Dec 25, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, ज़िंदगी है तो खट्टे-मीठे, अच्छे-बुरे हर तरह के अनुभव मिलेंगे। कभी हमारे मन का होगा तो कभी ईश्वर के। इन सभी अच्छी-बुरी स्थितियों में ख़ुद को शांत, स्थिर और खुश बनाए रखना ही मेरी नजर में ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग’ है। अगर आप भी इस कला में माहिर होना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अनावश्यक नकारात्मक अनुभवों या बातों को छोड़ना या जाने देना याने ‘लेट गो’ करना सीखना होगा।
यकीनन यह आसान नहीं होगा क्योंकि कई बातें, कई अनुभव हमें दिल की गहराइयों तक प्रभावित करते हैं और ऐसे में इन्हें छोड़ कर जीवन में आगे बढ़ना आसान नहीं होता। लेकिन जब हम उन बातों या चीजों को छोड़ना सीखते हैं जो अब हमारे काम की नहीं हैं, तब हम एक अच्छे, समृद्ध और खुशहाल जीवन के लिए जगह बनाते हैं। आइए सर्वप्रथम हम जानने का प्रयास करते हैं कि किस तरह छोड़ने या जाने देने की कला हमारी व्यक्तिगत विकास की यात्रा को सकारात्मक रूप से बदल सकती है।
जब आप ‘छोड़ना या जाने देना’ के भाव को स्वीकारते हैं तब आप अपने जीवन में उन चीजों को पहचानने का प्रयास करते हैं जो आपको आगे बढ़ने से रोक सकता है। जैसे, अस्वस्थ रिश्ते, आत्म-संदेह याने सेल्फ डाउट और पूर्व में की गई ग़लतियाँ आदि। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा किया गया एक अध्ययन बताता है कि इस दुनिया में 70% लोग ऐसे हैं जो पुरानी बातों, गलतियों और अनुभवों को छोड़ने के लिए संघर्ष करते हैं और इसी कारण वे आत्मविश्वास की कमी से जूझते हैं। यही बात अक्सर उनकी प्रगति में भी बाधक होती है। अगर ऐसे लोग अपने मेंटल ब्लॉक्स याने मानसिक बाधाओं को पहचान कर, दूर कर लें तो वे अपने विकास का रास्ता खोल सकते हैं।
ऐसा नहीं है दोस्तों, कि लोग इस बात को जानते नहीं हैं, वे तो अक्सर अनचाहे डर के कारण इसे स्वीकार नहीं कर पाते हैं। जी हाँ, डर अक्सर पुरानी आदतों, बातों, अनुभवों या रिश्तों को छोड़ने से रोकता है। लेकिन अगर आप इस अनचाहे डर पर विजय पा लें और अनचाही बातों और अनुभवों को छोड़ दें तो जीवन में सकारात्मक रूप से आगे बढ़ सकते हैं; नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं।
इसके लिए हमें जीवन में परिवर्तन को उत्प्रेरक के रूप में स्वीकारना सीखना होगा। हालाँकि यह भी सही है कि कई बार परिवर्तन परेशान करने वाला हो सकता है। लेकिन अगर आप एक बार इसे स्वीकार लें तो यह जीवन में विकास के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में कार्य करता है। परिवर्तन स्वीकारना हमें ख़ुद को बदलती परिस्थितियों के अनुकूल बनकर, नए अनुभवों को स्वीकारने के लिए तैयार करता है, फिर चाहे वे अनुभव सफलताओं के हों या चुनौतियों के। मिनेसोटा विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया एक अध्ययन बताता है कि जो व्यक्ति परिवर्तन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं, उनमें महत्वपूर्ण व्यक्तिगत विकास का अनुभव करने की संभावना 60% अधिक होती है। इसलिए दोस्तों जो लोग परिवर्तन को स्वीकारने के लिए तैयार रहते हैं, वे हमेशा चुनौतियों को अवसर के रूप में देखते हैं। उदाहरण के लिए, नौकरी छूटने को एक झटका मानने के बजाय, इसे नए करियर पथ तलाशने के अवसर के रूप में देखें। सोच में लाया यह बदलाव हमें लचीला बनाकर व्यक्तिगत विकास के लिए तैयार करता है।
आइये अब हम नकारात्मक अनुभवों या बातों को छोड़ना या जाने देना अर्थात् ‘लेट गो’ करना सीखने के लिए आवश्यक व्यवहारिक सूत्र सीख लेते हैं-
पहला - जर्नलिंग
जर्नलिंग करना ‘लेट गो’ याने छोड़ने या जाने देने की कला सीखने के लिए यक़ीनन एक शक्तिशाली शुरुआत हो सकती है। अपने विचारों और भावनाओं को लिखें कि आपको क्या छोड़ने की ज़रूरत है। यह अभ्यास न केवल आपकी भावनाओं को स्पष्ट करता है बल्कि आपको अपनी प्रगति को ट्रैक करने में भी मदद करता है। एक शोध से पता चलता है कि जो लोग नियमित रूप से जर्नल लिखते हैं, वे भावनात्मक कल्याण में 50% वृद्धि का अनुभव करते हैं।
दूसरा - ध्यान
ध्यान करना भी छोड़ने याने ‘लेट गो’ करना सीखने के लिए फायदेमंद है। ध्यान याने माइंडफुलनेस को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आप अपना फ़ोकस आवश्यक विचारों पर केंद्रित कर सकते हैं। जिससे उन्हें दैनिक जीवन में स्वीकारना आसान हो जाता है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार, प्रतिदिन केवल 10 मिनट ध्यान करने से मस्तिष्क की संरचना और माइंडफुलनेस से संबंधित कार्य में मापे जा सकने वाले परिवर्तन हो सकते हैं।
तीसरा - चिकित्सक या सहायता समूह से जुड़ना
परिवर्तन स्वीकारने के लिए ख़ुद को तैयार करने के लिए किसी सहायता समूह अथवा चिकित्सक की मदद लेना भी एक अच्छा विचार है। इससे आपको अपने अनुभवों को साझा करने के लिए उचित समूह और आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सीय सहायता मिल सकती है। प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि जो लोग अपने व्यक्तिगत विकास की यात्रा में सहायता चाहते हैं, वे सामान्य लोगों के मुकाबले 40% तक अधिक संतुष्टि पूर्ण जीवन जीते हैं।
चौथा - बदलाव को लक्ष्य के रूप में निर्धारित करें
आप जो छोड़ना चाहते हैं और अपने जीवन में आमंत्रित करना चाहते हैं, उसके लिए इरादे निर्धारित करें। स्पष्ट इरादे आपकी यात्रा का मार्गदर्शन करते हैं और आपको अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहने में मदद करते हैं।
पाँचवाँ - जश्न मनायें याने सेलिब्रेट करें
बदलाव की यात्रा में मिलने वाली हर छोटी से छोटी प्रगति को स्वीकारें और सफलता का जश्न मनायें। एक शोध बताता है कि उपलब्धियों को पहचानना प्रेरणा को बढ़ाता है और निरंतर विकास के लिए सकारात्मक स्वर सेट करता है।
अंत में दोस्तों, इतना ही कहना चाहूँगा कि छोड़ना, जाने देना याने ‘लेट गो’ करना कुछ चीजों या बातों या अनुभवों को नकार देने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। यह हमें जीवन में कुछ उद्देश्यों के साथ आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाता है। परिवर्तन का स्वागत करके और मुक्ति के लिए व्यावहारिक रणनीतियों को लागू करके, आप यकीनन गहन व्यक्तिगत विकास के द्वार अपने लिए खोलते हैं।
छोड़ देना वास्तव में एक चुनौतीपूर्ण प्रयास है, लेकिन यह अविश्वसनीय रूप से मुक्तिदायक भी हो सकता है। हर अंत नई शुरुआत के लिए जगह बनाता है। जो अब आपके लिए फ़ायदेमंद नहीं है, उसे छोड़ कर आप एक जीवंत भविष्य के लिए मंच तैयार करते हैं। छोड़ने याने ‘लेट गो’ की शक्ति को अपनाएँ, और देखें कि कैसे आपकी व्यक्तिगत विकास की यात्रा असाधारण तरीकों से फलती-फूलती है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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