Dec 28, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
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दोस्तों, यकीन मानियेगा अँधेरा कितना भी घना क्यों ना हो, सुबह की पहली किरण उसे दूर कर ही देती है। इसी तरह मुश्किलों और परेशानियों का दौर कितना भी विकट क्यों ना हो, आशा की एक किरण उसे ख़त्म कर ही देती है। जी हाँ दोस्तों, अगर आप सकारात्मक आस या आशा के साथ जीवन में आगे बढ़ते हैं, तो यकीन मानियेगा हर उलझन का समाधान समय के साथ मिल ही जाता है। इसीलिए तो हमें बचपन से ही बताया जाता है कि, ‘हर समस्या या परेशानी का हल होता है, आज नहीं तो कल होता है!’ चलिए अपनी बात को मैं आपको एक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।
कई साल पहले की बात है राजा की सेवा से प्रसन्न साधु ने राज्य से अपने प्रस्थान के समय राजा को एक ताबीज़ देते हुए कहा, ‘राजन, इस ताबीज को हमेशा अपने गले में डाले रखना और ज़िंदगी में कभी भी कोई भी ऐसी अप्रिय स्थिति आए जब तुम्हें लगे कि अब सब कुछ खत्म होने वाला है अर्थात् जब तुम स्वयं को परेशानी के ऐसे भंवर में उलझा हुआ पाओ, जब प्रकाश की कोई किरण नजर ना आ रही हो और हर तरफ़ निराशा ही निराशा हो, तब तुम इस ताबीज को खोलना और इसमें रखें कागज को पढ़ना। तुम्हें तुम्हारी समस्या का समाधान मिल जायेगा।’
राजा ने साधु की आज्ञानुसार उस ताबीज़ को अपने गले में पहन लिया और अपने राज-काज में व्यस्त हो गया। कुछ सालों तो सब कुछ ठीक चलता रहा। लेकिन शिकार का पीछा करते हुए एक बार राजा बीच जंगल अपने सैनिकों से भटक गया और गलती से दुश्मन राज्य की सीमा में घुस गया। इन सब उलझनों के बीज कम शाम हो गई, राजा को पता ही नहीं चला। लेकिन दिक्कत तो उस समय बढ़ गई, जब राजा के पीछे दुश्मन देश की सेना पड़ गई।
राजा घोड़ों की टाप सुन बहुत स्पष्ट तौर पर अंदाजा लगा पा रहा था कि दुश्मन के सैनिक उसकी ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। राजा ने अपने घोड़े को एड लगाई और वहाँ से आगे बढ़ गया। अब राजा आगे और दुश्मन के सैनिक पीछे-पीछे थे। जब काफ़ी दूर तक घोड़ा दौड़ाने के बाद भी राजा दुश्मन सैनिकों से पीछा नहीं छुड़वा पाया। भूख और प्यास से बेहाल राजा ने वहीं-कहीं छुपने का निर्णय लिया और आसपास सुरक्षित स्थान देखने लगा। तभी राजा की निगाह घने पेड़ों के तने के बीच एक गुफा पर पड़ी, उसने बिना एक पल गँवाए स्वयं को और घोड़े को गुफ़ा की आड़ में छुपा लिया और साँस रोक कर बैठ गया। दुश्मन से घिरे बैठे राजा को अपना अंत क़रीब नजर आने लगा था। वह साफ़-साफ़ महसूस कर रहा था कि अगले कुछ ही क्षणों में दुश्मन सैनिक उसे पकड़ कर मौत के घाट उतार देंगे। तभी ज़िंदगी से निराश राजा को साधु की बात याद आ गई और उसने बिना एक पल भी गँवाए ताबीज़ को खोला और उसके अंदर रखे कागज को पढ़ा। उस कागज पर लिखा था, ‘यह वक्त भी गुज़र जाएगा!’
इन शब्दों ने राजा पर जादू जैसा असर किया और उसे निराशा और अंधकार के उस दौर में आशा की किरण नजर आने लगी। यह स्थिति बिल्कुल ‘डूबते को तिनके के सहारे’ समान थी। राजा अचानक ही अकथनीय शांति का अनुभव करने लगा और उसने दिल की गहराइयों से महसूस किया कि यह भयावह समय भी जल्द ही कट जायेगा। विचार आते ही राजा ख़ुद पर और ईश्वर पर विश्वास रखते हुए चिंता मुक्त हो गया। कुछ ही देर में राजा की सोच के अनुरूप ही घटना घटी और दुश्मन के घोड़ों की पास आती आवाज अचानक ही दूर जाती प्रतीत होने लगी और कुछ ही मिनटों बाद वहाँ शांति छा गई। राजा रात्रि के दूसरे प्रहर में गुफ़ा से निकला और किसी तरह अपने राज्य में वापस आ गया।
दोस्तों, अगर सुनने में आपको यह कहानी काल्पनिक लगे और ऐसा लगे कि हक़ीक़त में ऐसा नहीं होता है तो जरा महाराणा प्रताप जी को याद करके देख लीजियेगा। आप को समझ में आ जायेगा कि इस एक विचार ने कैसे उनको घास की रोटियाँ खाने के बाद भी अपनी सेना को एकजुट रखने और मेवाड़ वापस पाने का हौसला दिया था। इसी वजह से मेरा मानना है कि यह कहानी हकीकत में हम सब की कहानी है।
हम सभी अपने जीवन में कभी ना कभी परिस्थिति, काम, तनाव, तात्कालिक असफलता आदि के दबाव में विचारों के जाल में इतने उलझ जाते हैं कि हमें कुछ सूझता ही नहीं है और हमें हमारी परेशानी, हमारी दिक्कत का कोई हल दूर-दूर तक नजर नहीं आता है। ऐसी स्थिति में हमारा डर हम पर हावी होने लगता है और हम महसूस करने लगते हैं कि अब सब ख़त्म है। ऐसी विकट स्थिति में दोस्तों, ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखते हुए गहरी साँस लीजिए और 2 मिनिट शांति से बैठिए और ख़ुद को ज़ोर से कहिए, ‘यह वक्त भी गुज़र जाएगा…’ फिर देखियेगा; आशा की यह छोटी सी किरण कैसा जादू करती है। दोस्तों आस्था, आशा और विश्वास का संगम आपके अंदर एक नई ऊर्जा का संचार करेगा और आप जल्द ही विषम परिस्थिति से बाहर आने का हल खोज लेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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