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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

सुख-शांति की चाबी…

Apr 7, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, ज़रा-ज़रा सी बात पर नाराज़ होना, बातचीत बंद करना, मुँह फुला कर बैठ जाना और तो और छोटे-छोटे झगड़ों में पूरे परिवार या रिश्तेदारों का दो भागों में ऐसे बँट जाना जैसे वे महाभारत की तैयारी कर रहे हों, आजकल सामान्य हो चला है। ऐसा ही एक केस हाल ही में मेरे पास काउन्सलिंग के लिए आया। जिसमें पति-पत्नी दोनों ही एक बहुत ही छोटी सी बात पर एक दूसरे से नाराज़ हुए बैठे थे।


हालाँकि पति-पत्नी दोनों ही पढ़े लिखे थे और अपने-अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता के कारण शहर में अपनी एक अलग साख रखते थे। लेकिन इसके बाद भी एक दिन छोटी सी बात पर दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों में से एक ने खुद को नुक़सान पहुँचाने का प्रयास करा। हालाँकि स्थिति थोड़ी सामान्य होने पर दोनों को ही अपने-अपने व्यवहार पर खेद था। लेकिन सोच कर देखिए दोस्तों, ज़रा सी बात पर कुछ अनहोनी घट जाती तो क्या होता?


दोस्तों, जीवन में एक बात हमेशा याद रखिएगा, क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता है। जी हाँ साथियों, जिस तरह आग को आग से नहीं जल से बुझाया जाता है ठीक उसी तरह क्रोध को क्रोध से नहीं बोध से जीता जा सकता है। बोध याने ज्ञान, समझ, बुद्धि, विवेक अर्थात् दोस्तों अगर आप क्रोध की स्थिति को क्रोध से नहीं ज्ञान, समझ, बुद्धि, विवेक से डील करेंगे तो ही अपने जीवन को क्रोध से होने वाले नुक़सान से बचा पाएँगे।


याद रखिएगा दोस्तों, रिश्तों में कौन सही है से ज़्यादा ज़रूरी है, रिश्तों का सही होना है और दूसरी बात जहाँ भी दो लोग होंगे वहाँ मत भेद तो होगा ही। इसलिए क्रोध की स्थिति को क्रोध के स्थान पर ज्ञान, समझ, बुद्धि, विवेक से डील करना ही उचित है और इसका सबसे आसान रास्ता है, क्रोध के समय में तर्क के स्थान पर भावनाओं का प्रयोग करना। याद रखिएगा समझदार व्यक्ति ख़राब से ख़राब स्थिति को भी प्रेम के दो शब्द बोल कर सम्भाल लेते हैं।


हो सकता है आपमें से कुछ लोग मेरी बात से सहमत ना हों। आप कह सकते हैं कि लोहे को लोहे से ही काटा जा सकता है। जहर का इलाज ज़हर से होता है और तो और पत्थर से ही पत्थर को तोड़ा जा सकता है। तो फिर क्रोध का जवाब क्रोध से क्यों नहीं हो सकता? तो मैं आपको पहले ही बता दूँ साथियों कि रिश्ते भावनाओं पर आधारित होते हैं और भावनाएँ दिमाग़ से नहीं दिल से संचालित होती है। इसलिए अगर आप क्रोध को जीतकर रिश्ता बचाना चाहते हैं, तो आपको भावनाओं को आधार बनाकर दिल को जीतना होगा।


इसलिए याद रखिएगा, क्रोध के कारण सामने वाले का हृदय चाहे कितना भी कठोर क्यों ना हो उसको पिघलाने के लिए कभी भी कठोर वाणी, तर्क या आपका सिर्फ़ सही होना कारगर नहीं होगा। सबसे पहले तो यह कार्य सिर्फ़ और सिर्फ़ नरम वाणी से ही किया जा सकता है।


तो आईए दोस्तों, आज से अपने रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए संयम के साथ जीवन जीना आरम्भ करते हैं क्योंकि हर स्थिति में संयम रखना आपको तमाम क्लेश से बचा सकता है। शायद इसी वजह से किसी ने कहा है, ‘आनंदमय एवं सुखमय जीवन जीना चाहते हो तो आज नहीं अभी से ही अपनी आँखों में शर्म और वाणी को नरम रखना शुरू कर दो।’ जी हाँ दोस्तों, संयमित विनम्र वाणी ही घर की सुख-शांति की चाबी है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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