Nirmal Bhatnagar
सुखी जीवन का रहस्य…
Updated: Jan 19
Jan 17, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, वैसे तो हर इंसान अपना जीवन शांत, मस्त और खुश रहते हुए जीना चाहता है लेकिन एक आँकड़ा बताता है कि इस दुनिया में 90 प्रतिशत से ज़्यादा लोग इस सपने को अपने मन में लिए ही इस दुनिया से चले जाते हैं। ऐसे लोगों को देख मुझे दुःख तो इस बात को होता है कि जीवन के अंत तक उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं होता है कि उनकी ख़ुशी और उनके बीच की सबसे बड़ी बाधा क्या थी?
जी हाँ साथियों, इसी वजह से इस दुनिया में ज़्यादातर लोग आपको परिस्थितियों, चुनौतियों और क़िस्मत को दोष देते दिख जाएँगे। अगर आप इनसे पूछेंगे, ‘क्या हाल है?’ तो ये कहेंगे कट रही है…’, अगर आप इनसे इनके गोल के विषय में बात करेंगे तो ये दुनिया को ही गोल बताएँगे। इसी तरह अगर आप इनसे अपने सपनों को पूरा ना कर पाने की वजह पूछेंगे, तो यह अपनी क़िस्मत को फूटा बताएँगे। ऐसे लोग भूल जाते हैं कि क़िस्मत और कुछ नहीं बस मानसिक सजगता और मौक़ों को पहचानने की हमारी क्षमता का नाम है। कुल मिलाकर कहूँ तो ऐसे लोगों के जीवन की हर समस्या के पीछे की वजह बाहरी होती है।
लेकिन मेरा मत इस विषय में थोड़ा सा अलग है। मेरा मानना है कि ईश्वर ने हमें जिन आंतरिक शक्तियों के साथ भेजा था उन्हें भूलना ही हमारी परेशानियों की सबसे बड़ी जड़ है। उदाहरण के लिए जब हम पैदा हुए थे तब हम स्वाभाविक रुप से आनंदमयी जीवन जीते थे अर्थात् प्यार, शांति, सहानुभूति, समानुभूति, ख़ुशी, ध्यान, सच्चाई आदि के साथ पूर्णतः वर्तमान में जीते थे। लेकिन बदलती प्राथमिकताओं ने इन भावों का स्थान आज ग़ुस्सा, अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष, लालच, एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ जैसे नकारात्मक भावों ने ले लिया है। इसी वजह से हम सही क्या है समझ ही नहीं पाते हैं और दुविधापूर्ण जीवन जीते-जीते इस दुनिया से चले जाते हैं।
अगर आपके लिए शांति, मस्ती और खुशी के साथ उत्सव मनाते हुए जीवन जीना महत्वपूर्ण है तो साथियों, आज से सबसे पहले अपने जीवन की ज़िम्मेदारी स्वयं लें और हर पल याद रखें, ख़ुदा भी छप्पर तब ही फाड़ेगा, जब हम छप्पर बनाएँगे अर्थात् हमें स्वयं ज़िम्मेदार बनना होगा और इस बात को स्वीकारना होगा कि जीवन में जो भी घट रहा है वह हमारे कर्मों का परिणाम है। याने अगर हमारी क़िस्मत फूटी है तो उसके ज़िम्मेदार हम ही हैं।
जब हम ज़िम्मेदारी लेते हैं तब हम एक प्रकार से अपने जीवन की कमांड अपने हाथ में लेते हैं और असफलता या मनमाफ़िक परिणाम ना मिलने पर दोष देने के स्थान पर खुद के अंदर झांकते हैं, अपनी कमियों को पहचानते हैं और उनमें सुधार कर एक बार फिर प्रयास कर सफल हो जाते हैं। इसका एक और फ़ायदा है, जब हमें यह पता होता है कि अच्छे या बुरे के ज़िम्मेदार हम स्वयं हैं और साथ ही हम अपनी ग़लतियों को पहचानकर अपने में सुधार लाने के लिए प्रयासरत हैं। साथ ही हम यह भी जानते हैं कि यही सुधार हमें जल्द ही सफल बनाएँगे तो हम अपने अंदर आत्म शांति और संतोष पैदा कर पाते हैं।
जी हाँ साथियों, आत्म शांति और संतोष का ना होना ही तो लोगों को बेचैन रखता है। इसीलिए हमारे यहाँ कहा गया है आत्म शांति और संतोष ही सुखी जीवन का रहस्य है। जब तक हमारे जीवन में यह दोनों चीज़ें नहीं होंगी सुखी, संतुष्ट, मस्त और शांत जीवन की परिकल्पना कभी साकार रूप नहीं ले सकती है।
तो आईए दोस्तों, आज से हम अपने जीवन की कमान अपने हाथ में लेते हैं और जो हमारे पास है उसे स्वीकारते हुए उसी में ख़ुशी तलाशते हैं।
निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर