Mar 4, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, इस दुनिया में एक चीज़ है, जिसके बिना दौलत-शोहरत, मान-सम्मान आदि सब का होना भी ना होने के बराबर है। इस चीज को आप ना तो ख़रीद सकते हैं और ना ही किसी से उधार माँग कर अपना काम चला सकते हैं। इसलिए ही इसे मैं हमारे जीवन की सबसे बड़ी पूँजी मानता हूँ। जी हाँ दोस्तों आप सही अंदाजा लगा रहे हैं, मैं ‘घर की शांति’ के विषय में ही आपसे चर्चा कर रहा हूँ। आइये इसे थोड़ा विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं-
जैसा की हम जानते हैं कि परिवार, समाज की सबसे छोटी इकाई होता है। अर्थात् कई परिवारों के मिलने पर ही समाज का निर्माण होता है। इसलिए कहा जा सकता है कि ‘जैसा आप और आपका परिवार होगा, वैसा ही समाज होगा।’ इस बात को आप तुलसीदास जी द्वारा रचित हमारे धर्मग्रंथ ‘रामायण’ में अयोध्या और लंका के बारे में बताई गई घटनाओं से भी समझ सकते हो। अयोध्या में लोग एक-दूसरे की इज्जत करते थे, मिल-जुलकर रहते थे, और हर काम में ईमानदारी दिखाते थे। वहीं दूसरी तरफ लंका में लोग अपने स्वार्थ में डूबे थे। वहां अहंकार था, कपट था, मनमानी थी। खुद रावण को ही देख लीजिए, उसके अहंकार की वजह से ही पूरी लंका ख़त्म हो गई थी।
इसलिए दोस्तों हमें सर्वप्रथम अपने घर को देखना होगा और चिंतन करना होगा कि हमारा घर कैसा है? क्या वहाँ प्यार और सम्मान है, या फिर हर दिन छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होते हैं? अगर हम अपने घर के माहौल को अच्छा बनायेंगे तो ही अच्छे समाज का निर्माण हो पायेगा। दूसरे शब्दों में कहूँ तो जब घर में प्यार और समझदारी होगी, तभी समाज और देश भी तरक्की कर पाएगा। लेकिन इसके विपरीत स्थिति हुई याने घर में ही लड़ाई-झगड़े, अहंकार और तनाव हुआ, तो खुशहाल समाज की परिकल्पना करना ही ग़लत होगा।
इसी बात को समझाते हुए तुलसीदास जी ने कहा था,
‘जहाँ सुमति तहाँ संपति नाना, जहाँ कुमति तहाँ विपति निदाना।’ अर्थात् जहाँ अच्छी सोच होती है, वहाँ समृद्धि आती है, और जहाँ बुरी सोच होती है, वहाँ मुसीबतें जन्म लेती हैं। अर्थात् हमारी अच्छी या बुरी सोच का असर हमारे पूरे जीवन पर पड़ता है। कई बार आपने महसूस किया होगा कि हम दूसरों के कामों में टाँग अड़ाते हैं, छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाते हैं, और परिवार में अशांति फैला देते हैं। लेकिन ऐसा करते वक्त हम यह नहीं सोच पाते हैं कि इसका असर हमारे पूरे जीवन पर पड़ सकता है। इसी बात को हमारा धर्म यह कहकर समझाता है कि ‘जहाँ कलह होती है, वहाँ लक्ष्मी जी यानी समृद्धि नहीं टिकती।’ वैसे भी दोस्तों, अशांति से दिमाग तनाव में रहता है, और हम सही फैसले नहीं ले पाते। नतीजा? परिवार में खुशियाँ कम हो जाती हैं और तरक्की रुक जाती है। दोस्तों, अगर आपका लक्ष्य खुशहाल घर में रहना है, तो मेरा सुझाव है कि आप निम्न 5 सूत्रों को अपने जीवन का हिस्सा बना लें-
पहला सूत्र - एक-दूसरे की इज्जत करें
परिवार के हर सदस्य को सम्मान दें, फिर चाहे वह बड़ा हो या छोटा।
दूसरा सूत्र - गलतियों को माफ करना सीखें
कोई गलती कर दे, तो उसे लेकर झगड़ने के बजाय मिलकर हल निकालें।
तीसरा सूत्र - गलतफहमियों से बचें
कई बार बिना वजह गलतफहमियाँ बढ़ जाती हैं। बातचीत करें और चीज़ों को सुलझाएँ।
चौथा सूत्र - स्वार्थ और अहंकार को दूर रखें
सिर्फ अपने फायदे की न सोचें, बल्कि पूरे परिवार की भलाई के बारे में सोचें।
पाँचवाँ सूत्र - खुशियों को बाँटें
परिवार के साथ समय बिताएँ, साथ में खाएँ, साथ में हँसें, ताकि घर में प्यार बना रहे।
दोस्तों, अगर हम इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रख जीवन जिएँगे, तो हमारा घर भी अयोध्या की तरह सुखी और शांत रहेगा, और हमारी ज़िंदगी भी खुशहाल बनेगी, जो अंततः खुशहाल समाज बनाने में हमारी मदद करेगी। तो आइए दोस्तों, आज हम सब अपने आप से, अपने घर को प्यार और शांति से भरने का एक वादा करते हैं क्योंकि परिवार शांत रहेगा, तो समाज भी खुशहाल होगा और देश भी तरक्की करेगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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