top of page
Search

सिखाना है महत्वपूर्ण बात तो कहानी है सही…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Mar 13, 2023
  • 3 min read

Mar 13, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, मेरी नज़र में कहानी बहुत ही गम्भीर विषयों को साधारण शब्दों में समझाने का एक बहुत ही सशक्त माध्यम है। कहानियों में कई बार तथ्यों, सामान्य या विज्ञान आधारित जानकारियों, जीवन मूल्यों पर आधारित बातों का प्रयोग कुछ इस ढंग से किया जाता है कि हर तरह का इंसान उसमें छिपे जीवन या खुद को बेहतर बनाने के सूत्र को तत्काल समझ जाता है। जैसे, हम सभी जानते हैं कि कबूतर एक ऐसा पक्षी है जो अपना घोंसला बनाना नहीं जानता अर्थात् वह अन्य चिड़ियों या पक्षियों के माफ़िक़ घोंसला बनाने के लिए तिनकों को जाले समान बुनता नहीं है। वह बस तिनकों को एक के ऊपर एक रख उसे घोंसला मान काम चलाता है, यह एक तथ्य या सच्चाई है। कहानी के माध्यम से हम इसी तथ्य या सच्चाई को आधार बनाकर जीवन या खुद को बेहतर बनाने का सूत्र किसी को भी सीखा सकते हैं, जैसा कि इस पुरानी और काफ़ी प्रचलित कहानी में किया गया है।


बात कई साल पुरानी है, एक कबूतरी ने पेड़ की एक शाख़ पर 3 अंडे दिए। वैसे तो कबूतरी पूरे समय अपने अंडों का ख़याल रखती थी लेकिन एक दिन खुद के लिए भोजन लेने जाने के दौरान कहीं से एक साँप पेड़ की उस टहनी पर आया और तीनों अंडों को खा गया। काफ़ी देर पश्चात जब कबूतर और कबूतरी दोनों वापस आए तो वहाँ अंडों को ना पा काफ़ी परेशान हुए।इधर-उधर पूछने पर जब उन्हें सच्चाई का पता चला तो वे दोनों बहुत उदास हो गए। काफ़ी देर तक गुमसुम रहने के बाद कबूतर अचानक से बोला, ‘हमारे पास एक सुरक्षित घोंसला नहीं था ना इसलिए हम अपने अंडों की रक्षा नहीं कर पाए।’ कबूतर की बात सुन कबूतरी बोली, ‘बात तो तुम्हारी सही है लेकिन हमें तो घोंसला बनाना ही नहीं आता है?’ ‘तो क्या हुआ अब मैं इसे सीखूँगा।’, कबूतरी की बात सुनते ही कबूतर बोला।


विचार आते ही कबूतर ने उस पेड़ पर बैठी सभी चिड़ियाओं को इकट्ठा करा और उन्हें अपनी परेशानी बताते हुए घोंसला बनाना सिखाने का कहने लगा। कबूतर की हालत पर तरस खा अन्य पक्षी उसका घोंसला बनाते हुए, उसे सिखाने लगे। अन्य पक्षियों ने अभी घोंसला बनाना शुरू ही किया था कि कबूतर बोला, ‘मैं समझ गया… मैं समझ गया… अब मैं खुद बना लूँगा।’ कबूतर की बात सुन सब पक्षी वापस चले गए।


इसके बाद कबूतर ने फिर से तिनके लाना प्रारम्भ करा और एक तिनका इधर तो दूसरा उधर रखना शुरू किया। कुछ ही देर में उसे समझ आ गया कि वह अभी कुछ भी नहीं सीख पाया है। उसने एक बार फिर सभी पक्षियों से आग्रह किया कि वे उसे घोंसला बनाना सिखा दें। पक्षियों ने आकर फिर घोंसला बनाना शुरू किया। अभी घोंसला आधा भी नहीं बना था कि कबूतर जोर से चिल्लाया, तुम सब छोड़ दो, अब मैं सीख गया कि मुझे इस घोंसले को कैसे बनाना है। कबूतर की बात सुन सभी चिड़ियों को बहुत तेज ग़ुस्सा आया क्योंकि वे बहुत अच्छे से जानती थी कि कबूतर अभी घोंसला बनाना सीख नहीं पाया हैं। उन्होंने कबूतर को एक बार फिर समझाने का प्रयास किया लेकिन जब वह नहीं माना तो सभी चिड़ियाओं ने तिनकों को वहीं छोड़ा और अपने घोंसलों में वापस चली गई।


कबूतर ने एक बार फिर घोंसला बनाने का प्रयास किया लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। कबूतर ने एक बार फिर चिल्ला-चिल्ला कर पक्षियों को बुलाने का प्रयास करा लेकिन इस बार एक भी पक्षी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया और कहते हैं कि आज तक इसीलिए कबूतर अपने लिए घोंसला बनाना सीख नहीं पाया।


वैसे तो कहानी अपने आप में ही पूर्ण और बेहतरी का स्पष्ट संदेश लिए हुए है, लेकिन इसके बाद भी हम इस पर सुनने वाले के साथ चर्चा कर सकते हैं, उसे कहानी में छिपे सूत्र को समझाकर जीवन बेहतर बनाने की महत्वपूर्ण सीख दे सकते हैं। जैसे उक्त कहानी द्वारा सुनने वाले को बताया जा सकता है कि सिखाने वाले की पूरी बाद सुने और समझे बग़ैर धारणा नहीं बनाना चाहिए। दूसरा, अगर आपको कोई कार्य नहीं आता है तो दूसरों की मदद लेने में कोई दिक़्क़त नहीं है लेकिन हमें उनकी विशेषज्ञता, ज्ञान, मदद करने के नज़रिए के प्रति आभारी रहना चाहिए और इस बात का दिखावा नहीं करना चाहिए कि ‘यह तो मुझे भी आता है’ या ‘यह तो मैं भी कर लूँगा, इसमें विशेष क्या है?’ क्योंकि वे एक या दो बार आपकी मदद करने को तैयार हो जाएँगे या आपके गलत नज़रिए को नज़रंदाज़ कर कार्य करेंगे, लेकिन हर बार नहीं। याद रखिएगा दोस्तों, सिखाने वाले का पूरी निष्ठा से सम्मान किए बग़ैर उससे कुछ भी सीखना सम्भव नहीं है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

 
 
 

Comentarios


bottom of page