Oct 05, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, जैसा कि महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा है, ‘आप इस दुनिया में बिना साहस के कभी कुछ नहीं करेंगे। यह सम्मान के बाद दिमाग का सबसे बड़ा गुण है।’ अर्थात् अगर हम साहसी बन पाएँ तो ही हम इस जीवन में कुछ हासिल करने लायक़ बन पाते हैं और यह तभी सम्भव हो सकता है जब हम साहस का वास्तविक अर्थ समझ पाएँ। कल हमने सफलता के लिए आवश्यक डर के मुक़ाबले बड़े लक्ष्य को बनाने के लिए स्वयं का सपना होना और साहस के महत्व के विषय में सिखा था। इसके साथ ही हमने साहस के छः में से चार प्रकार पर चर्चा करी थी आईए, आगे बढ़ने से पहले उसे दोहरा लेते हैं-
जीवन में किसी भी कार्य को सफलता पूर्वक पूर्ण करने की सबसे ज़रूरी या आवश्यक शर्त है, उस कार्य को पूर्ण करने के लिए अपनी ओर से पूरी क्षमताओं के साथ प्रयत्न या प्रयास करना और इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है, आपका लक्ष्य आपके डर से बड़ा हो।अर्थात् आपका सपना आपको अपने डर के मुक़ाबले अधिक प्रेरणा दे। इसके लिए ज़रूरी है कि हमारा सपना उधार का ना हो और साथ ही हम उसे पाने के लिए साहस के साथ काम करें। अगर आप वाक़ई में साहसी बनना चाहते हैं तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में मज़बूत बनना पड़ेगा और इसके लिए आपको 6 तरह का साहस अपने अंदर विकसित करना होगा-
पहला - शारीरिक साहस
शारीरिक साहस से सामान्यतः अर्थ लगाया जाता है कि मृत्यु या शारीरिक क्षति के जोखिम पर बहादुरी का कोई ऐसा कार्य करना जो मानवता, आपकी प्राथमिकता या ज़रूरत अथवा जीवन मूल्यों पर आधारित हो। इसमें अपने अंदर शारीरिक शक्ति, लचीलापन और जागरूकता विकसित करना शामिल है। अगर एक लाइन में इसे समझाने का प्रयास करूँ तो यह किसी भी क्षेत्र में जोखिम या भय के बावजूद भी आपकी कार्य करने की, आपकी सोच या क्षमता है।
दूसरा - सामाजिक साहस
इंसान अक्सर ‘लोग क्या कहेंगे ’ के डर से या फिर समाज के डर अथवा लोगों की नज़र में अच्छा बना रहने की चाह में वह नहीं कर पाता है जो करना चाहता है अर्थात् वह अपना जीवन खुद की वरीयताओं के अनुसार नहीं बल्कि लोगों की राय के अनुसार जीता है क्यूँकि उनके लिए सामाजिक शर्मिंदगी, अलोकप्रियता, सामाजिक बहिष्कार या अस्वीकृति, नेतृत्व आदि अधिक मायने रखता है। लेकिन सामाजिक साहस का होना, विपरीत सामाजिक परिस्थितियों में भी खुद को अपनी इच्छाओं, अपेक्षाओं, प्राथमिकताओं, जीवन मूल्यों के आधार पर जीवन जीने का मौका देता है।
तीसरा - नैतिक साहस
शर्म, विरोध, सामाजिक बहिष्कार या असहजता आदि के डर के बावजूद भी नैतिकता के आधार पर जो सही है, उसके लिए खड़े होने का नाम नैतिक साहस है। इसका अर्थ हुआ जब आपके लिए नैतिकता, ईमानदारी, अखंडता, सत्यनिष्ठा, सच्चाई अन्य सभी बातों से ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है, तब आप नैतिक रूप से साहसी बनते हैं। यह साहस आपकी सोच, शब्द और ऐक्शन में समरूपता लाता है।
चौथा - भावनात्मक साहस
भावनात्मक साहस हमें दिल खोलकर सारी भावनाओं के साथ जीने का साहस प्रदान करता है। फिर चाहे वे भावनाएँ सकारात्मक हों या नकारात्मक। इस साहस का हमारी ख़ुशी के साथ गहरा सम्बंध होता है। दूसरे शब्दों में हम इसे दिल का अनुसरण करने वाला साहस भी मान सकते हैं।
चलिए दोस्तों, अब हम अंतिम दो साहस को समझने का प्रयास करते हैं-
पाँचवाँ - बौद्धिक साहस
सामान्यतः हम सभी अपना जीवन धारणाओं, रोज़मर्रा में मिले अनुभवों, डर, सोच आदि के आधार पर जीते हैं और इसी वजह से
कई बार खुद की क्षमताओं का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में बौद्धिक साहस का होना हमें खुले और लचीले दिमाग़ के साथ सीखने के लिए तैयार करता है। जिससे हम अपने जीवन में नई ऊँचाइयों को छू सकें।अपने क्षितिज का विस्तार कर सकें और हमें रोकने वाले नकारात्मक विचारों और सोच से निजात पा सकें। कुल मिलाकर कहा जाए तो बौद्धिक साहस हमें चुनौतीपूर्ण विचारों को स्वीकारने के साथ सच बोलने और समझदार बनने में मदद करता है।
छठा - आध्यात्मिक साहस
आध्यात्मिक साहस हमें हृदय को केंद्र में रख अर्थपूर्ण या उद्देश्य आधारित जीवन जीने में मदद करता है। जब भी हम धार्मिक या ग़ैर-धार्मिक ढाँचे पर प्रश्न करते हैं या उस पर विश्वास जताते हैं अथवा उसके उद्देश्य या अर्थ पर चर्चा करते हैं, तो यह मज़बूत होता है। इसके साथ ही यह हमें दर्द, पीड़ा या नकारात्मक अनुभवों को पूर्ण विश्वास कि इसमें भी कुछ अच्छा होगा, के साथ जीवन जीने में मदद करता है।
तो आइए दोस्तों, जीवन में आने वाली समस्याओं, चुनौतियों से निपटने और जीवन को सफलता पूर्वक खुलकर जीने के लिए उपरोक्त बिंदुओं पर कार्य कर अपने अंदर छह साहसों को विकसित करते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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