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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

सीखें, भुला दिये गये इतिहास से…

Sep 25, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

तय प्रोटोकॉल के तहत हेलीकॉप्टर के उतरते ही कमांडर वेंकी अय्यर थोड़ी सी हिचक के साथ ८० वर्षीय वृद्ध श्री लक्ष्मण सिंह राठौर को रिसीव करने के लिए हेलीकॉप्टर की ओर बढ़े। असल में वे पहली बार एक शहीद बहादुर अधिकारी के पिता से मिलने वाले थे, जिसने एक दुर्भाग्यपूर्ण उड़ान दुर्घटना में अपनी जान गँवा दी थी और उन्हें इस बात की भी चिंता थी कि अगर शोक संतप्त पिता द्वारा बेटे के अंतिम दर्शन की इच्छा ज़ाहिर की गई तो वे क्या करेंगे क्योंकि दुर्घटना के बाद फ्लाइंग ऑफिसर विक्रम सिंह के शरीर के कुछ ही अवशेष शेष बचे थे। कॉकपिट में जो कुछ बचा था, उसे बड़ी मुश्किल से निकाल कर एकत्र किया गया था और बाद में ताबूत को लकड़ी और अन्य चीजों से भर दिया गया था। वे अभी इन्हीं विचारों में खोये थे कि तभी उन्हें हेलीकॉप्टर से एक दुर्बल, छोटे कद काठी के वृद्ध व्यक्ति, उतरने का प्रयास करते हुए दिखे। वेंकी तत्काल पुरानी लेकिन एकदम सफ़ेद धोती पहने, गर्व से सीना फुलाए और आँखों में तेज़ लिए उस वृद्ध के पास पहुँचे और हेलीकॉप्टर से नीचे उतरने में मदद करने लगे।


लक्ष्मण जी उनके अभिवादन को स्वीकार करते ही बोले, ‘क्या आप फ्लाइट कमांडर वेंकी हैं? वेंकी ने उत्तर दिया, ‘हाँ, श्रीमान!’ लक्ष्मण जी बात आगे बढ़ाते हुए बोले, ‘विक्रम ने मुझे आपके बारे में बहुत कुछ बताया था। अगर आपके पास कुछ समय हो तो मैं आपसे एक मिनट के लिए अकेले में बात करना चाहता हूँ।’ वेंकी बिना कुछ कहे उन्हें चुपचाप पास ही में बने एक कांक्रिट के चबूतरे के पास ले गए। वहाँ पहुँचते ही लक्ष्मण जी बोले, ‘मैंने अपना बेटा खोया है और आपने अपना एक दोस्त। मुझे यकीन है कि आप लोगों ने अंतिम संस्कार की पूरी व्यवस्था कर ली होगी। कृपया मुझे बता देना कि मेरी उपस्थिति की कब और कहाँ आवश्यकता रहेगी और मुझे क्या करना होगा? मैं हर चीज के लिए वहाँ तैयार रहूँगा। बाद में, मैं विक्रम के दोस्तों से मिलकर कल सुबह पुनः घर लौट जाऊँगा।’


विंग कमांडर वेंकी अय्यर, इतने दुःखद समय में इस वृद्ध व्यक्ति के शांत स्वभाव को देखकर चकित रह गए। दोपहर बाद, पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। जिसमें वृद्ध पिता ने चिता को अग्नि दी। यह दृश्य वहाँ मौजूद सभी लोगों के लिए बड़ा हृदयविदारक था। सैन्य अंत्येष्टि में बजाए जाने वाले गीत 'द लास्ट पोस्ट' की अंतिम गूँज फीकी पड़ने के बाद, लक्ष्मण सिंह जी ने स्क्वाड्रन पायलटों से बात करते हुए शाम बिताई। इसके पश्चात शहीद विक्रम का रूममेट उन्हें विक्रम का कमरा दिखाने ले गया।


रात्रि के समय लक्ष्मण सिंह जी ने अपने लिए आरक्षित गेस्ट हाउस के बजाय, अपने बेटे के कमरे में रात बिताना पसंद किया और फिर अगले दिन सुबह उन्होंने स्क्वाड्रन क्षेत्र का दौरा किया और अंत में विक्रम के बॉस के साथ वे विक्रम के कार्यालय में गये। कुछ देर बाद उन्हें स्टाफ कार द्वारा दो घंटे की दूरी पर स्थित सिविल एयरफील्ड तक ले ज़ाया गया, जहाँ से उन्होंने वापस घर के लिए प्रस्थान किया।


उनके जाने के पश्चात विंग कमांडर वेंकी अय्यर ने अपने बॉस से कहा, ‘वे एक बहुत बहादुर व्यक्तित्व के मालिक थे। उन्होंने मुझसे एक जनरल की तरह बात की और यहाँ रुकने संबंधी अपनी सभी जरूरतों के बारे में मुझे स्पष्ट रूप से बता दिया। मैंने ऐसे अवसर पर इससे अधिक सहनशील व्यक्ति को कभी नहीं देखा। मैं वास्तव में दिल से उनका सम्मान करता हूँ।’ वेंकी की बात को आगे बढ़ाते हुए अफ़सर बोले, ‘हाँ, श्री लक्ष्मण सिंह राठौर अपने तरीके के एक योद्धा हैं। उन्होंने अपने तीनों पुत्रों को इस महान राष्ट्र की सेवा में न्योछावर कर दिया है। उनके पहले बेटे, गोरखा राइफल्स के कप्तान घनश्याम सिंह थे, जो 1962 के युद्ध में लद्दाख में शहीद हुए थे। उनके दूसरे बेटे मेजर बीर सिंह थे जिन्होंने 1965 में इचोगिल नहर के किनारे एक घात लगाकर किए हमले में अपना बलिदान दिया था और उनके सबसे छोटे बेटे वीर विक्रम सिंह ने भारतीय वायु सैनिक के रूप में अपना बलिदान दिया है। वाक़ई में उनका बलिदान बेमिसाल है और श्री लक्ष्मण सिंह राठौर निर्विवाद रूप से एक बहादुर पिता हैं।’


वास्तव में दोस्तों, श्री लक्ष्मण सिंह राठौर ने जो बलिदान दिया है, उसकी कभी कोई बराबरी नहीं कर सकता है। अपने तीनों पुत्रों को राष्ट्र रक्षा के लिए समर्पित कर उन्होंने वास्तव में ख़ुद को शहीद किया है। लेकिन हक़ीक़त में हम में से बहुत कम ही लोग उनके और उनके जैसे अनेकों शहदों के बारे में जानते हैं। मुझे भी श्री लक्ष्मण सिंह जी के बारे में सोशल मीडिया पर विंग कमांडर वेंकी अय्यर द्वारा बताई गई कहानी के माध्यम से पता चला। दोस्तों अगर आप वाक़ई में एक महान राष्ट्र में रहना चाहते हैं तो आपको रुडयार्ड किपलिंग के कथन, ‘भगवान और सिपाही ख़तरे के समय पूजे जाते हैं, ख़तरे से पहले नहीं। जैसे ही ख़तरा टल जाता है और सब कुछ ठीक हो जाता है, भगवान और सिपाही को भुला दिया जाता है।’, को नकारना होगा और अपनी आने वाली पीढ़ी को ऐसी भुला दी गई कहानियों से परिचित कराना होगा।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


N.B: This story is based on the story and details mentioned by Wing Commander Venki Iyer in circulation on WhatsApp.

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