Jan 30, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आइए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। सालों पहले हिमालय की सुरम्य घाटियों में राजसमंद नाम का सुंदर नगर था। इस नगर में सेठ नंदराम अपने परिवार के साथ रहा करते थे। उनका एक संस्कारी और समझदार बेटा था, जिसका नाम रघुवीर था। सेठ नंदराम को हमेशा एक ही बात की चिंता रहती थी, रघुवीर की शादी के लिए एक सुशील, संस्कारी और समझदार लड़की को तलाशना।
अपनी इस जिम्मेदारी और चिंता को दूर करने के लिए उनका ज्यादातर समय उचित लड़की को खोजने में ही निकल जाया करता था। जब भी वे किसी लड़की को देखने जाते थे तो एक ही प्रश्न पूछा करते थे, ‘सर्दी, गर्मी और बरसात में कौन सा मौसम सबसे अच्छा है?’ एक बार जब एक लड़की ने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि ‘मुझे गर्मी का मौसम सबसे अच्छा लगता है क्योंकि इस मौसम में हमें हिमालय की पहाड़ियों पर घूमने का मौक़ा मिलता है। मुझे पहाड़ पर बड़ा आनंद आता है।’ सेठ ने उसी पल उस लड़की को यह कहते हुए मना कर दिया कि ‘बेटा तुम्हारा नजरिया हमारे नजरिये से नहीं मिलता है, इसलिए यह रिश्ता संभव नहीं है।’
पहले तो परिवार को लगा कि शायद सेठ को गर्मी का मौसम पसंद नहीं है, इसलिए उन्होंने मना कर दिया होगा। उन्होंने सेठ को कुछ और लड़कियों से मिलवाया। जिसमें से एक लड़की ने सर्दी के मौसम को सबसे अच्छा बताते हुए कहा कि ‘इस मौसम में मुझे गरमागरम पकवान खाने को मिलते हैं और साथ ही गर्म कपड़े पहनने का मौक़ा मिलता है, इसलिए मुझे सर्दी का मौसम पसंद है।’ सेठ ने इस लड़की को भी यह कहते हुए मना कर दिया कि ‘बेटा तुम्हारा नजरिया हमारे नजरिये से नहीं मिलता है, इसलिए यह रिश्ता संभव नहीं है।’ इसके बाद सेठ एक और लड़की से मिले जिसने प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि ‘मुझे बरसात का मौसम पसंद है क्योंकि इस मौसम में चारों ओर हरियाली देखने को मिलती है और साथ ही बारिश में भीगने में भी मजा आता है।’ परिवार की आशा के विपरीत सेठ ने इस लड़की को भी नकारा दिया। अगली लड़की ने तो सेठ के इस प्रश्न के जवाब में यह भी कह दिया की ‘मुझे तो कोई मौसम अच्छा नहीं लगता। हर मौसम में कुछ न कुछ परेशानी होती है।’ इस जवाब पर भी सेठ ने उसे पूर्व की ही तरह नकार दिया।
जब अपने इस प्रश्न के आधार पर सेठ ने १५-२० लड़कियों को यह कहकर मना कर दिया कि ‘उनकी सोच और नज़रिया उनसे नहीं मिलता है।’ तो उनके परिवार के लोगों ने परेशान होकर उनसे पूछा, ‘यह प्रश्न तुम्हें किस तरह सामने वाले की सोच या नजरिया समझने में मदद करता है?’, तो वे मुस्कुराते हुए बोले, ‘समय आने पर तुम्हें पता चल जायेगा।’ एक दिन सेठ को किसी ने पास ही के गाँव में रहने वाली सुंदर और सुशील लड़की के बारे में बताया तो वे अपने परिवार के साथ उससे मिलने के लिए चल दिए और वहाँ पहुँच कर अपने प्रश्न को दोहराते हुए बोले, ‘बेटा! तुम्हें सर्दी, गर्मी और बरसात में से कौन सा मौसम सबसे अच्छा लगता है?’ लड़की मुस्कुराते हुए बोली, ‘जब शरीर और मन स्वस्थ हो तो हमें हर मौसम अच्छा लगता है। लेकिन इसके विपरीत दोनों में से कोई भी अस्वस्थ हो तो हमें कोई मौसम अच्छा नहीं लगता।’ उस लड़की का जवाब सुनते ही सेठ जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वे बोले, ‘वाह! क्या खूब कहा तुमने। क्या तुम हमारी पुत्रवधू बनना पसंद करोगी?’ उस लड़की ने भी तुरंत स्वीकृति में अपना सर हिला दिया।
दोस्तों, कहने के लिए सेठ का प्रश्न साधारण था, पर वह सामने वाले की मनःस्थिति को परखने के लिए काफ़ी था। जब लड़की ने अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी तो सेठ समझ गए कि इस लड़की का अपने जीवन के प्रति नजरिया सकारात्मक है। यही इस कहानी की सीख भी है। अर्थात् दोस्तों, जीवन में किसी भी परिस्थिति को अच्छा या बुरा हमारे मन और तन की स्थिति ही बनाती है। अगर हम स्वस्थ हैं और सकारात्मक सोच रखते हैं, तो हर मौसम, हर परिस्थिति हमारे लिए सुखद हो सकती है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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