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हम सबका चरित्र ही राष्ट्र चरित्र बनता है…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

July 16, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, आजकल हर तीसरा व्यक्ति आपको देश, प्रदेश या शहर की वर्तमान स्थिति पर उँगली उठाता हुआ दिख जाएगा। किसी को रोड या ट्रैफ़िक की समस्या परेशान कर रही होगी, तो कोई सरकारी तंत्र याने रिश्वतख़ोरी या लालफ़ीताशाही से परेशान होगा। जो बचे होंगे उनमें से कोई शिक्षा व्यवस्था को कोस रहा होगा, तो कोई किसी व्यक्ति विशेष से व्यक्तिगत रूप से परेशान होगा। कहने का मतलब है, हमारे आस-पास मौजूद हर इंसान किसी ना किसी रूप में, किसी ना किसी व्यक्ति, व्यवस्था या सिस्टम से नाखुश है। अंतर है तो बस इतना सा कि किसी की नाखुशी ज़्यादा है, तो किसी की कम। इसीलिए तो हम व्यक्ति, संस्था, सरकार या सरकारी तंत्र पर उँगलियाँ उठाते हैं और हमें अपनी सभी परेशानियों या दिक्कतों के लिए कोई और ही ज़िम्मेदार नज़र आता है। लेकिन सोच कर देखिएगा दोस्तों, क्या हक़ीक़त में सिर्फ़ कोई और ही इन सारी समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार है? क्या हमारी इसमें कुछ गलती नहीं है?


दोस्तों, अगर आप गम्भीरता से इस विषय में सोचेंगे तो पाएँगे कि यह समाज, यह देश, हम सभी से बना है और हमारा सबका चरित्र ही राष्ट्रीय चरित्र बनता है। इसलिए अगर समाज में समस्या है, तो निश्चित तौर पर कहीं ना कहीं इसके लिए हम भी ज़िम्मेदार हैं। इस आधार पर कहा जाए तो हमारी ऐसी सभी समस्याओं को दूर करने के लिए हमें भी आत्मनिरीक्षण करना होगा। आइए आज हम रोज़मर्रा में किए जाने वाले कार्यों से अपना आत्मनिरीक्षण कर, अपने चरित्र को पहचानने का प्रयास करते हैं। हालाँकि आत्मनिरीक्षण का यह तरीक़ा मेरा अपना नहीं है, मैंने इसे एस॰बी॰आई॰ के पूर्व अधिकारी श्री मदन जैन जी के साझा किए एक मैसेज से सीखा है। लेकिन यक़ीन मानिएगा दोस्तों, इन 7 साधारण सी लगने वाली बातों में दम बड़ा है। तो चलिए शुरू करते हैं-


1) यदि आप आमतौर पर किसी होटल में चाय पीते समय में अपने घर की तुलना में अधिक मात्रा में चीनी डालते हैं, तो आपके भ्रष्ट होने की सबसे अधिक संभावना है।

2) यदि आप सार्वजनिक शौचालय में स्वयं के घर से अधिक टॉयलेट पेपर का उपयोग करते हैं, तो आप एक संभावित चोर हैं; यदि अवसर दिया जाए तो आप वह ले लेंगे जो आपका नहीं है।

3) यदि आप अपने लिये आवश्यकता से अधिक भोजन, जिसे आप समाप्त नहीं कर सकते ; केवल इसलिए परोसते हैं क्योंकि कोई और बिल दे रहा है; तो यह आप के लालचीपन को साबित करता है।

4) यदि आप आमतौर पर कतार को तोड़ कर आगे घुसते हैं तो यह दर्शाता है कि यदि आपको एक शक्तिशाली पद दिया जाये तो आप अपने कार्यालय का दुरुपयोग करने की क्षमता रखते हैं।

5) यदि आप आमतौर पर ट्रैफिक जॉम में ओवरलैप करते हैं या आपमें ट्रैफिक सिग्नल के लिए कोई सम्मान नहीं है; तो आप वह इंसान हैं जिसे यदि किसी सार्वजनिक कार्यालय में पद दिया जाये तो वह आसानी से सार्वजनिक धन का गबन कर लेगा ,क्योंकि आपका नैसर्गिक स्वभाव किसी भी प्रकार के नियमों की अवमानना करता है।

6) यदि आप अपने परिसर से अपशिष्ट या गंदे पानी को प्रबंधित करने के बजाय किसी पड़ोसी के परिसर में प्रवाहित करते हैं, तो आप बुरे व्यवहार वाले और स्वार्थी हैं।

7) अगर आप इस पोस्ट को पढ़ने के बाद सोच रहे हैं कि क्या वाकई इन मुद्दों पर बात करना जरूरी था; तो आप बेईमान हैं। आप अपने फायदे के लिए समाज की बुराइयों को छिपाने से नहीं हिचकिचाएंगे।


आईए दोस्तों, उपरोक्त 7 सूत्रों द्वारा किए गए आत्मनिरीक्षण से खुद के चरित्र को पहचानते हैं और जहाँ भी कमी लगती है उसे दूर कर खुद को, इस समाज, इस प्रदेश, इस देश को बेहतर बनाते हैं; खुद को चरित्रवान बनाते हैं। याद रखिएगा, एक देश उतना ही अच्छा या बुरा होता है, जितना उसे उसके नागरिक बनाते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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