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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

हारना भी है सही, अगर…

Nov 18, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, मेरी नज़र में खुद के ज़मीर को मार, जमाने की नज़र में जीतने या हर हाल में नम्बर वन बनने से बेहतर है, हार कर खुद को खुद की नज़रों में गिरने से बचाना। जी हाँ साथियों, अक्सर आपने देखा होगा कई लोग अपनी वर्तमान स्थिति को छुपाकर झूठी शान या झूठ पर आधारित जीवन जीते हैं। इसकी मुख्य वजह, लोगों की नज़र में अपनी तथाकथित साख, अपनी पोज़ीशन को बनाए रखना होता है।


सामान्यतः देखा गया है जो लोग लम्बे समय तक झूठा जीवन जीते हैं, वे पहले नकारात्मकता, फिर अकेलेपन और उसके बाद अवसाद का शिकार हो जाते हैं और अगर वे इसके बाद भी सम्भल ना पाएँ तो परिणाम बहुत गम्भीर हो सकते हैं। तात्कालिक सफलता के लिए ग़लत प्राथमिकताओं, धारणाओं, मूल्यों आदि पर जीवन जीकर लम्बे समय में खुद को परेशानी में डालने से कई गुना बेहतर है, सत्य की राह पर चल कर हार को गले लगाना।


दोस्तों, ज़िंदगी हसीन बनाने के इस साधारण से लेकिन महत्वपूर्ण मंत्र को अपना कर आप सिद्धांतों पर आधारित जीवन जी पाते हैं, जो अंततः आपको आत्मसम्मान के साथ जीवन जीने का मौक़ा देता है। इसीलिए मैंने पूर्व में कहा था कि सत्य की राह पर हार भी मिले तो उसे स्वीकारना चाहिए ना कि तात्कालिक लाभ के लिए झूठ का सहारा लेना चाहिए। याद रखिएगा साथियों, सिद्धांतों पर चलकर हारना, झूठ के दम पर जीतने से कई गुना ज़्यादा बेहतर इसलिए है क्यूंकि सिद्धांत आपको सत्य, जीवन मूल्य, शास्त्र के अनुसार जीवन पथ पर चलने का मौक़ा देता है। इसीलिए सिद्धांतों के पथ को श्रेष्ठता का पथ कहा जाता है अर्थात् सिद्धांत और सत्य पर आधारित जीवन जीना आपको श्रेष्ठ बनाता है।

दोस्तों, अगर मैं आपको अपना मत या अपनी बात ना समझा पाया हूँ या आप इसे जीवन से जोड़कर नहीं देख पा रहे हैं तो आप किसी भी महान व्यक्तित्व की जीवनी को उठाकर देख लीजिएगा। उन सभी की महानता के पीछे आपको बस एक ही कारण नज़र आएगा, उन्होंने हर हाल में जीतने या विजेता बनने के स्थान पर सत्य और नीति की राह पर चलकर हारना स्वीकार किया। उन सभी ने जीतने से ज़्यादा अपने जीवन मूल्यों, अपने सिद्धांतों पर चलना ज़्यादा महत्वपूर्ण समझा। वे कभी भी तात्कालिक लाभ या जीत के लिए अपने सिद्धांतों और मूल्यों से समझौता नहीं करते थे।


हो सकता है साथियों, आप सोच रहे होंगे कि, ‘ऐसा करना आसान तो बिलकुल भी नहीं होगा’; तो मैं कहूँगा आप बिलकुल सही सोच रहे हैं। सत्य, नीति, सिद्धांत, जीवन मूल्य आधारित कोई सा भी रास्ता आसान नहीं होता और वैसे भी आसान रास्ते पर चलकर महान बन पाना सम्भव नहीं है। सत्य, नीति, सिद्धांत, जीवन मूल्य आधारित रास्ता आसान तो नहीं होता लेकिन सर्वोत्तम या श्रेष्ठ ज़रूर होता है। जब आप इस रास्ते पर चलते हैं तब पग-पग पर आपको परीक्षाओं या चुनौतियों से गुजरना होता है, उनका सामना करना पड़ता है। लेकिन इन मुश्किलों से गुजरना या जूझना ही आपको महान बनाता है।


याद रखिएगा दोस्तों, जब आप सत्य, नीति, सिद्धांत और जीवन मूल्य आधारित कठिन रास्ते पर बिना हार-जीत की चिंता करते हुए जीवन जीते हैं तब आपकी निंदा करने वाले भी आपके प्रशंसक बन जाते हैं। भगवान गौतम बुद्ध, भगवान महावीर आदि सभी का जीवन इसका उदाहरण है। वैसे भी अगर आप हार-जीत की परवाह किए बग़ैर सत्य, नीति, सिद्धांत और जीवन मूल्य आधारित पथ पर अडिग रहते हैं तो यक़ीन मानिएगा दूसरे की जीत से ज़्यादा चर्चे आपकी हार के होंगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


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