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हर अंत एक नई शुरुआत है…

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Mar 2, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जिस तरह जन्म के साथ मरण, अच्छाई के साथ बुराई छुपी रहती है, ठीक वैसे ही हर अंत के साथ एक नई शुरुआत छुपी होती है। अर्थात् इस प्रकृति में विसर्जन के साथ सृजन हमेशा साथ-साथ चलता है। इसी बात को मैं आपको प्रकृति के उदाहरण से समझाने का प्रयास करता हूँ। जब पतझड़ आता है, तब पेड़ों की शाखाएँ सूनी हो जाती हैं और हमें ऐसा लगता है कि जैसे जीवन से सारी हरियाली चली गई। पर थोड़े ही समय बाद वही सूनी डालियाँ नई कोंपलों से भर जाती हैं, नए पत्ते, नए फूल, और फिर वही पेड़ जीवन से खिल उठता है; याने जीवन में सारी हरियाली वापस आ जाती है।


दोस्तों, हमारे जीवन में भी ठीक ऐसा ही होता है। कभी-कभी हमें लगता है कि हम हार गए, हमने सब कुछ खो दिया है या हमारा भाग्य या हमारी किस्मत हमारे साथ नहीं है, प्रकृति ने हमारे साथ नाइंसाफ़ी की है। लेकिन यह सही नहीं है क्योंकि हर अंत में नई शुरुआत छुपी होती है। स्वयं सोच कर देखिएगा दोस्तों, अगर सूर्यास्त नहीं होता तो सूर्योदय का कुछ महत्व होता? निश्चित तौर पर नहीं! ठीक इसी तरह दुःखों के बिना खुशियों का असली आनंद भी अधूरा है।


इसलिए दोस्तों, जब भी परमात्मा से शिकायत करने या यह कहने का मन हो कि ‘भगवान! हमेशा ये मेरे साथ ही क्यों होता है? आप हमेशा मुझे ही क्यों दुख देते हैं?’ तब ख़ुद को याद दिलाइयेगा कि अगर ईश्वर ने हमारी झोली खाली करी है तो वह अवश्य ही उसमें कुछ अच्छा और बड़ा डालने की तैयारी कर रहा है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो शायद ईश्वर कुछ और बेहतर देने के लिए हमारी झोली खाली कर रहा हो!


इसलिए, दोस्तों पुरानी चीजों या नाकाम पुराने रिश्तों या फिर पुरानी ग़लत आदतों से चिपकने के स्थान पर, उससे आगे निकलें क्योंकि अगर आप उससे चिपके रहेंगे तो नए मौके आपकी ज़िंदगी में आ नहीं पायेंगे। यह ठीक वैसा ही होगा जैसा वृक्ष के साथ होता है। अर्थात् जब वृक्ष पुराने पत्ते गिराता है, तभी तो उसकी टहनियों पर नई कोपलें फूटती हैं और वो फिर से हरा-भरा होता है। तो दोस्तों अगली बार जब कभी जीवन में अँधेरा नजर आए तो निराश मर होना और ख़ुद को याद दिलाना कि जीवन के लिए अँधेरा भी ज़रूरी है क्योंकि अंधेर के बिना सूरज की पहली किरण का जादू समझ में नहीं आता।


याद रखना दोस्तों, जिस तरह हर रात के बाद सुबह होती है; हर पतझड़ के बाद वसंत आता है, ठीक उसी तरह हर दुःख के बाद सुख दस्तक देता है। इसलिए दोस्तों आज से अपनी परेशानियों को अंत नहीं, एक नए अध्याय की शुरुआत मानें। और ख़ुद को याद दिलायें कि ‘जो खोया है, वो बीता कल है और जो मिलेगा, वो सुनहरा भविष्य है।’ अर्थात् परेशानियां एक नई सुखद शुरुआत हैं।


चलिए दोस्तों, फिर आज से एक नई शुरुआत करते हैं और ख़ुद से एक वादा करते हैं कि जीवन में अब जब भी पतझड़ आएगा तब घबराने के स्थान पर एक नई शुरुआत की उम्मीद रखना क्योंकि जब तक हम सूर्योदय की ओर नहीं देखेंगे, तब तक ज़िंदगी में उजाला कैसे आएगा? याद रखिएगा, हर अंत एक नई शुरुआत है। इसलिए मुस्कुराइए, चलते रहिए, और जीवन के हर पल को जी भर के जीना शुरू कीजिए!


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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