Aug 3, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, यक़ीन मानियेगा आप शारीरिक तौर पर जैसे भी हैं, सर्वश्रेष्ठ हैं। जी हाँ दोस्तों, अक्सर मैंने देखा है जो लोग शारीरिक तौर पर अपनी कमज़ोरियों देखते हैं या शारीरिक तौर पर अपने को दूसरों से कमतर आंकते हैं, वे अपनी विशेषताओं को कभी पहचान ही नहीं पाते हैं। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।
बात कई साल पुरानी है, जंगल के बाहरी इलाक़े में रहने वाले बारहसिंगे ने जबसे ख़ुद की शक्ल को तालाब के पानी में देखा था, तब से वह अपने रूप को लेकर बहुत सोच में पड़ गया था। असल में पानी में अपनी शक्ल और सींग देखने के बाद उसे अपने सींग तो बहुत सुंदर लगे, लेकिन अपने पतले पैरों को देख, वह उन्हें बहुत भद्दे मानने लगा। अब वह अक्सर सोचा करता था कि अगर ईश्वर ने मेरे पैरों को भी मेरे सींगों जितना सुंदर बनाया होता, तो कितना अच्छा रहता।
ज़्यादातर समय यह विचार मन में रहने के कारण बारहसिंगा अब निराश और हताश रहने लगा। एक दिन जब वह इन्हीं विचारों में खोया हुआ, एकदम सुस्त सा एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था कि तभी उसके चौकन्ने कानों ने शिकारी के आने की आहट सुनी। ख़तरा भाँपते ही वह तेज़ी से छलांग मारते हुए जंगल के अंदर की ओर भागा। लंबी-लंबी छलाँगों के कारण जल्द ही वो जंगल के घने भीतरी भाग में पहुँच गया और ख़ुद को सुरक्षित महसूस करने लगा। लेकिन तभी बारहसिंगे का सींग झाड़ियों के समीप पेड़ से बंधी रस्सी में उलझ गया। जिसके कारण वह एक तेज झटके के साथ रुक गया और उसे हल्की चोट भी लगी।
दूसरी और जहाँ शिकारी उसे खोजते हुए जंगल के भीतरी इलाक़े में आ रहे थे, वहीं यह बारहसिंगा रस्सी से छूटने का प्रयास कर रहा था। जब उसे काफ़ी देर तक सींग छुड़ाने में सफलता नहीं मिली तो वह बुरी तरह छटपटाने लगा और इसी वजह से उसके आसपास की झाड़ियों में हलचल होने लगी। इसी हलचल को देख शिकारी उस ओर आकर्षित हुए और उसके बिल्कुल क़रीब आ गए।
बारहसिंगे को अब उसका अंत क़रीब दिख रहा था। वह शिकारियों की ओर दया और याचना के भाव के साथ देखने लगा, मगर शिकारी दया और याचना के भाव को क्या जानें? उनके लिए तो यह शिकार करने का सुनहरा मौक़ा था। इसलिए उन्होंने बिना एक पल गँवाये अपने तरकश में से एक तीर निकाला और निशाना लगाकर बारहसिंगे पर छोड़ दिया, जो एकदम ठीक निशाने पर लगा और बारहसिंगा तड़पता हुआ ज़मीन पर गिर पड़ा। उसे अब अपनी मृत्यु एकदम क़रीब नज़र आ रही थी, तभी अचानक वहाँ से एक संत का गुजरना हुआ और उन्होंने तत्काल शिकारियों को वहाँ से भगाकर बारहसिंगे के घाव पर जड़ी-बूटी लगाई और प्यार से उसे सहलाने लगे। जड़ी-बूटी और किसी अपने के पास होने के अहसास से बारहसिंगा जल्द ही सामान्य हुआ और सोचने लगा, ‘जिन पैरों से मैं घृणा करता था, आज उन्हीं पैरों ने मुझे बचाने में पूरी मदद करी थी। जबकि इसके ठीक विपरीत जिन सींगों को मैं अपने शरीर का सबसे सुंदर हिस्सा मानता था, आज उन्हीं सींगों के कारण मेरी जान जा सकती थी; वे मेरी मृत्यु का कारण बन सकते थे।’ इस घटना ने बारहसिंगे को हक़ीक़त से रूबरू करवा दिया था, अब वह जान चुका था कि सींग और पैर दोनों का अपना-अपना महत्व है और दोनों को ईश्वर ने उसे बेहतर जीवन जीने के लिए दिया है।
दोस्तों, अब तो आप निश्चित तौर पर पूर्व में मेरे द्वारा कहे गये कथन से सहमत होंगे कि ‘हम शारीरिक तौर पर जैसे भी हैं, सर्वश्रेष्ठ हैं क्योंकि हम जानते हैं कि किसी भी चीज का सुंदर होने से बेहतर, उपयोगी होना है। इसलिए दोस्तों जब भी किसी से मिलो उसकी सुंदरता नहीं गुणों को देखो।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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