Mar 21, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, मेरी नज़र में समस्या, तभी तक समस्या है जब तक आप उसे ऐड्रेस करना, डील करना याने उस पर सकारात्मक रूप से काम करना शुरू नहीं कर देते हैं। अपनी बात को मैं सालों पुराने एक चुटकुले से समझाने का प्रयास करता हूँ।
शर्मा जी आज कुछ ज़्यादा ही परेशान लग रहे थे क्योंकि आज सुबह से ही उन्होंने अपने ऑफ़िस में किसी से भी 2 मिनिट भी अच्छे से बात नहीं की थी। जैसे-तैसे अपना दिन पूरा करके वे बड़े अनमने से मन के साथ घर पहुंचे। घर पहुँचने पर भी उन्होंने माता-पिता, पत्नी और बच्चों से कुछ भी नहीं कहा और सीधे अपने कमरे में चले गए। रात 11 बजे के लगभग उन्होंने खाना खाया और उसके बाद घर की बालकनी में सिगरेट पीते हुए घूमने लगे। रात्रि लगभग 1 बजे तक उन्हें सिगरेट फूंकते हुए ऐसे ही चिंता में घूमते देख पत्नी बाहर बालकनी में गई और पति से चिंता का कारण पूछने लगी। शर्मा जी ने अपने घर के सामने रहने वाले वर्मा जी के घर की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘तुम्हें याद है हमने नई कार ख़रीदते समय वर्मा जी से पैसे उधार लिए थे।’ पत्नी के हाँ में सर हिलाते ही उन्होंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘कल हमें वह पैसे वर्मा जी को लौटाने हैं।’ पत्नी ने आश्चर्य मिश्रित स्वर में कहा, ‘तो उसमें समस्या क्या है?’ शर्मा जी ठंडी साँस लेते हुए बोले, ‘मैं अभी तक पैसों का इंतज़ाम नहीं कर पाया हूँ। यही समस्या है।’ शर्मा जी की बात सुन पत्नी ने अपना माथा ठोका और बोली, ‘इतनी सी बात पर सुबह से रोनी सूरत लिए, चिंता में इधर-उधर भटक रहे हो और साथ ही पूरे घर को भी परेशान कर रखा है।’ इतना कहकर पत्नी ने शर्मा जी का हाथ पकड़ा और लगभग खींचते हुए आधी रात को ही वर्मा जी के घर ले गई और वहाँ जाकर उनके घर की घंटी बजा दी। कुछ ही पलों में अपनी आँखें मलते हुए वर्मा जी बाहर आए। मिसेज़ शर्मा ने पहले उन्हें नमस्कार किया फिर बोली, ‘वर्मा जी आपको ध्यान होगा हमें आपको कल कार के लिए उधार लिए पैसे लौटाने हैं।’ वर्मा जी ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘जी हाँ, मुझे अच्छे से याद है।’ वर्मा जी के जवाब को अनसुना सा करते हुए मिसेज़ शर्मा ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘शर्मा जी अभी पैसों का इंतज़ाम नहीं कर पाए हैं इसलिए कल हम आपके पैसे नहीं लौटा पाएँगे।’ इतना कहकर मिसेज़ शर्मा ने शर्मा जी का हाथ पकड़ा और वापस अपने घर आ गई। अब वर्मा जी हाथ में सिगरेट लिए अपने घर की बालकनी में चक्कर लगा रहे थे।
जिस समस्या को लेकर शर्मा जी सुबह से अपसेट थे उसे मिसेज़ शर्मा ने उसी पल ऐड्रेस कर खत्म कर दिया। दोस्तों, जिस तरह कोई भी ताला बिना चाबी का नहीं होता है, ठीक उसी तरह कोई भी समस्या, फिर चाहे वह कितनी भी बड़ी क्यों न हो, वह बिना समाधान के नहीं होती है। अगर आप उस समस्या का डट कर सामना करना सीख जाए तो आप निश्चित तौर पर उसका समाधान खोजना सीख जाएँगे। याद रखिएगा, समस्या का डट कर मुक़ाबला करना सीखना; इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि समस्या भागने से नहीं मुक़ाबला करने से दूर होती है।
खुद को डट कर मुक़ाबला करने के लिए तैयार करने के लिए आप खुद को प्रकृति का यह नियम याद दिला सकते हैं कि इस दुनिया में सदैव ताकतवर या बलवान लोगों द्वारा कमज़ोरों को या निर्बल लोगों को सताया जाता है। फिर भले ही गलती बलवानों या ताकतवर लोगों की ही क्यों ना हो। अब यह आपको सोचना है कि आप ताकतवर या बड़े हैं या आपकी समस्या। मेरा तो मानना है कि निश्चित तौर पर आप ही बड़े हैं, इसलिए समस्या आपको सता ही नहीं सकती है।
वैसे दोस्तों, यही दुःख के साथ भी होता है। जितना आप दुखों से भागने का प्रयास करोगे; उतने ही दुःख आपके ऊपर हावी होते जाएँगे। इसीलिए स्वामी विवेकानंद जी कहा करते थे, ‘दुःख बंदरों की तरह होते हैं, जो पीठ दिखाने पर पीछा किया करते हैं और सामना करने पर भाग जाते हैं।’ तो आईए साथियों, आज से समस्या और दुःख का डटकर मुकाबला करते हैं और सुखी जीवन की ओर अपना पहला कदम उठाते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
Comments