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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों को मज़बूत बनाने के सात सूत्र - भाग 1

Mar 23, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, मेरी नज़र में अपनों का साथ याने रिश्ता; भौतिक सफलताओं से ज़्यादा ज़रूरी होता है क्योंकि आप भौतिक सुख-सुविधाओं के बिना तो खुश रह सकते हैं, लेकिन सब-कुछ होने के बाद भी इस दुनिया में अकेले रहते हुए खुश रहना मुश्किल है। इसीलिए मैं किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए रिश्ते बनाने के ख़िलाफ़ रहता हूँ। वैसे भी दो शरीर, दो दिमाग़, दो भावनाएँ कभी पूरी तरह मेल खाकर एक नहीं हो सकती है। यह तभी सम्भव है जब हम तार्किक आधार पर हर तरह की तुलना बंद कर भावनाओं के आधार पर रिश्तों को प्रधानता देने लगें। आईए, आज हम सामाजिक एवं पारिवारिक रिश्तों को मज़बूत बनाने के 7 सूत्र में से प्रथम 5 सूत्र सीखते हैं-


पहला सूत्र - भावनाओं को दें महत्व

अक्सर रिश्तों को बनाने या निभाने में सबसे बड़ी चूक उन्हें तर्कों के आधार पर परखना होता है। रिश्ते कभी भी मुनाफ़े या फ़ायदे को नज़र में रखकर नहीं बनाए जाते हैं। उनमें तो भावनाओं की प्रधानता रहती है।


दूसरा सूत्र - सामने वाले व्यक्ति को प्राथमिकता दें

याद रखें जैसे आपकी भावनाएँ, प्राथमिकताएँ, लक्ष्य और समय आदि महत्वपूर्ण हैं, ठीक वैसे ही सामने वाले व्यक्ति की भावनाएँ, प्राथमिकताएँ, लक्ष्य और समय का भी महत्व है। अगर आप इस बात का ध्यान रखेंगे तो ही आप रिश्तों को मज़बूत बना पाएँगे। इसलिए साथियों, अगर आप अपने रिश्ते को कारगर बनाना चाहते हैं, तो खुद को लगातार याद दिलाते रहिए - कि दूसरा आपसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।


तीसरा सूत्र - रिश्तों को ‘टेकन फ़ॉर ग्रांटेड ना लें’

रिश्तों के विषय में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी रिश्ता पक्का नहीं होता, वह हर पल बदलता रहता है। अगर मेरी बात से सहमत ना हो, तो अपने जीवन को ही एक बार पलट कर देख लीजिएगा। आपको एहसास हो जाएगा कि इतने वर्षों में कई लोग आपके जीवन में आए और कई चले गए। लोग आपके साथ किसी भी रिश्ते में सिर्फ़ तब रहते हैं जब आप अपने रिश्ते को हर रोज़ ठीक तरह से निभाते है।


चौथा सूत्र - रिश्तों और संसाधनों के अंतर को समझें

अक्सर हम भौतिक संसाधनों को इंसान से ज़्यादा महत्व दे देते हैं, जो कहीं से भी सही नहीं है। याद रखिएगा, साधन-संसाधन उपयोग के लिए होते हैं और लोग इंसानियत का रिश्ता निभाने के लिए। इसलिये संसाधनों से प्यार करने के स्थान पर लोगों से प्यार करें।


पाँचवाँ सूत्र - याद रखें आपका जीवन आपकी ज़िम्मेदारी है

अक्सर अपेक्षाओं के कारण हम दूसरों को अपने जीवन में घटने वाली घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार मान लेते हैं, जो बिलकुल भी सही नहीं है। अपने जीवन को सही दिशा देकर जीवन में आगे बढ़ाना आपकी स्वयं की ज़िम्मेदारी है। इसलिए हमेशा याद रखें आपका जीवन सौ फीसदी आपकी जिम्मेदारी है। जब आप इस भाव से जीते हैं तब आप किसी और से अपेक्षा रखे बिना जीते हैं। ऐसी स्थिति में दूसरों के प्रति नाराज़गी रखने की कोई जगह नहीं बचती और आप रिश्तों को गरिमापूर्ण तरीके से निभाते हुए जीवन में आगे बढ़ जाते हैं।


आज के लिए इतना ही दोस्तों, कल हम सामाजिक एवं पारिवारिक रिश्तों को मज़बूत बनाने के अंतिम 2 सूत्र सीखेंगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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