Dec 04, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, अक्सर हमने देखा है लोगों को काफ़ी सारी शिकायतें रहती हैं। जैसे यह क्यों नहीं हुआ, यह तो ऐसे होना था, कितनी बार बताना पड़ेगा, इन्हें इतनी सी बात समझ नहीं आती क्या, सरकार तो निकम्मी है, लोग नियम पर नियम तोड़े जा रहे हैं लेकिन इन अधिकारियों को कुछ दिखता ही नहीं है, आदि… आदि…। ऐसा ही कुछ अनुभव मुझे कल नई दिल्ली एयरपोर्ट पर हुआ, जब सुरक्षा जाँच के दौरान लम्बी लाइन होने के कारण एक समूह ने सिस्टम को दोष देते हुए, सुरक्षाकर्मियों को नाकारा, निकम्मा तक घोषित कर दिया। उनका मानना था कि वे ज़रूरत से ज़्यादा धीमी गति से काम कर रहे हैं और उन्हें इससे कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आपको फ़्लाइट मिल पाएगी या नहीं।
वैसे, कुछ हद तक उनकी बात तो सही है, सुरक्षा कर्मियों को वाक़ई इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आपको फ़्लाइट मिल पाएगी या नहीं। उनका काम तो सिर्फ़ यह सुनिश्चित करना है कि सुरक्षा में चूक की वजह से कोई जन हानि ना हो और वे इसमें सफल भी हुए हैं। अगर आप मेरी बात से सहमत ना हो, तो बीस वर्ष पूर्व की सुरक्षा चूकों की तुलना आज के स्तर से करके देख लीजिए, अंतर आपको स्वयं समझ आ जाएगा। साथ ही आज प्रतिदिन हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों और हवाई जहाज की संख्या की भी तुलना करके देख लीजिएगा।
चलिए, थोड़ा आगे बढ़कर घटना के दूसरे पहलू को देखते हैं। लगभग 20 मिनट में सुरक्षा जाँच को लेकर शिकायत कर रहे सज्जन का नम्बर सुरक्षा जाँच के लिए आ गया और अपनी चूक नहीं बल्कि कई चूकों की वजह से उन्होंने सुरक्षा जाँच पूरी करने में लगभग 10 मिनिट का समय बर्बाद किया। जैसे उनके समूह के लोग पहले बेल्ट और जैकेट निकालना भूल गए, उसके बाद उनमें से एक की जेब में मोबाईल रह गया, एक महिला पर्स के साथ सुरक्षा जाँच के लिए आगे बढ़ गई आदि।
एयरपोर्ट के उस हिस्से में सुरक्षा जाँच सम्बन्धी कई डिस्प्ले लगे हुए थे, समय-समय पर इस विषय में एनाउंसमेंट भी किया जा रहा था, उसके बाद भी उस समूह ने उसी गलती को दोहराया। वैसे यहाँ मैं आपका ध्यान एक और बात की तरफ़ आकर्षित करना चाहूँगा, उस समूह को अपनी इस गलती का एहसास भी नहीं था कि अब जाँच में अधिक समय सिर्फ़ उनकी गलती की वजह से लग रहा था। शायद वे अभी भी सिस्टम में कमियाँ ही खोज रहे थे।
दोस्तों मेरा मानना है, दूसरे के काम या सिस्टम में कमियाँ निकालना, उनकी आलोचना, निंदा और शिकायत करना, उसे चर्चा का विषय बनाना, सबसे आसान काम होता है। शायद इसीलिए ज़्यादातर लोग इस आसान से काम को करने में लगे रहते हैं। हो सकता है यह मानवीय स्वभाव के अनुरूप भी हो। लेकिन, अगर आप किसी भी समस्या से परेशान हैं, तो आपको समस्या का नहीं, बल्कि समाधान का हिस्सा बनना होगा। उपरोक्त समूह जिन बातों के बारे में शिकायत कर रहा था, जिन कमियों पर चर्चा कर रहा था, स्वयं भी उन्हीं ग़लतियों को दोहरा रहा था।
दूसरे शब्दों में कहूँ दोस्तों, तो चर्चा करने वाले लोग अपना सारा ध्यान, सारी ऊर्जा दूसरों की कमियों या ग़लतियों को खोजने में ही बर्बाद कर देते हैं। ठीक उसी तरह जैसे उपरोक्त समूह ने किया था। याद रखिएगा दोस्तों, अगर आप समाधान का हिस्सा नहीं, हैं, तो आप स्वयं ही एक समस्या हैं। अगर आप शिकायत रहित बेहतर जीवन जीना चाहते हैं तो आपको आज से यह देखने के स्थान पर कि क्या गलत हो रहा है, यह देखना होगा कि मैं क्या गलत कर रहा हूँ। शायद इसीलिए तो कहा गया है, ‘हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा!’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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