Nirmal Bhatnagar
360 डिग्री सोच बनाएगी आपको समाधानकर्ता…
Oct 2, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आइये दोस्तों आज के शो की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, धर्मपुर गाँव के लोग हमेशा सरपंच के रूप में तिवारी जी को ही चुना करते थे। गाँव वालों से जब भी इस विषय में पूछा जाता था तो उनका एक ही जवाब रहता था, ‘हमारे सरपंच साहब बड़े बुद्धिमान और चतुर हैं। उनके पास हमारी हर समस्या का सटीक समाधान रहता है, इसीलिए गाँव के प्रमुख पद के लिये उनसे बेहतर और कौन हो सकता है?’ इतना ही नहीं सरपंच जी हर पल गाँव की बेहतरी और गाँव वालों की ख़ुशहाली के विषय में सोचा और काम किया करते थे। दूसरी ओर गाँव वाले उन्हें अपनी हर समस्या के समाधानकर्ता वो चाहे स्वास्थ्य, कृषि, चोरी-चकारी या फिर लड़ाई-झगड़ा के रूप में देखा करते थे।
एक बार एक सीधा-सादा किसान सरपंच जी के पास आया और शिकायत करते हुए बोला, ‘सरपंच जी मैं तो लुट गया। मैंने कल तरस खाकर एक राहगीर को रात रुकने के लिए अपने घर में स्थान उपलब्ध करवाया और वह एहसान फ़रामोश घर पर चोरी करके भाग गया, वो तो भला हो चौकीदार का जिसने इसे पकड़ लिया। लेकिन यह ना तो इसका अपराध स्वीकार रहा है और ना ही इसने चोरी का सामान कहाँ छिपाकर रखा है, यह बता रहा है।’
सरपंच जी ने जब इस विषय में चौकीदार से पूछा तो वह बोला, ‘सरपंच जी, मुझे ज़्यादा कुछ तो नहीं पता लेकिन इस किसान के घर से चिल्लाने की आवाज़ आई थी। मैंने जब वहाँ जाकर देखा तो पाया कि यह व्यक्ति चोरी करके भाग रहा था। मैंने इसका काफ़ी दूर तक पीछा करा और इसको पकड़कर ले आया। सरपंच ने जब इस विषय में आरोपित से पूछा तो उसने अपना गुनाह क़बूल करने से साफ़ मना कर दिया और साथ ही चौकीदार पर ही चोरी का इल्ज़ाम लगा दिया।’
सरपंच जी सारी बातें सुन हैरान थे, वे समझ ही नहीं पा रहे थे कि असल गुनाहगार है कौन। काफ़ी देर तक विचार करने के बाद सरपंच जी चौकीदार और आरोपित को देखते हुए बोले, ‘देखो भाई मामला बड़ा पेचीदा है। मुझे इस पर काफ़ी विचार करना पड़ेगा, तब तक तुम दोनों मेरा एक छोटा सा काम कर दो, गाँव के बाहरी हिस्से में शहर जाने वाले रास्ते पर मेरा एक बड़ा सा बक्सा पड़ा है ज़रा उसे लाकर दे दो। इसके एवज़ में, मैं तुम्हारी चोरी की सजा को माफ़ करने के बारे में विचार करूँगा।’
सरपंच जी की बात सुनते ही दोनों लोग वहाँ से लगभग दौड़ते हुए बक्सा लाने के लिए गाँव के बाहरी इलाक़े की ओर चले गये। वहाँ पहुँचते ही उन्होंने देखा की वहाँ एक बड़ा सारा लोहे का बक्सा पड़ा हुआ है। बक्से में वजन ज्यादा होने के कारण दोनों ने मिलकर उठाने का निर्णय लिया और लौटते-लौटते आपस में बात करने लगे। सबसे पहले आरोपित व्यक्ति बोला, ‘तू तो गाँव का चौकीदार है, फिर तू चोरी क्यों करता है?’ प्रश्न सुनते ही चौकीदार हंसा और बोला, ‘मेरी छोड़, अपनी सोच। कुछ देर बाद तू चोरी के आरोप में जेल में होगा।’
इसी तरह बातें करते-करते दोनों वापस गाँव पहुँच जाते हैं और अपना पसीना पोंछते हुए लगभग एक साथ ही सरपंच से पूछते हैं, ‘सरपंच जी इसमें ऐसा क्या सामान है जो बक्सा इतना भारी हो गया है?’ तुम ही देख लो।’ कहते हुए सरपंच जी बक्सा खोलते हैं। बक्से में अंदर से एक आदमी निकलता है, जिसे देखते ही चौकीदार के होश उड़ गये। सरपंच जी ने उसकी प्रतिक्रिया को नज़रंदाज़ करते हुए बक्से में से निकले व्यक्ति को रास्ते में हुई सारी बात सुनाने के लिए कहा। जिसे सुनते ही दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। सरपंच जी ने उसी समय चौकीदार को नौकरी से बर्खास्त करते हुए सजा दी और साथ ही आरोपित को बली करते हुए अतिथि का दर्जा देकर गाँव में रुकने के लिए कहा।
दोस्तों अब अगर आप गंभीरता के साथ इस पूरे वाक़ये पर गौर करेंगे तो पायेंगे कि सरपंच जी ने धैर्य रखते हुए आउट ऑफ़ द बॉक्स सोचा और समस्या का निदान करा। ठीक इसी तरह दोस्तों अगर हम विकट और विपरीत परिस्थिति में अपना धैर्य बरकरार रखें और ३६० डिग्री नज़रिया रखते हुए चिंतन करें तो मुश्किल से मुश्किल समस्या का सरल हल निकालना संभव है। एक बार विचार करके जरूर देखियेगा साथियों।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com