Feb 24, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, गूगल ज्ञान के इस युग में हम सभी कहीं ना कहीं पुरातन ज्ञान से दूर होते जा रहे हैं। आज हमें दुनिया भर की बातें पता हैं लेकिन हम अपनी क्षमताओं और शक्तियों को पहचान नहीं पा रहे हैं। हम भूल गए हैं कि भारतीय संस्कृति में आत्मज्ञान याने सेल्फ अवेयरनेस को जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया है। इसी बात को बागवान यम ने श्वेतकेतु को समझाते हुए कहा था, ‘तत्त्वम् असि’, जिसका अर्थ है, ‘तुम वही हो’, जाओ और अपने वास्तविक स्वरूप को जानो।
जी हाँ दोस्तों, इस दुनिया में किसी भी चीज को जानने से ज़्यादा महत्वपूर्ण स्वयं को जानना और अपने गुणों को पहचानना है। यही सफलता का मूलमंत्र है। ईश्वर ने हम सभी को कुछ विशेष क्षमताओं और शक्तियों के साथ इस दुनिया में भेजा है। जब तक हम अपनी इन क्षमताओं और शक्तियों को नहीं पहचानते हैं, तब तक हम अपने जीवन की पूर्ण संभावना तक नहीं पहुँच पाते हैं। इस बात को महान दार्शनिक अरस्तू ने यह कह कर समझाया है कि ‘स्वयं को जानना ही समस्त ज्ञान का प्रारंभ है।’
आत्मज्ञान के महत्व को आप रामायण में जामवंत और हनुमान जी के प्रसंग से भी समझ सकते हैं। जब माता सीता के हरण के पश्चात भगवान श्री राम ने महाराज सुग्रीव की मदद से उन्हें खोजने के लिए वानरों के समूह को अलग-अलग दिशाओं में भेजा। तब जामवंत और हनुमान जी वाले समूह के सामने समुद्र को पार करने की चुनौती आई। तब जामवंत जी ने हनुमान जी को याद दिलाया कि उनके भीतर अपार शक्ति है। इसके बाद हनुमान जी ने समुद्र को लांघा और लंका जाकर माता सीता का पता लगाया। इस प्रसंग से हम एक महत्वपूर्ण सूत्र सीख सकते हैं, ‘स्वयं की क्षमताओं का ज्ञान होते ही असंभव प्रतीत होने वाले कार्य भी संभव हो जाते हैं।’
आइए दोस्तों , अब हम आत्मबोध याने सेल्फ अवेयरनेस की यात्रा तय कर अपनी क्षमताओं को पहचानने के लिए आवश्यक चार सूत्रों को सीखते हैं -
पहला सूत्र - स्वयं का आत्मनिरीक्षण करें
आत्ममंथन, चिंतन और मनन कर अपनी रुचियों, क्षमताओं और कमजोरियों को समझने का प्रयास करें। तार्किक आधार पर इस बात की समीक्षा करना कि कौन-से कार्य आपको आनंद देते हैं और किन क्षेत्रों में आप दूसरों से बेहतर हैं, आपको अपनी क्षमताओं को पहचानने और निखारने का मौक़ा देता है।
दूसरा सूत्र - सही लोगों का चयन करें
मशहूर मोटिवेशनल स्पीकर जिम रॉन कहते हैं, ‘आप उन्हीं पाँच लोगों का औसत होते हैं, जिनके साथ आप सबसे अधिक समय बिताते हैं।’ इसलिए ऐसे दोस्तों और मेंटर्स का साथ चुनें जो आपकी वास्तविक क्षमताओं को पहचानने और निखारने में सहायक हों। साथ ही सीमित सोच में बांधने वाले नकारात्मक लोगों से दूर रहें। ऐसा करना आपको अपनी वास्तविक क्षमताओं को निखारने और सीमाओं से परे जाकर लक्ष्य पाने में मदद करेगा।
तीसरा सूत्र - निरंतर सीखते रहें
तेज़ी से बदलती इस दुनिया में नई चीजें सीखते रहना और हर पल खुद को सुधारने का प्रयास करना आपको ना सिर्फ़ दौड़ में बनाए रखता है, बल्कि हर पल बेहतर बनाता है। अपना सर्वश्रेष्ठ देने के बाद भी अगर कभी विफलता हाथ लगे तो घबरायें नहीं इसे याने विफलताओं को सीखने का अवसर मानें और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें।
चौथा सूत्र - अपने डर पर विजय प्राप्त करें
एक आंकड़ा बताता है हमारे 94 प्रतिशत डर काल्पनिक होते हैं। ऐसे ही काल्पनिक डरों में से एक डर है, असफलता का डर। इसकी वजह से ही हम अक्सर अपनी क्षमताओं को पहचान नहीं पाते है। अगर आपका लक्ष्य हर हाल में जीतना हो तो आत्मविश्वास और साहस के साथ अपने कौशल को आज़माएँ।
अंत में दोस्तों, सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा कि आत्मज्ञान न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी सहायक होता है। जब व्यक्ति अपनी क्षमताओं को पहचान लेता है, तो वह न केवल अपने जीवन को सफल बनाता है, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करता है। इसलिए दोस्तों, ‘स्वयं को जानो, अपनी क्षमताओं को पहचानो और जीवन को पूर्ण संभावनाओं के साथ जियो।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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