हमारी हर समस्या का समाधान हम ही हैं…
- Nirmal Bhatnagar

- Aug 28
- 2 min read
Aug 28, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

जीवन कभी भी एक सीधी रेखा की तरह नहीं चलता। इसमें उतार-चढ़ाव आते हैं—कभी हम खुश होते हैं, तो कभी निराशा हमें घेर लेती है। कई बार हम सोचते हैं कि हमारी समस्या बहुत जटिल है, लेकिन उसका हल अक्सर हमारे ही भीतर छिपा होता है। यदि हम ध्यान से देखें तो हमारी खुशी, प्रेरणा और उत्साह का स्रोत हमारे शरीर, मन और हृदय से ही जुड़ा हुआ है।
1. यदि आप दुखी हैं, तो शरीर से शुरुआत कीजिए
अक्सर हम मानसिक दुःख को सिर्फ दिमाग की समस्या मानते हैं, लेकिन उसका बड़ा हिस्सा हमारे शरीर से जुड़ा होता है। थका हुआ शरीर, अपूर्ण नींद, गलत खान-पान और निष्क्रिय जीवनशैली हमारे मनोबल को नीचे गिरा देती है। यदि आप दुखी या असंतुलित महसूस कर रहे हैं, तो सबसे पहले अपने शरीर की सुनिए। जैसे-
1) पोषण से भरपूर भोजन लीजिए।
2) पर्याप्त नींद और आराम कीजिए।
3) प्रतिदिन थोड़ी देर टहलना, योग या व्यायाम कीजिए। जब शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान होता है, तो मन अपने आप हल्का और प्रसन्न हो जाता है।
2. यदि आप प्रेरणा हीन हैं, तो मन से शुरुआत कीजिए
प्रेरणा की कमी कई बार इसलिए होती है क्योंकि हमारा मन एक ही ढर्रे पर चलता रहता है। रोज़ वही काम, वही विचार, वही वातावरण—इन सबमें नवीनता न होने से मन ऊब जाता है। ऐसे में हमें मन को नए अनुभवों से उत्साहित करना चाहिए। जैसे-
1) कोई नई किताब पढ़िए।
2) किसी सकारात्मक और ज्ञानवर्धक व्यक्ति से मिलिए।
3) नया कौशल या शौक सीखिए।
4)प्रकृति के बीच समय बिताइए। लेकिन ध्यान रहे, मन को हमेशा सही दिशा में ही प्रभावित होने दें। गलत संगति और नकारात्मक विचारों से प्रेरणा और भी घट जाती है। सही प्रेरणा ही मन को खुला और रचनात्मक बना सकती है।
3. यदि आप निरुत्साहित हैं, तो हृदय से शुरुआत कीजिए
कई बार हम मेहनत तो करते हैं, लेकिन फिर भी भीतर से खालीपन महसूस करते हैं। इसका कारण यह है कि हृदय अपने वास्तविक उद्देश्य से जुड़ा नहीं होता। जब प्रेरणा टूटने लगे, तो यह जानने की कोशिश कीजिए कि “क्यों"? आखिर आप किसलिए प्रयास कर रहे हैं? अपने हृदय को उन लोगों की सेवा में लगाइए, जिन्हें आपकी ज़रूरत है। जैसे
1) किसी जरूरतमंद की मदद कीजिए।
2) परिवार और मित्रों के साथ प्रेम बांटिए।
3) छोटे-छोटे कार्यों से दूसरों को मुस्कुराइए। जब हम किसी और की खुशी का कारण बनते हैं, तो हृदय को गहरा संतोष मिलता है और हमारी ऊर्जा वापस लौट आती है।
निष्कर्ष
सुख, प्रेरणा और उत्साह पाने के लिए हमें बाहर नहीं भागना, बल्कि अपने शरीर, मन और हृदय की ओर लौटना चाहिए। जब शरीर स्वस्थ होगा तो दुःख दूर होगा। जब मन सकारात्मक होगा तो प्रेरणा जागेगी। और जब हृदय सेवा और प्रेम से भरा होगा तो उत्साह कभी कम नहीं होगा। जीवन की हर समस्या का समाधान हमारे भीतर ही छिपा है—बस हमें शुरुआत करनी है, सही जगह से।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर




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