Mar 24, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, तेजी से बदलती इस दुनिया में कहीं ना कहीं हमारे जीवन मूल्य भी बड़ी तेजी से बदलते जा रहे हैं। बदलाव की इसी कड़ी में ज़्यादातर लोग मूलभूत भावनाओं के स्थान पर भौतिक चीजों को ज़्यादा महत्व दे रहे हैं। इसीलिए कुछ लोगों के लिए रिश्ते भी भौतिक वस्तु समान हो गए हैं। पिछले दो दिनों में हमने जीवन के सच्चे आनंद के लिए सच्चे रिश्तों के महत्व के साथ सामाजिक एवं पारिवारिक रिश्तों को मज़बूत बनाने के 7 सूत्र में से प्रथम 5 सूत्र सीखे थे। आईए, आगे बढ़ने से पहले उन्हें संक्षेप में दोहरा लेते हैं।
पहला सूत्र - भावनाओं को दें महत्व
अक्सर रिश्तों को बनाने या निभाने में सबसे बड़ी चूक उन्हें तर्कों के आधार पर परखना होता है। रिश्ते कभी भी मुनाफ़े या फ़ायदे को नज़र में रखकर नहीं बनाए जाते हैं। उनमें तो भावनाओं की प्रधानता रहती है। इसलिए तात्कालिक लाभ के स्थान पर भावनाओं को महत्व दें।
दूसरा सूत्र - सामने वाले व्यक्ति को प्राथमिकता दें
अपनी प्राथमिकताओं के समान दूसरे व्यक्ति की प्राथमिकताओं और ज़रूरतों को बराबरी के भाव से देखना और उसी के अनुसार जीवन में आगे बढ़ना रिश्तों को मज़बूत बनाता है। ऐसे में दूसरे व्यक्ति को खुद से ज़्यादा महत्वपूर्ण मान, आगे बढ़ना रिश्तों को ज़्यादा मज़बूत और कारगर बनाता है।
तीसरा सूत्र - रिश्तों को ‘टेकन फ़ॉर ग्रांटेड ना लें’
हमेशा याद रखें, जिस तरह दुनिया में हर चीज़ बदल रही है ठीक उसी तरह रिश्ते भी हर पल बदल रहे हैं। इसलिए अगर आप अपने रिश्ते को रोज़ ठीक तरह से निभाएँगे, तभी लोग आपके साथ किसी भी रिश्ते में बंधे रह पाएँगे।
चौथा सूत्र - रिश्तों और संसाधनों के अंतर को समझें
सामान्यतः लोग रिश्तों और संसाधन की क़ीमत समझने में चूक कर देते हैं और भौतिक चीजों को इंसान से ज़्यादा महत्व दे देते हैं। याद रखिए, चीज़ें उपयोग करने के लिए और लोग प्यार करने के लिए होते हैं।
पाँचवाँ सूत्र - याद रखें आपका जीवन आपकी ज़िम्मेदारी है
अपने जीवन में घटने वाली घटनाओं के लिए दूसरों को ज़िम्मेदार मानना, मेरी नज़र में मूर्खता से अधिक कुछ नहीं है। अपने जीवन को सही दिशा देकर जीवन में आगे बढ़ना हमारी स्वयं की ज़िम्मेदारी है। यह भाव रखना आपको अनावश्यक अपेक्षाओं से भी बचा लेता है और आप रिश्तों को गरिमापूर्ण तरीके से निभाते हुए जीवन जी पाते हैं।
आईए दोस्तों, अब हम सामाजिक एवं पारिवारिक रिश्तों को मज़बूत बनाने के अंतिम 2 सूत्र सीखते हैं-
छठा सूत्र - तुलना ना करें
हम सभी जानते हैं कि मनुष्य ईश्वर की बनाई सबसे सुंदर, अनूठी और अप्रतिम कृति है। सभी जीव-जंतुओं में सिर्फ़ इंसान ही है जो खुद को और बेहतर बना सकता है; अपना जीवन अपनी इच्छाओं के आधार पर जी सकता है। इसका अर्थ हुआ; जो इंसान जितना ज़्यादा सकारात्मक तरीके से खुद के विषय में सोचेगा, वह अपने जीवन में आगे बढ़ पाएगा। ऐसे में दो शरीर, दो दिमाग, दो भावनाएँ को एक समान मानना मूर्खता ही है। याद रखिएगा, जब दो लोगों की सोच मेल नहीं खा सकती है तो लोग एक समान स्थिति में कैसे हो सकते हैं? इसलिए किन्ही दो लोगों की तुलना करना सही नहीं है। वैसे भी तुलना तार्किक होती है और रिश्तों को तर्क के आधार पर निभाया नहीं जा सकता है। तुलना और अनावश्यक रोकटोक रिश्तों को कमजोर करती है।
सातवाँ सूत्र - कम्यूनिकेट करें
दोस्तों, व्यक्ति के बारे में बात करने के स्थान पर व्यक्ति से बात करना आपको अपने रिश्ते को गरिमापूर्ण तरीके से आगे बढ़ाने में मदद करता है। ठीक इसी तरह दूसरों के स्थान पर खुद की कमियों को पहचानने और दूर करने का प्रयास करें और संसाधन नहीं समय दें।
आईए दोस्तों, आज से हम उपरोक्त सात सूत्रों को अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं और आपसी भरोसे, सम्मान और ईमानदारी जैसी मूलभूत भावनाओं के साथ सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों को मज़बूत बनाते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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