
दोस्तों हाल ही में मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में मास कम्यूनिकेशन पढ़ रही एक छात्रा से मिलने का मौक़ा मिला। वह अपने कॉलेज के एक प्रोजेक्ट के लिए मेरा साक्षात्कार लेना चाहती थी। साक्षात्कार के बाद सामान्य बातचीत के दौरान मुझे पता पड़ा कि बारहवीं कक्षा तक उसने जीव विज्ञान अर्थात् बायोलॉजी के साथ शिक्षा ली थी। लेकिन बाद में उसने अपनी पसंद के आधार पर मास कम्यूनिकेशन को चुना। उसका जवाब सुन मुझे अच्छा लगा क्यूँकि मेरा मानना है कि अगर आपको जीवन के किसी भी पड़ाव पर लगता है कि आपने कोई ग़लत निर्णय लिया है या किसी चीज़ का ग़लत चुनाव कर लिया है, तो उस निर्णय को सही सिद्ध करने के चक्कर में खुद को सज़ा देने के स्थान पर, उसे सुधार लेना बेहतर होता है।
मैंने बात आगे बढ़ाते हुए उससे, उसकी भविष्य की योजना के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह अब एम॰बी॰ए॰ फ़ायनेंस करना चाहती है। मुझे लगा शायद वह फ़ायनेंस और मास कम्यूनिकेशन पर आधारित कैरियर बनाना चाह रही है, जो वाक़ई एक अच्छा कॉम्बिनेशन है। लेकिन जल्द ही मेरी यह धारणा ध्वस्त हो गई। असल में वह अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों की सलाह पर एक बार फिर अपनी फ़ील्ड बदलना चाह रही थी। अब उसे लग रहा था कि मास कम्यूनिकेशन के साथ उसके लिए बड़ा पैकेज पाना सम्भव नहीं होगा।
ऐसा ही एक केस महिदपुर रोड स्थित गुरुकुल मानस एकेडमी द्वारा अपने शहर की शिक्षा के विकास के लिए आयोजित ‘मंथन’ कार्यक्रम के दौरान भी मुझे देखने को मिला। जिसमें 2-3 वर्ष से नीट की तैयारी कर रहे बच्चे को अब डॉक्टर बनने के स्थान पर बी॰ कॉम॰ कर व्यवसायी बनना था। ऐसा ही एक और केस काउन्सलिंग के लिए आए एक युवा का भी था, जो बी॰ए॰ द्वितीय वर्ष करने के बाद एक बार फिर से ग्यारहवीं-बारहवीं की परीक्षा देकर, नीट पास कर डॉक्टर बनना चाहता था।
दोस्तों पिछले कुछ वर्षों में मैंने बड़े पैकेज, जल्दी अमीर बनने की चाहत या पैसों से प्यार के चलते बच्चों को नैसर्गिक प्रतिभा होने के बाद भी कैरियर बदलते देखा है। अब यह सही है या ग़लत, इस पर चर्चा करने या अपना मत बताने से कोई फ़ायदा नहीं है। लेकिन हम सही निर्णय लेने के लिए आवश्यक तीनों सम्भावनाओं पर तो चर्चा कर ही सकते हैं।
कोई भी इंसान इन तीन पहलुओं के समन्वय से अपना कैरियर बना सकता है। पहला - नैसर्गिक प्रतिभा या शौक़, दूसरा - कौशल अर्थात् वह स्किल जिनमें आप अच्छे हैं और तीसरा - बाज़ार किन कार्यों के लिए अच्छे पैसे देने के लिए राज़ी है अर्थात् बाज़ार की ज़रूरत या डिमांड। इन तीनों को आधार बनाने पर आपको कैरियर का चुनाव करने के लिए तीन विकल्प अर्थात् ऑप्शन मिलेंगे-
पहला विकल्प - आप नैसर्गिक प्रतिभा या शौक़ और कौशल के समन्वय के आधार पर अपना कैरियर बनाएँ। यह कैरियर आपको ख़ुशी तो बहुत देगा लेकिन हो सकता है आप पैसे बहुत अधिक ना कमा सकें।
दूसरा विकल्प - आप दूसरी और तीसरी बात अर्थात् कौशल और बाज़ार की ज़रूरत अर्थात् डिमांड, के समन्वय के आधार पर अपना कैरियर बनाएँ। यह कैरियर आपको जल्दी अमीर तो बनाएगा अर्थात् पैसा तो बहुत देगा, लेकिन हो सकता है आप जल्द ही इससे बोर हो जाएँ। अर्थात् आप असंतुष्टि के भाव के साथ अपना जीवन जिएँगे।
तीसरा विकल्प - आप तीनों बातों के समन्वय के आधार पर कैरियर बनाएँ अर्थात् आपकी नैसर्गिक प्रतिभा या शौक़ प्लस कौशल प्लस बाज़ार की ज़रूरत अर्थात् डिमांड। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जो आपकी नैसर्गिक प्रतिभा या शौक़ है, उसी कार्य को करने की आप में दक्षता है और बाज़ार को भी उसकी ज़रूरत है अर्थात् उसकी डिमांड है। यह कैरियर सपनों का कैरियर हो सकता है क्यूँकि यह आपको पैसों के साथ संतुष्टि और आत्मिक सुख, दोनों देगा।
अब आप अपनी प्राथमिकताओं और उपरोक्त तीनों विकल्पों के आधार पर अपने कैरियर की सम्भावनाओं को परखें और अगर आप पहला विकल्प अपने कैरियर के लिए चुन रहे हैं, तो मैं आपको सलाह दूँगा कि आप कैरियर के शुरुआती सालों में ही पैसिव आमदनी के ज़रिए बनाएँ और अगर आप दूसरा विकल्प चुनते हैं तो मेरी सलाह रहेगी कि आप प्रतिदिन अपने शौक़ अर्थात् हॉबी या जो कार्य आपके दिल को सुकून देता है, उसके लिए समय निकालें। याद रखिएगा दोस्तों, पैसा, संतुष्टि, शांति और मस्ती सभी का अच्छा और संतुलित समन्वय आपको सौ प्रतिशत जीवन जीने का अवसर देता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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