगला आदि आपको इस दुनिया में महत्वपूर्ण या एक अच्छा इंसान नहीं बनाता है। उसके लिए तो आपको अपने अंदर इंसानियत का भाव विकसित करना होगा और यह तब तक संभव नहीं है जब तक आप दूसरों के दर्द और परेशानी को ख़ुद महसूस करने की क्षमता अपने अंदर विकसित ना कर लें। अपनी बात को मैं आपको एक हंसी-मजाक भरे क़िस्से से समझाने का प्रयास करता हूँ, जो शायद आपने पूर्व में भी सुना होगा।


बात कई साल पुरानी है एक बार गर्मियों की छुट्टी में हिल स्टेशन पर वादियों का मज़ा लेने के लिए एक डॉक्टर, एक वकील, एक पंडित और एक छात्र निजी विमान से जा रहे थे। कुछ देर तो चारों लोगों की यात्रा मज़े से चल रही थी, लेकिन अचानक ही पायलट ने पीए सिस्टम पर घोषणा करी कि विमान के एक इंजन में ख़राबी आ गई है और बाहर मौसम भी ख़राब है। इसलिए सभी यात्रियों से निवेदन है कि वे सुरक्षा बेल्ट बांध लें।


अभी इस सूचना को कुछ ही मिनट हुए थे कि पायलट की आवाज़ एक बार फिर पीए सिस्टम पर गूंजी की ‘दुर्भाग्य से विमान के दूसरे इंजन ने भी काम करना बंद कर दिया है। मैंने विमान को बचाने की हर संभव कोशिश कर ली है। लेकिन हमें सफलता नहीं मिली है। अब हमारे पास पैराशूट लेकर कूदने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है। मैं पैराशूट लेकर कूद रहा हूँ। बेहतर होगा कि आप सभी लोग भी ऐसा ही करें।


इतना कहकर पायलट तो नीचे कूद गया। लेकिन विमान के अंदर पैराशूट ढूँढने की होड़ लग गई। दुर्भाग्य से उस दिन विमान में तीन ही पैराशूट मिले। अब दुविधा थी कि चार लोगों में से कौन तीन लोग होंगे जो पैराशूट लेकर कूदेंगे। अभी विचार विमर्श चल ही रहा था कि डॉक्टर बोला, ‘देखिए मैं एक डॉक्टर हूँ और मेरा काम लोगों की जान बचाना है। अगर मैं मर जाऊँगा तो बहुत सारे लोग अनजाने में बीमारियों से मारे जाएँगे। इसलिए मेरा बचना ज़रूरी है।’ डॉक्टर की बात सभी लोगों को उचित लगी इसलिए उन्होंने डॉक्टर को एक पैराशूट लेकर कूद जाने की अनुमति दे दी। अभी बाक़ी लोग बातचीत कर कुछ तय करते उसके पहले ही वकील ने कहा, ‘"मैं एक वकील हूँ और वकील दुनिया के सबसे होशियार लोग होते हैं। इसलिए मेरा जीना आवश्यक है।’ इतना कहते ही उसने हड़बड़ाहट में एक पैराशूट उठाया और विमान से कूद गया।


अब विमान में दो लोगों याने पंडित जी और छोटा बच्चे के बीच में एक ही पैराशूट बचा था। पंडित जी ने बड़े प्यार से बच्चे की ओर देखा और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले, ‘बेटा, ईश्वर की भक्ति करते हुए मैंने एक लंबा और बेहतरीन जीवन जी लिया है। तुम अभी बच्चे हो और तुम्हें अभी इस दुनिया में बहुत कुछ देखना है; इस दुनिया को और बेहतर बनाना है। इसलिए तुम अंतिम पैराशूट लेकर कूद जाओ और शांति के साथ उद्देश्य पूर्ण जीवन जियो।’


पंडित जी की बात सुन बच्चा मुस्कुराया और बोला, ‘आदरणीय पंडित जी, ऐसा सोचने की या करने की अब कोई ज़रूरत नहीं है। यह पैराशूट आप ही अपने पास रखिए और विमान से सुरक्षित कूद जाइए क्योंकि इस दुनिया का सबसे समझदार इंसान मेरे स्कूल बैग को पैराशूट समझ कर, उसे पहन कर विमान से नीचे कूद गया है।’


कहने के लिए दोस्तों, यह एक चुटकुला हो सकता है लेकिन अगर आप चाहें तो इससे भी जीवन जीने का एक महत्वपूर्ण सूत्र सीख सकते हैं। वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी या अधिकारी होना हमें परिभाषित नहीं करता है और ना ही कोई भौतिक संपत्ति हमें परिभाषित कर सकती है। लेकिन अगर हम में मानवीयता और इंसानियत है तो हमें एक अच्छे इंसान के रूप में ज़रूर परिभाषित किया जा सकता है। इसीलिए कहा जाता है, ‘दूसरों के साथ सहानुभूति और समानुभूति रखने की क्षमता और उनकी मदद करने की इच्छा दो ऐसे गुण हैं जो हमें इंसान बनाते हैं।'


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

Comments


bottom of page